लोकतंत्र के लिए शिवाजी महाराज का मॉडल आदर्श
इतिहास शोधकर्ता पांडुरंग बलकवडे के विचारः ७ वें राष्ट्रीय देशभक्त साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन
किसानों के कैवारी पंढरी चंदनखेडे को जीवनगौरव पुरस्कार से नवाजा
पुणे : “२१वीं सदी में छत्रपति शिवाजी महाराज का मॉडल लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण के लिए आदर्श है. इसके लिए उनके आदर्श पर आधारित समाज का निर्माण करना चाहिए. ऐसा समाज जो किसी भी बलिदान और संघर्ष के लिए प्रतिबद्ध है. राष्ट्र, समाज और संस्कृति की रक्षा के लिए सिद्ध हो इससे भयमुक्त, आतंक मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त, नशा मुक्त और वैज्ञानिक लेकिन धार्मिक सुसंस्कृत समाज का निर्माण होगा. ऐसे विचार सातवें देशभक्ति साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष एवं भारतीय इतिहास अनुसंधान समिति के सचिव पांडुरंग बलकवडे ने रखे.
महाराष्ट्र राज्य साहित्य एवं संस्कृति मंडल, मुंबई और कर्नाला चैरिटेबल ट्रस्ट, पुणे द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ७वें राष्ट्रभक्ति साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन साधना विद्यालय, हडपसर में हुआ. उस समय अध्यक्षीय भाषण में वे बोल रहे थे.
इस मौके पर धर्मादाय सह आयुक्त सु.मु. बुक्के उद्घाटनकर्ता के रूप में उपस्थित थे. साथ ही स्वागताध्यक्ष डॉ. सुहास पायगुडे, वरिष्ठ लेखिका चंद्रलेखा बेलसरे, रवींद्र बेडकीहाल, शिक्षाविद अनुराधा निकम और विश्व प्रसिद्ध परामर्शदाता डॉ. महेश अभ्यंकर, कर्नल सचिन रानडे, साधना विदयालय के प्राचार्य डी.जी. जाधव विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे.
साथ ही एड. नंदिनी शहासने, देशभक्त कोषाकार चंद्रकांत शहासने एवं मंजिरी शहासने उपस्थित थे.
यहां पर चंद्रपुर के पंढरी सीतारामजी चंदनखेडे को स्व. शांताराम भाऊशेट शहासने जीवनगौरव पुरस्कार से नवाजा गया. सम्मान पत्र, शॉल, श्रीफल यह पुरस्कार का स्वरूप है.
पांडुरंग बलकवडे ने कहा, यदि देश का कोई भी समाज महाराज की प्रेरणा को स्वीकार कर ले तो वह समाज महान बन जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबिक, राज्य सरकार ने महाराष्ट्र में ६ स्थानों पर छत्रपति शिवाजी महाराज के भव्य स्मारक बनाने की पहल की है. इसके लिए ३०० करोड रूपये की बडी योजना बनाई गई है. सिंदखेड राजा, रामटेक और मुंबई जैसी अन्य जगहों पर माता जिजाऊ का स्मारक बनाया जाएगा. इन सभी कार्यो के लिए प्रसिद्ध वास्तुकार ओजस हिरानी केवल १ रुपये की फीस पर काम करेंगे.
सु.मो बुक्के ने कहा, समाज में किसी भी समस्या के समाधान के लिए अपना काम ईमानदारी से करें. यहीं सच्ची देशभक्ति हैं. स्वयं को ऊंचा उठाते हुए राष्ट्र को ऊंचा उठाएं.
डॉ. महेश अभ्यंकर ने कहा, शब्दों में शक्ति होती है. इसलिए छात्रों को भाषा का ज्ञान बढ़ाना चाहिए. शिवाजी महाराज के समय हर हर महादेव, गांधीजी के समय चले जाओ, स्वामी विवेकानंद ने भाइयों और बहनों जैसे कई शब्दों से देश में जादू पैदा किया. छात्रों को अपने कौशल को बढ़ाना चाहिए . सक्सेस से अधिक एक्सलेन्स को महत्व दिया जाए.
पुरस्कार पर प्रतिक्रिया देता हुए पंढरी चंदनखेडे ने कहा, समाज को अच्छे काम करने वाले व्यक्ति की जरूरत है. समाज हमेशा हमारे काम पर ध्यान देता है. इससे हमें प्रेरणा और उत्साह मिलता है. मनुष्य को हमेशा माता, पिता, गुरु, भगवान, समाज और राष्ट्र का ऋण चुकाना चाहिए.
इसके बाद, कर्नल वी.पी. खड़गे, कर्नल सचिन रानडे, चंद्रलेखा बेलसरे, अनुराधा निकम ने अपने विचार रखे.
डॉ. पायगुडे ने प्रस्तावना रखी. एड. नंदिनी शहासने ने स्वागत पर भाषण दिया. सूत्रसंचालन एवं आभार देशभक्तकोषाकार चंद्रकांत शहासने ने किया.