क्या है UP सरकार का कांवड़ कॉरिडोर जिसके लिए काटे जाएंगे 1 लाख पेड़?
उत्तर प्रदेश सरकार कांवड़ यात्रियों को ध्यान में रखकर एक 111 किलोमीटर का गलियारा बना रही है. यह गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर से होकर गुजरेगा. करीब 6 साल पहले जिस कॉरिडोर का ऐलान हुआ, उस पर काम 6 साल के बाद अब जाकर फरवरी में शुरू होने जा रहा. कहां ये मामला अब तक लटका रहा, पर्यावरण और वन मंत्रालय की इसमें क्यों मंजूरी जरूरी थी और इस कॉरिडोर से क्या बदल जाएगा. आइये जानते हैं.
भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने 1 लाख से ज्यादा पेड़ों को काटने की मंजूरी दे दी है. किस बात के लिए? मामला है उत्तर प्रदेश सरकार की महत्त्वकांक्षी कांवड़ कॉरिडोर का. 111 किलोमीटर के इस गलियारे को लेकर योगी आदित्यनाथ की सरकार बहुत पहले से तमाम तरह के अप्रूवल लेने में जुटी थी. उन्हीं में से एक कॉरिडोर के रास्ते में पड़ने वाले पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई भी थी. अब जब भारत सरकार से इसकी इजाजत मिल गई है तो उम्मीद की जा रही है कि लगभग 6 साल पहले जिस गलियारे की घोषणा हुई, उसको लेकर काम फरवरी महीने में शुरू हो जाएगा.
जिन पेड़ों की कटाई होनी है, उनमें 25 हजार के करीब गाजियाबाद, 67 हजार के लगभग मेरठ और तकरीबन 17 हजार पेड़ मुजफ्फरनगर में फैले हैं. कुछ मीडिया रपटों में काटे और उखाड़े जाने वाले पेड़ों की संख्या 1 लाख 10 हजार से भी अधिक बताई गई है. उत्तर प्रदेश के पीडब्ल्यू डिपार्टमेंट को हालांकि इन पेड़ों को उखाड़ने या काटने से पहले करीब 50-50 लाख रूपये मेरठ, मुजफ्फरनगर और गाजियाबाद के फॉरेस्ट डिविजन में जमा करने होंगे. काटे गए पेड़ों की जगह जरूरी पौधा रोपड़ के एवज में पैसा जमा करने का प्रावधान है.
केंद्र सरकार ने तब जाकर दी मंजूरी
दरअसल पर्यावरण को लेकर जो कानून हैं, उसके मुताबिक अगर किसी परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई की जाती है तो संबंधित विभाग या एजेंसी को कहीं और पेड़ लगाने के लिए वैकल्पिक जमीन की व्यवस्था करनी पड़ती है. ऐसे में पहले तो मेरठ, मुजफ्फरनगर और गाजियाबाद ही में पौधे लगाने के लिए जगह तलाशनी शुरू की गई लेकिन जब वहां मुमकिन न हो सका तो उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर इस बाबत जगह मुहैया कराने को कहा.
पीडब्ल्यूडी यानी लोक निर्माण विभाग, जो इस पूरी परियोजना को धरातल पर उतारने में जुटा हुआ है, उसनेपिछले साल जब ललितपुर जिले में तकरीबन 222 हेक्टेयर से अधिक जमीन की पहचान कर ली जहां काटे गए पेड़ों के वास्ते जरूरी पौधा रोपण हो सकता था, तब जाकर परियोजना को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से रफ्ता-रफ्ता मंजूरी मिलनी शुरू हुई.
क्या बदल जाएगा, सरकार का दावा
ये गलियारा मुजफ्फरनगर के पुरकाजी को गाजियाबाद के मुरादनगर से जोड़ेगा. दो लेन वाला यह कांवड़ कॉरिडोर मेरठ के सरधना और जानी के इलाकों से होकर गुजरेगा. सवाल है कि इस गलियारे के तैयार हो जाने से क्या तब्दीली आएगी? सरकारी बयानों को टटोलें तो पता चलता है कि अभी सूरत-ए-हाल ये है कि जो कांवड़ यात्री हैं, वे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और मेरठ के पुराने हाइवे का इस्तेमाल करते हैं.