समस्या समाधान दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है
डॉ सुबर्णा शांक्य की राय; “इंटेलिजेंट सिस्टम और मशीन लर्निंग” पर तीसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हुआ
पुणे: संगठनों को नवाचार और ऊष्मायन को बढ़ावा देने के लिए समस्या-समाधान दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. समस्या-समाधान अनुसंधान के माध्यम से सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए उद्योग और शिक्षा जगत के बीच सहयोग की आवश्यकता है. डिजिटल युग में एआई और एमएल की महत्वपूर्ण भूमिका बुद्धिमान प्रणालियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उन्नत कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की आवश्यकता है, यह मत त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल के आईटी इनोवेशन सेंटर के निदेशक डॉ. सुवर्ण शांक्य ने व्यक्त किया.
जीएच रायसोनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट, पुणे और यूरोपियन एलायंस फॉर इनोवेशन (ईएआई) के सहयोग से आयोजित इंटेलिजेंट सिस्टम और मशीन लर्निंग (आईसीआईएसएमएल 2024) पर तीसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. दो दिवसीय सम्मेलन 5 और 6 जनवरी 2024 को जीएच रायसोनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग मैनेजमेंट, पुणे में आयोजित किया गया था.
इस अवसर पर भारतीय और विदेशी प्रतिनिधियों द्वारा जेनरेटिव एआई, क्रिएटिव एआई, च्वाइस कंप्यूटिंग, गेमिंग थ्योरी और अन्य संबंधित डोमेन पर 100 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गएय.
जापान में टोक्यो विश्वविद्यालय के डॉ. पराग कुलकर्णी, भारत में यूरोपियन एलायंस फॉर इनोवेशन (ईएआई) के राजदूत डॉ. साची नंदन मोहंती, जीएचआरसीईएम पुणे के कैंपस निदेशक डॉ. आर. डी. खराडकर, डॉ. के.सी. वोरा, प्रो. रचना साबले, और प्रो. वैशाली बाविस्कर उपस्थित थे.
डॉ. आर. डी. खराडकर ने मशीन अनलर्निंग और सिंथेटिक डेटा एल्गोरिदम सहित उभरती प्रौद्योगिकियों को संबोधित किया और संबंधित डोमेन में अनुसंधान जारी रखने की आवश्यकता पर जोर दिया.
डॉ. पराग कुलकर्णी ने जीएच रायसोनी कॉलेज के शोध जर्नल “इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग एंड नॉलेज डिस्कवरी” की सराहना की. पत्रिका के 9वें अंक के प्रकाशन सम्मेलन किया गया.
सम्मेलन संयोजक प्रो. रचना साबले और प्रो. वैशाली बाविस्कर ने प्रस्तावना की. प्रो संचालन सोनाली सोनावणे ने संचालन किया, जबकि प्रो. भाग्यश्री वानकर ने आभार जताया. श्री. सुनील रायसोनी ने सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए संकाय सदस्यों को बधाई दी.