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विनम्र श्रद्धांजलि (भोग) !! (पुणे के प्रथम सिख महापौरः सरदार मोहन सिंह राजपाल)

विनम्र श्रद्धांजलि (भोग) !! (पुणे के प्रथम सिख महापौरः सरदार मोहन सिंह राजपाल)

.. सतीगुर प्रसादी.

वाहिगुरु जी का खालसा, वाहिगुरु जी की फतेह ।।

भलो भलो रे कीस्तनीआ। राम रमा रामा गुन गाउ । छोड़ि माइआ के धंद्य सुआउ ।।

(भाग नं. 885) संगत जी, आज दिनांक 03/05/2024

दिबस हम एक ऐसी महान विभूति को अनुपूरित गद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। जिन्होंने अपनी पूरी आयु में परोपकार करते हुए समाज सेवा और गुरबाणी को अपनी सांस-सांस में आत्मसात कर, संपूर्ण पुणे के सिख समाज ही नहीं अपितु जात-पात का भेद ना करते हुए पूरे पुणे के समाज की निष्काम सेवा की थी। हरमन प्यारे, महान निष्काम, समर्पित सेवादार, उत्तम समाजसेवी, राजनीति के चाणक्य, गृहस्थ आगम में रहते हुए भी कर्मठ धर्मबोगी, हठयोगी स्वर्गीय पुणे के प्रथम सिख महापौर सरदार मोहन सिंह जी राजपाल (बाबू जी) जी की मीठी स्मृतियों को ताजा करते हुए गढ़ा के सुमन पुणे का पूरा सिख समुदाय, राजनीतिक पार्टियां, सांस्कृतिक संगठन और आम नागरिक अपनी अंजूरी के पुष्पों से अर्पित कर रहा है। देश के विभाजन के पहले ही आपका राजपाल परिवार सन १९४३ ई. में ही पुणे में स्थानांतरित हो गया था। आप का जन्म १५ जून सन १९४७ ई. को हुआ था, आपकी विद्यालयिन और महाविद्यालविन शिक्षा मी गुरु नानक स्कूल एवं पुणे के बाडिया महाविद्यालय में संपन्न हुई थी। बाडिया महाविद्यालय में अध्ययन करते समय प्रसिद्ध फिल्म दिग्दर्शक शेखर कपूर और फिल्मी कलाकार राकेश रोशन आप जी के सहपाठी रहे हैं। अस्खलित मराठी भाषा के उत्तम वक्ता, मृदभाषी और पंजाबी भांगड़ा कला में पारंगत बाबू जी, बिना किसी मतलब और भेदभाव से, सम्मान पूर्वक सामाजिक सेवाओं में सराबोर होकर, पुणे के आम जन समुदाय में बखूबी कार्य करने के लिये हमेशा उत्साहित रहते थे। आप जी ने जीवन में हर जरूरतमंद की सर्वोपरि मदद करना अपना परम धर्म और कर्तव्य समझा था। एक साधारण सेवादार के रूप में आप जी ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से पूरे समाज की उन्नति के लिए अभूतपूर्व सेवाएं की थी। आप जी द्वारा अर्पित यह सभी सेवाएं आने बाली पीढ़ी के लिए कांक्रीट विरासत साबित होंगी। चुनाव में असफल होने के पश्चात भी आपने लगातार अपनी सामाजिक सेवाओं को जारी रखा था और सन २००२ ई. के महानगरपालिका के आम चुनाव में आप राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की और से पहली बार ५ मार्च सन २००२ ई. को पुणे महानगरपालिका में चुन कर, प्रथम सिख पार्षद/नगरसेवक होने का सम्मान प्राप्त किया। आप जी की कर्तव्य

निष्ठा को देखते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सर्वेसर्वा आदरणीय शरद पवार साहेच जी ने आप जी पर संपूर्ण विश्वास दिखाते हुए १ दिसंबर सन २००९ ई. को पुणे महानगरपालिका के महापौर पद के रूप में मनोनीत करवाया था। आप जी ने अपने महापौर पद के कार्यकाल में पुणे शहर के सभी सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर लगभग ११००० कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति अंकित करवाई थी, जो कि एक रेकॉर्ड है। आप जी महाराष्ट्र सरकार के पूर्व आबकारी मंत्री स्वर्गीय श्री बसंत राव जी चव्हाण को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा गणेश पेठ की पार्किंग समस्या के निराकरण के लिए आप जी सतत प्रयत्नशील रहे थे और आप जी के प्रयत्नों के कारण ही इस सीमेंट कंक्रीट की अति विशाल पार्किंग को तैयार करवाने के लिए महाराष्ट्र शासन के बजट में से आप जी ने निधि उपलब्ध करा कर, इस कठिन समस्या का अपने कार्यकाल में निराकरण किया था। जिसके लिए पुणे का सिख समाज आपका हमेशा कणी रहेगा। प्रथम सिख महापौर के पद पर कार्य करते हुए आपने अपनी कर्तव्य निष्ठा, धर्मनिष्ठा और निष्काम सेवाओं के माध्यम से समाज सेवा कर हमेशा अपने कुशल नेतृत्व और प्रखर प्रज्ञा का परिचय दिया था। निश्चित ही आप दूसरों के कष्टों को पर्वत और स्वयं के कष्टों को गौण मानते थे, आप ने तहे जीवन सिख मान मर्यादाओं को हमेशा उचित सम्मान दिया था। आप ने अपनी कर्मठ सेवाओं से पुणे के सिख सेवादारों को नई दिशा और दशा दी थी। पुणे में आयोजित सन २००८ ई. में विशताब्दी गुरता गद्दी का कार्यक्रम, आप जी के ही नेतृत्व में सफलतापूर्वक संचालित हुआ था। जिसे पुणे की सिख संगत आने वाले कई वर्षों तक बाद रखेगी। आप ही के नेतृत्व में पुणे शहर में शरद उत्सव और बैसाखी महोत्सव जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों को विशेष पहचान मिली थी। इतिहास गवाह है कि पुणे मेट्रो की प्रथम आधारशिला बाबूजी के कार्यकाल में उन्हों के कर कमलों से रखी गई थी। सच जानना….. आप पुणे शहर के नागरिकों की जान थे, शान थे। हम सभी सेवादारों को आप के द्वारा की गई सेवाओं पर अभिमान हैं। जिस प्रकार से आप जी ने अपने हरफन मौला किरदार से राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाया, उनका यह व्यक्तित्व निश्चित ही अपने परिवार और पुणे के सिख सेवादारों की मजबूत आधारशिला है। पुणे शहर में अपने महापौर पद के कार्यकाल में आप जी अनेक आर्थिक स्थिति से दुर्बल नागरिकों की महापौर निधि के द्वारा

महत्वपूर्ण मदद की थी। खासकर आर्थिक स्थिति से कमजोर महिलाओं के संवर्धन के लिए

सिलाई मशीन प्रदान कर उन्हें उत्तम मदद की थी। एक निष्काम सेवादार के रूप में आर्थिक

स्थिति से कमजोर लोगों की मदद करने के लिए आप हमेशा तत्पर रहते थे। अपने महापौर पद

के कार्यकाल के दौरान आप जी ने अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज के उत्थान और संवर्धन के लिए अनेक परोपकारी कार्यों को किये था जिसकी मिसाल आज भी पुणे के नागरिक खुले मन से देते हैं। आप जी ने अपने मित्र गी सुनील माळी जी के सहयोग से महाराष्ट्र के मराठी कलाकारों के लिए, विशेष उपक्रमों के तहत भरपूर मदद की थी। मराठी कलाकारों के साथ आप जी का अत्यंत स्नेह था। आप जी इन मराठी कलाकारों की मदद के लिए हमेशा उत्साहित रहते थे। सिख गुरुओं के आचरणों पर सच्चाई से चलते हुए, आप जी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के आदशों को आत्मसात करते हुए, पुणे के नागरिकों के हित में कई कठोर निर्णय लिए थे। वह हमेशा कहते थे कि समाज हित में निर्णय लेते हुए यदि मेरा महापौर पद भी चला गया तो में कभी भी पीछे नहीं हटूंगा। आप जी ने हमेशा शाहु, फुले, आंबेडकर के विचारों पर कड़क पहरा दिया था। गुरबाणी की सीख पर चलते हुए आप जी ने कभी जात-पात का भेदभाव नहीं किया था और अपनी सेवाओं से सिक्खी मान मर्यादाओं को विशेष आयाम प्रदान किए थे। निश्चित ही में अपनी कलम को बल देकर गुरु साहिब को हाजिर नाजिर मानकर लिख रहा हूँ की बाबू जी,……. आपका था मिलनसार मित्रता पूर्ण व्यवहार, हृदय में सेवा, समर्पण का जज़्बा और करुणा अपार।राष्ट्रवादी कांग्रेस का हर आदेश था उन्हें स्वीकार, ऐसे थे बाबू जी हमारे पुणे के प्रथम सिख महापौर के रूप में निष्काम सेवादार। आप जी पुणे शहर के अत्यंत लाडले महापौर और पुणे सिख समाज की उत्तम आधारशिला थे। आप ने अपने सामाजिक और राजनीतिक कार्यकाल को अपनी मेहनत और हिम्मत से शून्य से प्रारम्भ कर, अनंत ऊंचाइयों के आयाम परिशीलनता से प्रदान किये थे। महापौर पद पर कार्य करते हुए आप का जीवन शक्ती, शील, सहजता, पराक्रम और ज्ञान का मनोहारी चित्रण था। आप के चले जाने से पुणे के सिख समाज में ‘एक क्षितिज का अस्तांचल’ हो गया है। एक गुरमुख का जीवन, एक गुरसिख के जीवन चरित्र की सभी विधाओं का उत्तम संगम हमारे बाबू जी थे। भाई गुरदास जी ने अपनी वाणी में अंकित किया है गुरमुख पर उपकारी विरला आइआ। गुरमुख सुख पाइ आप गवाइआ। गुरमुख साखी शबद सिख सुनाइआ। गुरमुख शबद विचार सच कमाइआ। सच रिदै मुहि सच सच सुहाङआ। गुरमुख जनम सबार जगत तराइआ । (बारा भाई गुरदास जी क्रमांक १९) आज हम

गुरसिख जीवन की एक आदर्श मिसाल, एक

ऐसी महान आत्मा को गद्धा के सुमन अपनी

स्व. सरदार मोहन सिंह जी राजपाल पूर्व महापौरः पुणे महानगर पालिका जन्म: 15/06/1947. अकालचलानाः 28/04/24

अंजूरी से अर्पित कर रहे हैं, जिनका जन्म ही परोपकार के लिए हुआ था। आदरणीय बाबू जी की निष्काम सेवाएँ, हमारे जैसे सेवादारों के लिए निश्चित ही एक आदर्श है। आपका इस तरह से बिछोड़ा दे जाना पुणे के नागरिकों के लिए एक बड़ा आघात है। बाहिगुरु जी के चरणों में अरदास है कि आपको सचखंड में निवास बक्शे। आप जी पिछे से बड़े सुपुत्र सरदार जगजीत सिंह जी राजपाल, पुत्र बघू गुरमीत कौर राजपाल, पोती ज्ञान कौर राजपाल, मझले सुपुत्र स्वर्गीय सरदार राजबीर सिंह जी राजपाल की पत्नी बलमीत कौर राजपाल और पोती राजमीत कौर राजपाल साथ ही छोटे सुपुत्र रमिंदर सिंह राजपाल (सचिवः गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा गणेश पेठ पुणे), पुत्रवधू रवलीन कौर राजपाल और पौत्र अनहद बीर सिंह राजपाल ऐसा बड़ा गुरुसिख परिवार छोड़ गए हैं। पुणे के सिख समाज की इस परिवार से भविष्य के लिए अनेक उम्मीद है। आशा है कि राजपाल परिवार स्व. सरदार मोहन सिंह जी राजपाल जी के दर्शाए हुए मार्ग का अनुसरण कर अपनी सेवाएं समाज के लिए समर्पित करते रहेंगे, साथ ही हम सभी पुणे के नागरिक और पुणे का सिख समाज, पुरे समर्पित भाव से इस दुख की घड़ी में परिवार के साथ है। बाहिगुरु जी पीछे से पूरे परिवार को भाणा मानने का बल उद्यम बकते। निक्षित ही बाबू जी आपके चले जाने से पुणे के सिख समाज

में एक क्षीतिज का अस्ताँचल’ हो गया। बाहिगुरु जी का खालसा। बाहिगुरु जी की फतेह ।।

डॉ रणजीत सिंह अरोरा ‘अर्थ’।

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