योगी सरकार के सात साल: घरों में संपत्ति विवाद खत्म करने की पहल, किसानों के साथ फ्राड पर लगा अंकुश
विशाल समाचार संवाददाता लखनऊ रजिस्ट्री विभाग ने संपत्ति विवाद खत्म करने की रूपरेखा तैयार की। इसे घरों में सौहार्द्र बढ़ाने, किसानों को ठगी से बचाने व महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के प्रयास किए गए।
एक तरफ बुनियादी विकास, औद्योगीकरण और रोजगार को लेकर उठाए गए कदमों ने प्रदेश की तस्वीर बदली तो दूसरी तरफ संपत्ति को लेकर घर-घर में चल रहे झगड़े खत्म करने और बिल्डरों के चंगुल में फंसकर धोखे का शिकार किसानों को बचाने के लिए बड़े फैसले लिए गए। रक्त संबंधों में केवल पांच हजार रुपये की रजिस्ट्री का असर ये हुआ कि प्रापर्टी से जुड़े ढाई लाख विवाद खत्म हो गए। इसी तरह रक्त संबंधों के बाहर पावर ऑफ अटार्नी करने पर सात फीसदी स्टांप शुल्क लगाकर किसानों को फ्राड से बचाने की पहल की गई।
गांव से लेकर शहर तक में संपत्ति से जुड़े झगड़े खत्म करने की रूपरेखा स्टांप और रजिस्ट्री विभाग ने तैयार की। स्टांप एवं रजिस्ट्री मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल के मुताबिक घरों में सौहार्द्र व भाईचारा बढ़ाना, किसानों को ठगी से बचाना और महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना ही इन नीतियों का मकसद है।
पुश्तैनी जमीन के लाखों विवाद एक झटके में होंगे खत्म
पुश्तैनी जमीन से जुड़े लाखों मामले दशकों से अदालत में फाइलों में दबे हैं। बंटवारा न होने से भाई-भाई का दुश्मन हो गया है। इस कटुता को खत्म करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके मुताबिक जिस जमीन पर पूरे खानदान के जितने दावेदार होंगे, सभी को एक साथ बुलाकर मौके पर बंटवारा कर दिया जाएगा। इसके एवज में सिर्फ पांच हजार रुपये स्टांप शुल्क लिया जाएगा।
अभी बंटवारे के तीन रास्ते, तीनों ही पेंचीदा
– मान लीजिए एक 100 साल पुरानी पुश्तैनी जमीन है। जिसकी कीमत एक करोड़ रुपये है। उस पर खानदान के 36 लोग दावेदार हैं। तो अभी बंटवारे के ये तीन रास्ते हैं। पहला रास्ता, सभी तहसील में जाएंगे। वहां कुटुंब का रजिस्टर बनेगा। बताना होगा कि 36 लोग दावेदार हैं और आपस में तय किया है कि कौन सा परिवार उस जमीन के कितने हिस्से में रहेगा और कहां रहेगा। अब जमीन की नापजोख के लिए लेखपाल को लगाया जाता है। वहीं से मामला लटकने लगता है। दस साल से चालीस साल तक लग जाते हैं।