राजा भैया के खिलाफ मामला वापस लेने पर नया आदेश जारी करे विशेष अदालत’
यह मामला अपहरण और जानलेवा हमले से जुड़ा है. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि राजनीतिक कारणों से 2010 में तत्कालीन बसपा की सरकार के दौरान उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, विधान पार्षद अक्षय प्रताप सिंह और अन्य के खिलाफ मुकदमा वापस लेने का अनुरोध करने वाली राज्य सरकार की याचिका पर नया आदेश पारित करने के लिए मामले को विशेष एमपी/एमएलए अदालत को भेज दिया. यह मामला अपहरण और जानलेवा हमले से जुड़ा है. पीठ ने सांसद- विधायक (एमपी-एमएलए) अदालत को फैसले में की गई टिप्पणियों पर विचार करते हुए नया आदेश पारित करने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने राजा भैया (Raja Bhaiya) और अन्य की ओर से भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया. याचिकाकर्ताओं ने विशेष अदालत के 17 मार्च, 2023 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत उसने मामला वापस लेने की राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी थी. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि राजनीतिक कारणों से 2010 में तत्कालीन बहुजन समाज पार्टी (बसपा)की सरकार के दौरान उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. उक्त मामले को तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने चार मार्च 2014 को वापस लेने का फैसला किया.
हालांकि, विशेष अदालत ने 17 मार्च, 2023 को राज्य सरकार के आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अपराध गंभीर प्रकृति की थी और इसे वापस लेने की अनुमति देने में कोई सार्वजनिक हित नहीं है. मामले में अपने नवीनतम आदेश में उच्च न्यायालय ने कहा कि पेश साक्ष्यों में कोई ठोस सबूत नहीं है जो अभियोजन के आरोपों को साबित करने का कारण बने. पीठ ने कहा, ‘जिन व्यक्तियों के खिलाफ मामला वापस लेने का अनुरोध किया गया है, उनके खिलाफ मुकदमा जारी रखने से स्पष्ट रूप से कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा.’
पीठ ने यह भी पाया कि शिकायतकर्ता, बसपा नेता मनोज शुक्ला को भी मुकदमे की सुनवाई जारी रखने में कोई दिलचस्पी नहीं थी और उन्होंने इसे वापस लेने का समर्थन किया है. अदालत ने कहा, ‘इन परिस्थितियों में लोक अभियोजक की ओर से मामले की उपरोक्त कमजोरियों और विसंगतियों के मद्देनजर मुकदमा वापस लेने का निर्णय तर्क पर आधारित है.’
इस मामले में 19 दिसंबर 2010 को शुक्ला की शिकायत पर प्रतापगढ़ के कुंडा पुलिस में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. जांच के बाद, पुलिस ने तीन जनवरी, 2011 को आरोप पत्र दायर किया था. राज्य सरकार ने 17 मार्च, 2014 को मामला वापस लेने के लिए एक अर्जी दी. राजा भैया जनसत्ता दाल लोकतान्त्रिक पार्टी के अध्यक्ष है जिसकी स्थापना उन्होंने 2018 में की थी.