विश्व शांति के लिए संवाद महत्वपूर्ण, वन ग्लोब फोरम के अध्यक्ष डॉ. दलबीर सिंह: ‘जी20 इंटरफेथ शिखर सम्मेलन’ का उद्घाटन
पुणे “भारत विभिन्न धर्मों और भाषाओं का देश है. यह विविधता हमारी मुख्य ताकत है और इसे सभी को समझने की जरूरत है. यह विविधता स्वाभाविक रूप से मतभेदों को जन्म देती है लेकिन अगर यह समझ लिया जाए तो मतभेद कभी मनभेद में नहीं बदलेंगे. यही विश्व शांति की नींव है और इसे समझने के लिए संवाद महत्वपूर्ण है.” यह विचार वन ग्लोब फोरम के अध्यक्ष एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव डॉ. दलबीर सिंह ने रखे.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, विश्वशांति सेंटर (अलंदी), मायर्स एमआईटी, पुणे, जी20 इंटरफेथ अलायंस और अमेरिका स्थित जी20 इंटरफेथ फोरम द्वारा दुनिया के सबसे बड़े पीस पीस डोम राजबाग लोनी कालभोर में ‘जी20 इंटरफेथ समिट’ का आयोजन किया गया. इसके उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में वे बोल रहे थे.
इस मौके पर अमेरिका में जी20 इंटरफेथ फोरम के अध्यक्ष डब्ल्यू कोल दुरहाम,
जिऑर्जटाईम यूनिवर्सिटी के प्रो. डॉ. कथरीना मार्शल, अमृता विश्वविद्यापीठम के अध्यक्ष स्वामी अमृतस्वरूपानंद पुरी, बिशप फेलिक्स मचाडो, अजरबैजान के धार्मिक गुरू शेख उल इस्लाम अल्लाहशुकूर पाशाज़ादे, बही समुदाय के मार्जिया दलाल, और डॉ. पुष्पिता अवस्थी
मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थी.
साथ ही कार्यक्रम की अध्यक्षता एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष . विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई .एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल कराड, कुलपति डॉ. आर.एम. चिटनिस एवं प्रकुलपति डॉ. मिलिंद पांडे उपस्थित थे.
डॉ. दलबीर सिंह ने कहा, ”हर किसी को अपने धर्म पर गर्व है, लेकिन दूसरे धर्मों का सम्मान भी उतना ही जरूरी है. भारत ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के माध्यम से पूरी दुनिया को यही संदेश दिया है. इसलिए विश्व शांति से पहले समस्याओं के समाधान के लिए एक साथ आने की जरूरत है. इसमें एमआईटी की पहल उल्लेखनीय है.”
डब्ल्यू. कोल डरहम ने कहा, “डॉ. विश्वनाथ कराड के माध्यम से शुरू किए गए विश्व शांति के आंदोलन को और अधिक व्यापक रूप देने का प्रयास कर रहे हैं. उसके लिए युवाओं की भागीदारी बहुत जरूरी है. भारत का ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का संदेश विश्व शांति के लिए महत्वपूर्ण है.
राहुल कराड ने कहा, ”भारत ने हमेशा दुनिया को शांति और आत्म-शांति का संदेश दिया है. वर्तमान समय में हम विभिन्न पहलुओं पर पहल कर अग्रणी बन रहे हैं. हाल ही में चंद्रयान 3 के माध्यम से हम अंतरिक्ष में कॉस्मिक पावर की ओर बढ़े हैं. इस सम्मेलन के माध्यम से हम अपनी विविधता की शक्ति के माध्यम से दुनिया को आत्म-शांति का संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं. युवाओं के लिए इंडिया की जगह भारत कहना जरूरी है. ”
प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, ”विज्ञान और आध्यात्मिकता का तालमेल दुनिया में खुशी, संतुष्टि और शांति लाएगा. दुनिया में भारत की पहचान विश्व शांति का संदेश देने वाले देश के रूप में हो रही है.”
इसके बाद प्रो. कैथरीन मार्शल, स्वामी अमृतस्वरूपानंद पुरी, अजरबैजान के धार्मिक गुरु शेख उल इस्लाम अल्लाशुकुर पाशाजादेह और पुष्पिता अवस्थी ने विश्व शांति के लिए सभी को उठाए जाने वाले कदमों और भूमिकाओं पर चर्चा की.
प्रो .डॉ.गौतम बापट ने संचालन एवं आभार व्यक्त किया.