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लालूप्रसाद यादव का काला इतिहास बहुत कुछ पाकर सबकुछ खो दिया,thelankadahan

बिहार का जब भी नाम लिया जायेगा तब लालूप्रसाद यादव का नाम तो ज़रूर आएगा,बिहार की राजनीति में दमखम रखने वाले लालूप्रसाद यादव इन दिनों जेल में सजा काट रहे है, लालूप्रसाद यादव एक ऐसे मुख्यमंत्री रहे है जिनपर बिहार को जंगलराज बनाने का आरोप लगातार लगता रहता  है, गौरतलब हो की लालूप्रसाद यादव चोर की भूमिका में भी सक्रीय रहे है जिहोने गायो और भैसो का सारा चारा ही बेच दिया था,लालूप्रसाद यादव  ने जातिविशेष के लिए काम किया,घोटाला किया और करवाया वरना सड़क से शुरुवात करने वाला नेता इत्ता अमीर कैसे बन गया खैर सारे नेता ऐसे ही है,गौरतलब हो की लालूप्रसाद यादव ने अपने अनपढ़ 12th पास बच्चे को बिहार का स्वास्थमंत्री बना दिया, वाह रे पुत्रमोह,

जानिए लालू के सियासी सफर के बारे में  

बात करने के दिलचस्प अंदाज के लिए मशहूर लालू प्रसाद यादव भारत ही नहीं विश्‍वभर में जाने जाते हैं. बिहार की राजनीति में अहम मुकाम रखने वाले लालू प्रसाद देश के सफल रेलमंत्रियों में से एक माने जाते हैं. लालू प्रसाद यादव का बयानबाजी का उम्दा अंदाज और बेबाकी उन्हें सब नेताओं से अलग रखता है. जानिए लालू प्रसाद यादव के जीवन का सफर.

1.लालू प्रसाद यादव का जन्‍म 11 जून 1947 को बिहार के गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में हुआ.
2.इनकी शुरुआती पढ़ाई गोपालगंज से हुई और कॉलेज की पढ़ाई के लिए वे पटना आए. पटना के बीएन कॉलेज से इन्‍होंने लॉ में ग्रेजुएशन की. और राजनीति शास्‍त्र में स्‍नातकोत्‍तर की पढ़ाई पूरी की.
3. लालू प्रसाद कॉलेज के दिनों में ही राजनीति में कूद गए थे. इनकी शुरुआत छात्र नेता के रूप में हुई. इसी दौरान जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़े और यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई.
4. 29 वर्ष की आयु में ही वे जनता पार्टी की ओर से छठीं लोकसभा के लिए चुन लिए गए.
5. एक जून 1973 को इनकी शादी राबड़ी देवी हुई. लालू प्रसाद की कुल 7 बेटियां और 2 बेटे हैं.
6. लालू प्रसाद 10 मार्च 1990 को पहली बार बिहार के मुख्‍यमंत्री बने. 1995 में एक बार फिर लालू ने मुख्‍यमंत्री पद संभाला.
7. 1997 में लालू प्रसाद ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल का निर्माण किया और खुद उसके अध्‍यक्ष बने.
8. 2004 में यूपीए की सरकार में लालू प्रसाद रेलमंत्री बने.
9. लालू प्रसाद 8 बार बिहार विधानसभा के सदस्‍य भी रह चुके हैं.
10. 1997 में जब सीबीआई ने उनके खिलाफ चारा घोटाला मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया तो यादव को मुख्यमंत्री पद से छोड़ना पड़ा. अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंपकर वे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बन गए. 3 अक्टूबर 2013 को पांच साल की कैद व पच्चीस लाख रुपये के जुर्माने की सजा हुई.
11.इसके कारण रांची जेल में सजा भुगत रहे लालू प्रसाद यादव को लोक सभा की सदस्यता भी गंवानी पड़ी. भारतीय चुनाव आयोग के नए नियमों के अनुसार लालू प्रसाद अब 11 साल तक लोक सभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

लालू यादव का सियासी सफर

हाशिए से यह उनका नया सियासी सफर है, जब पिछड़ों के नेता ने एक महागठबंधन के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई। बिहार का यह राजनीतिक समीकरण भारी पड़ा और इसने महाबंधन के पक्ष में वोटों की बरसात ला दी। छात्र राजनीति से अपना सियासी सफर शुरू करने वाले 67 वर्षीय नेता 1970 के दशक की शुरुआत में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव बने। इसके बाद वह छात्र संघ के अध्यक्ष बने।

वर्ष 1974 में बिहार और गुजरात में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ जोरदार आंदोलन हुए। इन आंदोलनों में लालू का कद बढ़ा। यह बात व्यापक रूप से मानी जाती है कि लालू ने ही उस वक्त राजनीतिक संन्यास का जीवन बिता रहे समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण को रजामंद कराया कि वह छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के आंदोलन का मार्गनिर्देश करें।

छात्रों के आंदोलन ने जोर पकड़ा और 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लागू होने के बाद यह देश के विभिन्न कोनों में फैल गया। आंदोलन की परिणति 1977 में केन्द्र में पहली गैर कांग्रेस सरकार के निर्माण में हुई। उस वक्त लालू 29 साल के थे। उन्होंने पहली बार 1977 में लोकसभा चुनाव जीता। बहरहाल, दो साल बाद 1979 में वह तब चुनाव हार गए, जब कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की। 1980 और 1985 में वह बिहार विधानसभा के लिए चुने गए। 1989 में वह दूसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए। तब बोफोर्स घोटाला के खिलाफ देश भर में कांग्रेस विरोधी लहर थी और वीपी सिंह ने नेशनल फ्रंट सरकार बनाई थी।

अगले ही साल, 1990 में, बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल को जीत मिली। तब वीपी सिंह ने मुख्यमंत्री के पद के लिए रामसुंदर दास का पक्ष लिया था जबकि चंद्रशेखर रघुनाथ क्षा के पक्ष में थे। ऐसे में लालू ने हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल को इस पद के लिए आंतरिक चुनाव कराने पर रजामंद कराया। करपुरी ठाकुर के निधन के बाद विपक्ष के नेता बने लालू का मानना था कि इस पद पर उनकी स्वाभाविक दावेदारी है। उन्हें इसमें जीत मिली और उन्होंने बिहार की कमान संभाली। इसके बाद लालू ने कभी मुड़ कर नहीं देखा।

इसी बीच भाजपा के बाहरी समर्थन से गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे वीपी सिंह ने मंडल आयोग की रिपोर्ट पेश कर दी और अन्य पिछडे वर्ग के लिए 27 प्रतिशत के आरक्षण की घोषणा कर दी। यह जनता दल के पक्ष में ओबीसी वोटों को मजबूत करने और हिंदुओं के बीच भाजपा के बढ़ते प्रभाव को रोकने की एक कोशिश थी। इसी के साथ मंडल बनाम कमंडल की राजनीति की शुरुआत हुई।

जब भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राममंदिर के निर्माण के मुद्दे पर 1990 में रथयात्रा निकाली, तो लालू ने बिहार के समस्तीपुर में उनका रथ रोका और आडवाणी को गिरफ्तार किया। उससे उन्हें 1989 के भागलपुर दंगे से स्तब्ध मुसलमानों का व्यापक समर्थन मिला। अब मुसलमानों और ओबीसी का कांग्रेस का विशाल जनाधार लालू के साथ था और उन्होंने वस्तुत: किसी जागीरदार की तरह बिहार पर राज किया। उनपर अपराध और अराजकता को बढ़ावा देने के आरोप लगे। उनके विरोधियों ने उनपर जंगल राज के आरोप लगाए, लेकिन लालू ने मोहम्मद शहाबुद्दीन और पप्पू यादव जैसे लोगों की खुली हिमायत की।

लालू को 1996 में चारा घोटाला के मामलों का सामना करना पड़ा। अगले, साल जब सीबीआई उनकी गिरफ्तारी के लिए वारंट लाई, तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। उनके हटने पर उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं। राबड़ी देवी ने अगले आठ साल तक बिहार का शासन संभाला। 2005 में नीतीश कुमार ने उन्हें सत्ता से हटाया। उनके नेतृत्व में जद (यू)-भाजपा गठबंधन सत्ता में आया।

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