कर्म, ज्ञान और भक्ति योग से मनुष्य सुखी होता
डॉ. निशिकांत श्रोत्री के विचार:
लेखक डॉ. प्रचिति पुंडे की पुस्तक ’वेलनेस रिडिफाइन’ का विमोचन
पुणे,: “मन करारे प्रसन्न सर्व सिद्धिचे कारण” के अनुसार हर इंसान खुश रह सकता है. इसके लिए कर्म, ज्ञान और भक्ति योग बहुत महत्वपूर्ण हैं. कर्म योग में सेवा महत्वपूर्ण है और अहंकार त्याग देना चाहिए. तभी मनुष्य शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर प्रसन्न रहता है. ऐसे विचार वरिष्ठ साहित्यकार डॉ निशिकांत श्रोत्री ने व्यक्त किये.
तितिक्षा इंटरनेशनल और प्रोलक्स प्रोडक्शंस द्वारा आयोजित पहला अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य और सांस्कृतिक सम्मेलन पुणे के जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक भवन में संपन्न हुआ. इस समय लेखिका डॉ. प्रचिति पुंडे द्वारा लिखित पुस्तक ’वेलनेस रिडिफाइंड’ का विमोचन किया गया. इस वक्त बतौर मुख्य अतिथि के रूप में वे बोल रहे थे.
इस अवसर पर डॉ. आशुतोष मिसाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. इसके अलावा जापान से डॉ. कोटा नागुची, लेखिका डॉ. प्रचिति पुंडे और तितिक्षा इंटरनेशनल फाउंडेशन की प्रिया दामले मुख्य रूप से उपस्थित थीं.
साहित्य के क्षेत्र में आजीवन योगदान के लिए मधुसूदन घाणेकर, सामाजिक, साहित्यिक, काव्य, रंगमंच, सेवा एवं एनजीओ कार्यकर्ताओं तथा आर.के.मीडिया के निदेशक रामहरी कराड को शॉल एवं प्रशस्ति पत्र देकर विशेष रूप से सम्मानित किया गया.
डॉ.निशिकांत श्रोत्री ने कहा, डब्ल्यूएचओ ने शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर विस्तार से बताया है. आध्यात्मिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है. अध्यात्म याने अधि आत्मा, ब्रह्मतत्व का पालन ब्रह्मांडीय ऊर्जा द्वारा किया जाता है इस संदर्भ में विस्तृत से बताया है. इसी तरह धन्वतरि, शुश्रुत, चरक और शारंगधर सभी पहले चिकित्सा विद्वान हैं.यह पुस्तक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सर्वोत्तम है और सभी के लिए लाभदायक होगी.
डॉ. प्रचिति पुंडे ने कहा, यह पुस्तक ग्लैमर और स्वास्थ्य के अभूतपूर्व मिश्रण के माध्यम से ग्लैमवेल को पूरी दुनिया से परिचित कराएगी. ग्लैमवेल दर्शन “२:२ ह्यूमन कोकोरो अवधारणा पर आधारित है. वेलनेस, वेलबिइंग और ऑप्टिमल ह्युमन हेल्थ में बड़ा अंतर ला सकती है. वर्तमान समय में मनुष्य स्वयं को अलग-थलग कर रहा है तब ग्लैमवेल महत्वपूर्ण होगा.
डॉ. सतीश मिसाल ने कहा, भगवद गीता और वेलनेस का बहुत गहरा संबंध है. डॉ. पुंडे ५५०० मामलों को संभालने के अपने अनुभव से वेलनेस की अवधारणा लेकर आए. आज कॉरपोरेट सेक्टर में सबसे ज्यादा जोर शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर है. तकनीक के युग में हर व्यक्ति दुखी है, यह किताब खुशियों का द्वार खोलेगी.
कोटा नागुची ने कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान में हैप्पी साइंस का उदय हुआ. उसके बाद यह महसूस किया गया कि ७० से ८० प्रतिशत लोग मानसिक और बौद्धिक तनाव के कारण ही बीमार पड़ते हैं. इसके लिए प्यार, सम्मान और सकारात्मक दृष्टिकोण को सब लोग अपनाएं.
प्रिया दामले ने कहा, मुस्कुराते हुए स्वस्थ रहना आसान स्वास्थ्य है. डॉ. पुंडे ने अपनी पुस्तक में प्रस्तुत किया है कि सुखी जीवन जीने के लिए किन बातों को स्वीकार करना चाहिए या नही.
इस अवसर पर रमेश पाचांगे ने सुंदर चौघड़ा बजाया. अजीत जाधव ने गाना गाया. साक्षी ने प्रोलक्स और ग्लोमोवेल के बारे में जानकारी दी और बताया कि आधुनिक समय में यह कितना महत्वपूर्ण है
सूत्रसंचालन एवं आभार मोनिका मोजकर ने किया.