दो धागे श्रध्दा के पहल के तहत पुणे से भगवान राम के लिए वस्त्र और माता सीता के लिए साड़ी अयोध्या भेजी
विशाल समाचार नेटवर्क टीम पुणे : देश के हर अभियान में पुणे के लोग बढ़-चढ़कर शामिल होते हैं. 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा किया जाएगी. इसके लिए देशभर में विभिन्न गतिविधियां संचालित की जा रही ह््ैं। वाघोली में सत्यनारायण क्लॉथ स्टोर्स की ओर से भी इसी तरह की गतिविधि की गई, जिसमें भगवान राम के लिए एक वस्त्र और माता सीता के लिए एक साड़ी बुनी गई और अनुष्ठान पूजा के बाद अयोध्या के लिए आज भेजी गई्। सत्यनारायण क्लॉथ स्टोअर्स के राजाराम अग्रवाल, भरत अग्रवाल, किशोर मित्तल, रुचिका मित्तल, रितेश मित्तल, नीलेश अग्रवाल ने बताया कि करीब 12 हजार से 13 हजार पुणेवासियों की भागीदारी से यह वस्त्र और साडी बुनी गई है।
दो धागे श्रद्धा के’ य उपक्रम 6 से 15 जनवरी तक गया था. इसी पहल के तहत यह वस्त्र बुना गया है.22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की स्थापना होगी. इसके लिए वाघोली में सत्यनारायण क्लॉथ स्टोअर्स द्वारा कपड़ा बुना गया है। इस काम के लिए हस्तकला के कारीगरों को भी काम पर रखा गया था। साथ ही इस मौके पर वाघोली व पुणेवासियों को रामलला के लिए तैयार किए गए वस्त्र बुनने का मौका भी दिया गया.
इस पहल के तहत हर किसी को हस्तकला मशीन पर दो धागे बुनने का मौका मिला है । इसके जरिए रामलला की सेवा करने का भी मौका मिल रहा है. दो धागे श्रद्धा के कहते हुए कई वाघोली के पुणेवासी उत्साहपूर्वक इस परिधान को बुनने के लिए आगे आए्। यह जानकारी किशोर मित्तल ने दी.
रुचिका मित्तल ने यह भी बताया कि, वाघोली में सत्यनारायण क्लॉथ स्टोअर्स में अयोध्या से आये अक्षत कलश को दर्शन के लिए रखा गया है और उन्होंने कहा कि हम अपने भंडार में हर ग्राहक का स्वागत भगवा वस्त्र पहनकर और जय श्री राम कहकर कर रहे ह््ैं।
राजाराम अग्रवाल ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, अयोध्या से आए अक्षत कलश, रामलला के वस्त्र, माता सीता की साड़ियों ने हमारे भंडारों में मंदिर जैसा सुखद माहौल बना दिया है और अक्षत कलश देखने और वस्त्र बुनने आए नागरिकों ने हमारा उत्साह और बढ़ा दिया है। पुणेकर राम के वस्त्र बुनने के लिए भीड कर रहे थे। इसमें हर उम्र के पुणेवासियों ने हिस्सा लिया. वाघोली और उसके आसपास की अधिकांश महिलाओं ने इस गतिविधि में भाग लिया। सत्यनारायण क्लॉथ स्टोअर्स में सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक कपड़े बुनने का काम करते थे. पुणे के लोग इस गतिविधि में भाग ले रहे थे। और रामलला को पुणे से ही सेवा करने का अवसर मिला । पुणेवासियों ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है.