पूणे

भारत में कौशल की कमी दूर करने के लिए 16.2 मिलियन कर्मचारियों को एआई और ऑटोमेशन में अपस्किल एवं रिस्किल करने की ज़रूरत

भारत में कौशल की कमी दूर करने के लिए 16.2 मिलियन कर्मचारियों को एआई और ऑटोमेशन में अपस्किल एवं रिस्किल करने की ज़रूरत

पुणे :: भारत में एआई और ऑटोमेशन के लिए 16.2 मिलियन कर्मचारियों को रिस्किल और अपस्किल करने की ज़रूरत होगी और इससे 4.7 मिलियन नई तकनीकी नौकरियों का सृजन भी होगा। सर्विसनाऊ और पियर्सन ने आज अपने नए शोध के आधार पर यह घोषणा की। सर्विसनाऊ द्वारा कमीशंड और पियर्सन द्वारा संचालित इस शोध का उद्देश्य मशीन लर्निंग का प्रयोग करके यह अनुमान लगाना था कि टेक्‍नोलॉजी किस प्रकार प्रत्येक नौकरी के कार्यों को बदल देगी। शोध में भारतीय कर्मचारियों के लिए अपने कॅरियर को नया आकार देने और भविष्य के लिए इसे सुरक्षित बनाने के लिए अभूतपूर्व संभावना प्रस्तुत की गई है।

भारत में उन नौकरियों की पदस्थापना में, जिनमें सर्विसनाऊ प्लैटफॉर्म तकनीकी कौशल की ज़रूरत है, पिछले साल 39% की वृद्धि हुई। लाइटकास्ट के श्रम बाज़ार के आँकड़ों के अनुसार यह पूरे विश्व में सबसे तेज वृद्धि दर है जहाँ पूरे विश्व के किसी भी शहर की अपेक्षा बैंगलोर में टैलेंट के लिए सबसे ज्यादा माँग देखी गई।

भारत का डिजिटल स्किल इकोसिस्टम भी इसके साथ वृद्धि करने को तैयार है। सर्विसनाऊ के शोध से पता चला है कि तकनीकी कौशल की कमी दूर करने के लिए ऐप निर्माता (75,000), डेटा एनालिस्ट (70,000), प्लैटफॉर्म ओनर (65,000), प्रोडक्ट ओनर (65,000) और कार्यान्वयन इंजीनियर (55,000) की ज़रूरत होगी।

जैसे-जैसे भारत का तकनीक से भरपूर दशक (“टेकेड”) आगे बढ़ रहा है, कंपनियाँ एआई द्वारा होने वाले आर्थिक मूल्य और समावेशी विकास पर अधिकार करने के लिए पूरे जोर-शोर से काम कर रही हैं।

सर्विसनाऊ अपनी वैश्विक स्किलिंग पहल ‘राइज़अप विद सर्विसनाऊ’ के माध्यम से कर्मचारियों को सर्विसनाऊ प्लैटफॉर्म का प्रयोग करके एक भूमिका ग्रहण करने के लिए ज़रूरी कौशल प्राप्त करने में सक्षम बनाकर टैलेंट को टेक्‍नोलॉजी से जोड़ रहा है। सर्विसनाऊ के बढ़ते इकोसिस्टम में हज़ारों स्थानीय और वैश्विक पद प्रस्तावित किये जा रहे हैं।

सर्विसनाऊ के भारतीय उपमहाद्वीप के लिए वाइस प्रेसिडेंट और प्रबंध निदेशक, कमोलिका गुप्ता पेरेस ने कहा कि, “भारत के निर्णय-निर्माता और उद्योग के दिग्गज एआई की शक्ति को समझते हैं। हम व्यवसाय में सार्थक बदलाव के लिए एआई की प्रयोग की सर्वश्रेष्ठ पद्धतियां प्रदर्शित करने के लिए पूरे देश में हर एक उद्योग के साथ काम कर रहे हैं। हम इन बदलावों से लोगों के लिए सार्थक, गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित कॅरियर प्राप्त करने के साथ-साथ बेहतर उत्पादकता सुनिश्चित करने पर भी ध्यान दे रहे हैं।”

सर्विसनाऊ द्वारा किये गए शोध में भारत के वर्कफोर्स की वर्तमान यथास्थिति, विभिन्न उद्योगों में एआई और ऑटोमेशन के प्रभाव और विभिन्न हितधारक माँग-आपूर्ति का अंतर कम करने के लिए किस प्रकार कर्मचारियों को प्रासंगिक डिजिटल कौशल से लैस कर सकते हैं, का विश्लेषण किया गया है।

गुप्ता पेरेस ने आगे कहा कि, “प्रगति की रफ़्तार इतनी तेज पहले कभी नहीं थी। आज कंपनियां विविध औद्योगिक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बदलाव कर रही हैं, और भारत के 1 ट्रिलियन की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में इसकी एक निर्णायक भूमिका होगी।”

माँग वाली भूमिकाओं में टैलेंट को उन्मुक्त करना

जहाँ एआई और ऑटोमेशन का प्रभाव भारी संख्या में आवर्ती और तकनीकी नौकरियों का स्वरूप तय करेगा, वहीं अभी गैर-तकनीकी भूमिकाओं में काम करने वाले अनेक कर्मचारियों के पास वह क्षमता है जिसे उच्च गुणवत्ता वाले ज्यादा तकनीकी कार्य के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

उदाहरण के लिए, शोध में पता चला कि भारत के गहरे समुद्र के मछुआरों के पास 64% कुशलतायें हैं जो आम तौर पर सर्विसनाऊ प्लैटफॉर्म का प्रयोग करने वाले हेल्पडेस्क सपोर्ट एजेंट्स के लिए ज़रूरी होती हैं। मछली पकड़ने के ज्यादा संकेंद्रित क्षेत्रों, जैसे कि केरल और पश्चिम बंगाल इस तरह की संभावनाओं का लाभ उठाकर अपने नागरिकों के कॅरियर्स की मांग को पूरा कर सकते हैं।

सर्विसनाऊ के अध्ययन में भविष्‍यवाणी की गई है कि मैन्‍युफैक्‍चरिंग में सबसे बड़ा विस्फोट होगा, जहाँ ऑटोमेशन और कौशल वृद्धि के लिए वर्कफोर्स के 23% को चुना जाएगा, जिसके बाद कृषि, वानिकी और फिशिंग (22%), थोक और खुदरा व्यापार (11.6%), परिवहन और भण्डारण (8%), और निर्माण (7.8%) का स्थान आता है।

एआई के जबर्दस्‍त प्रभाव

अनुमान है कि एआई और ऑटोमेशन के प्रभाव के फलस्वरूप अभी से लेकर वर्ष 2027 तक 4.6 मिलियन कर्मचारियों के लिए अपनी क्षमता बढ़ाना आवश्यक हो जाएगा। यहाँ तक कि परंपरागत टेक्‍नोलॉजी से सम्बद्ध कंप्यूटर प्रोग्रामर जैसे पद पर आसीन लोग- जिसके विषय में सर्विसनाऊ का शोध बताता है कि इस पर टेक्स्ट से लेकर कोड तक जैसी जेनरेटिव एआई क्षमताओं की वृद्धि का भारी प्रभाव पड़ेगा – खुद को रिस्किल करके सर्विसनाऊ इकोसिस्टम में फ्लो ऑटोमेशन इंजिनियर प्रोडक्ट के मालिक, कार्यान्वयन इंजिनियर, मास्टर आर्किटेक्ट, के रूप में विकसित हो सकते हैं। भारत के सबसे अधिक कंप्यूटर प्रोग्रामर वाले टेक हब, कर्नाटक (3,31,200), तमिलनाडु (3,23,700), तेलंगाना (1,71,300) महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धी बढ़त प्राप्त कर सकते हैं।

यह बदलाव भारत के विकास पर, विशेषकर उत्पादकता को कई गुणा बढ़ाने और उच्च मूल्य वाली नौकरियों का सृजन करने के मामले में एआई और ऑटोमेशन से होने वाले सकारात्मक प्रभाव का संकेत है।

गुप्ता पेरेस ने आगे यह भी कहा कि, “मैक्रो वातावरण में यह अनिवार्य है कि कंपनियाँ डिजिटल अर्थव्यवस्था में स्पष्ट मूल्य प्रदान करने पर फोकस करें – और इसे लागत कम करते हुए आपके विकास में मदद करने वाली सही टेक्नोलॉजी के द्वारा ही बड़े पैमाने पर प्राप्त किया जा सकता है। मजबूत डिजिटल बुनियाद का निर्माण करने से आपके लोगों को आज उन कौशल को विकसित करने में भी मदद मिलेगी जिसकी ज़रुरत भविष्य में पड़ेगी।”

भारत का डिजिटल रूपांतरण भविष्य को लेकर तैयार वर्कफोर्स कम्‍युनिटी पर निर्भर करता है। ‘स्किल इंडिया डिजिटल कैंपेन’ के तहत, सरकार ने युवाओं के लिए एक बेहतर भविष्य के निर्माण के अपने दृष्टिकोण की घोषणा की है। और नैसकॉम के एक हाल के अध्ययन के अनुसार, एआई और ऑटोमेशन वर्ष 2025 तक भारत के जीडीपी में 500 बिलियन डॉलर तक की वृद्धि कर सकता है।

आज वर्कफोर्स के लिए लाभकारी डिजिटल कॅरियर्स बनाने के लिए ज्यादा स्पष्ट और सीधा रास्ता उपलब्ध है। सर्विसनाऊ 600 से अधिक निःशुल्क प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और नौकरी से सम्बंधित 18 प्रमाणन के अवसर प्रदान करता है, जो भारत में डिजिटल कॅरियर में दिलचस्पी रखने वाले हर किसी व्‍यक्ति के लिए उपलब्ध हैं। लोगों के लिए पूरे देश में अग्रणी उपक्रमों और सहयोगी संगठनों के साथ नौकरी के व्यावहारिक प्रशिक्षण (ऑन द जॉब ट्रेनिंग) प्राप्त करने के लिए सर्विसनाऊ प्लैटफॉर्म स्किल्स और अवसरों की राष्ट्रव्यापी माँग है।

सर्विसनाऊ डिजिटल कॅरियर्स के लिए उचित रास्ता प्रदान करने के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर के प्रोग्राम की श्रृंखला के साथ भारत के कौशल विकास में निवेश कर रहा है। कंपनी ने सर्विसनाऊ के बढ़ते भारतीय ग्राहक और साझीदार परितंत्र में पदों को भरने में मदद के लिए पिछले साल भारत-स्थित संगठनों के साथ 13 से अधिक शैक्षणिक साझेदारियों की घोषणा की है।

सर्विसनाऊ ने एक भविष्य को लेकर तैयार वर्कफोर्स का निर्माण करने और व्यवसाय की महत्वपूर्ण ज़रूरतों को हल करने के लिए अगस्त में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय नैसकॉम डिजिटल स्किलिंग पहल, फ्यूचरस्किल्स प्राइम के साथ साझेदारी की घोषणा भी की थी।

सर्विसनाऊ के विषय में

सर्विसनाऊ (NYSE: NOW) कार्य के वातावरण को लोगों के लिए बेहतर कार्य करने योग्य बना रहा है। हमारा क्लाउड-आधारित प्लैटफॉर्म और समाधान डिजिटल कार्यप्रवाह प्रदान करते हैं, जो शानदार अनुभव उत्पन्न करते हैं और कर्मचारियों तथा उपक्रम के लिए उत्पादकता का मार्ग प्रशस्त करते हैं। अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट देखें : www.servicenow.com.

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शोध की कार्यपद्धति :

नौकरियों और कार्यों पर एआई का प्रभाव समझने के लिए सर्विसनाऊ के शोध सहयोगी, पियर्सन ने भारत और पूरे विश्व में पाँच दूसरे बाज़ारों में 6,000 से अधिक पदों पर 16 तकनीकों के प्रभाव का  मॉडल तैयार किया।

अपने मालिकाना डाटा मॉडल (“ऑक्यूपेशंस ऑन्‍टोलॉजी”) का प्रयोग करके, प्रत्येक भूमिका को 26,000 कार्यों के उपवर्ग में विभाजित किया गया; उसके बाद मशीन लर्निंग मॉडलों ने ऑटोमेशन और औग्मेंटेशन को प्रेरित करने वाली 16 तकनीकों से प्रत्येक कार्य पर प्रभाव का अनुमान लगाया। मॉडलों को विभिन्न वैश्विक शैक्षणिक संस्थानों द्वारा सत्यापित किया गया है और 80-99% सटीक के रूप में दर्जा दिया गया है।

अपने तकनीकी प्रभाव के अनुमान को अद्यतन रखने के लिए पियर्सन हर महीने नौकरी के 10 मिलियन विज्ञापनों का विश्लेषण करके वर्तमान और उभरते ट्रेंड्स की पहचन करता है। इसके नैचुरल लैंग्‍वेज प्रोसेसिंग मॉडल्स नौकरियों और कौशल का परिदृश्य किस प्रकार विकास कर रहा है, इसकी जानकारी जनरेट करने के लिए यह पता लगाते हैं कि विज्ञापन में ऑक्यूपेशन के साथ-साथ 8,000 स्किल्स में से कौन स्किल मौजूद हैं।

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