Uncategorized

आए दिन सस्पेंड होते हैं DM, आपको पता है सस्पेंड होने से जिलाधिकारी की नौकरी पर क्या फर्क पड़ता है?

प्रतीकात्मक तस्वीर)

त्रिपुरा : लगभग एक हफ्ते बात है. त्रिपुरा के एक DM यानि जिलाधिकारी बड़े चर्चा में रहे. वजह ये थी कि जिस खराब तरीके से उन्होंने कोरोना के कारण एक शादी रुकवाई वो बिल्कुल सही रवैया नहीं था. उस जिलाधिकारी का नाम था शैलेश कुमार यादव जिन्होंने न सिर्फ पंडित को थप्पड़ मारा, शादी में आए हुए लोगों को धमकाया, कुछ को जेल भेजा बल्कि पुलिस अधिकारियों से भी बदसलूकी की. फिर क्या था, इधर उनका सोशल मीडिया पर वीडियो जारी हुआ, उधर सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया. बस तभी से ये सवाल दिमाग में घूम रहा है कि किसी भी अधिकारी को सस्पेंड कर देने से क्या वाकई कुछ होता है, या सिर्फ ये खानापूर्ति है. इसलिए हम आपको इस खबर में बता रहे हैं जिलाधिकारी के बारे में, अगर वह सस्पेंड कर दिया जाए तो….
क्या फर्क पड़ता है?
वैसे तो देश के सभी राज्यों में आए दिन कोई न कोई DM सस्पेंड होता ही रहता है. इस पर भारत सरकार के पूर्व रिटायर्ड अधिकारी ओम प्रकाश गुप्ता कहते हैं कि सस्पेंड कोई सजा नहीं है. अगर किसी अधिकारी ने कोई गलत काम किया है, तो उसे ड्यूटी से हटाने के लिए दो ही तरीके होते हैं. या तो ट्रांसफर या फिर सस्पेंड. अगर किसी जिलाधिकारी ने कोई गलत काम किया है तो या तो उसे कारण बताओ नोटिस दिया जाएगा या गलती बड़ी है तो फिर चार्जशीट. अगर चार्जशीट दे दी, तो फिर जांच चलती रहती है. हां, अगर जांच के बाद अधिकारी की गलती साबित हो गई तो उसकी गलती के अनुसार तीन चार चीजें हो सकती हैं. पहला, चेतावनी देकर छोड़ दिया जाए. दूसरा, उसे सीनियर अधिकारियों की डांट पड़े. तीसरा, उसका इन्क्रीमेंट रोक दिया जाए आदि. अगर गलती बहुत ज्यादा बड़ी है, तो पदमुक्त करने की कार्रवाई भी की जा सकती है.
सस्पेंड होने पर मिलता है वेतन
ओम प्रकाश गुप्ता कहते हैं कि जितने दिन अधिकारी सस्पेंड रहता है वह आराम करता है, जब तक कि उसे नई पोस्टिंग न दी जाए. इस दौरान घर बैठे वेतन देना पड़ता है इसलिये महीने-दो महीने में सस्पेंशन खत्म कर के जिलाधिकारी को पद पर बहाल कर दिया जाता है.
प्रमोशन में देरी
सस्पेंड होने के बाद एक और मुश्किल जो हो सकती है, वो है प्रमोशन में देरी. मान लो कोई जिलाधिकारी बार-बार सस्पेंड हो रहा है, तो उसकी वार्षिक रिपोर्ट में प्रतिकूल प्रविष्टि कर दी जाती है. ऐसा होने पर मूल्यांकन में ग्रेडिंग कम हो सकती है. इस स्थिति में प्रमोशन में देरी जरूर हो सकती है.
सबसे ज्यादा ट्रांसफर होने वाले IAS अधिकारी
वैसे इस मामले में अभी तक हरियाणा कैडर के IAS अधिकारी अशोक खेमका का रिकॉर्ड है. अपने 28 साल के करियर में उन्हें 53 बार ट्रांसफर किया गया.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button