इटावा

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एवं समत्त चिकित्सा अधीक्षक एवं प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को ग्रीष्म ऋतु में लू से बचाव हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर दिये

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एवं समत्त चिकित्सा अधीक्षक एवं प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को ग्रीष्म ऋतु में लू से बचाव हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर दिये

 

इटावा विशाल समाचार: मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उ०प्र० शासन लखनऊ के पत्र संख्या जी०आई०-22/पांच-7-2024 चिकित्सा अनुभाग 7 सखमऊ दिनांक 30 मार्च 2024 द्वारा जारी दिशा निर्देश के क्रम में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एवं समत्त चिकित्सा अधीक्षक एवं प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को ग्रीष्म ऋतु में लू से बचाव हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर दिये गये हैं तथा किसी भी संक्रामक रोग की घटना घटित होने पर नजदीकी सरकारी विकित्सालय पर सूचित करें। गर्मी और लू से बचाव हेतु जरूरी कदम-: हीद वेव (लू) के कारण शरीर की कार्यप्रणाली प्रभावित हो जाती है, जिसमें मृत्यु भी ही सकती है इसलिये इससे बचाव बहुत ही जरूरी है। थोड़ी सी सावधानी को अपनाकर इससे बचाव किया जा सकता है।

लू से बचाव के लिए “क्या करें”-:

1- अधिक से अधिक पानी पिये। , पसीना सोखने वाले पतले व हल्के रंग के वस्त्र ही पहनें।,धूप में जाने से बचें यदि धूप में जाना जरूरी हो तो चश्में, छाते. टोपी व चप्पल आदि का प्रयोग करें।,यदि आप खुले में कार्य करते हैं तो सिर चेहरा, हाथ-पैरों को गीले कपड़े से ढके रहे और यदि सम्भव हो तो छाते का प्रयोग करें।,यात्रा करते समय अपने साथ पर्याप्त मात्रा में पीने का स्वच्छ पानी रखें।,ओ0आर0एस0घर में बने हुये पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी (माड), नीबू पानी, छाज आदि का उपयोग करें, ताकि शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सकें। , हीट स्ट्रोक (लू) हीटरेश (घमौरिया) हीट कैम्प (मरोड/ऐठन) के मुख्य लक्षणों में शरीर में कमजोरी का होना, चक्कर आना सिरमें तेज दर्द ऊबकाई आना, पसीना आना और कभी-कभी मूर्धा आना (बेहोसी) प्रमुख है।, यदि मूर्छा या बीमारी का अनुभव करते हैं तो तुरन्त चिकित्सीय सलाह से उपचार लें। , घरेलू पालतू जानवरों को छायादार स्थानों पर रखें और उन्हें पर्यान्त मात्रा में पानी पीने को दें।,अपने घरों को ठंडा रखें. दरवाजे व खिड़कियों पर पर्दे लगवाना उचित होता है। सायकाल व प्राप्त काल के समय घर के दरवाजे ओ खिड़कियों को खोल कर रखें।,श्रम साध्य कार्यों को ठण्डे समय में करने/कराने का प्रयास करें। कार्यस्थल पर पीने के ठण्डे पानी की व्यवस्था करें एवं कर्मियो को सीधे सूर्य की रोशनी से बचाने हेतु सावधान करें। पंखे गीले कपड़ों का उपयोग करें तथा स्नान करें।, गर्भस्य महिलाओं एक वर्ष से कम आयु तथा अन्य छोटे शिशुओं व बड़ी उम्र के लोगों की विशेष देखभाल करें। हृदय एवं उक्त रक्तचाप से ग्रसित व्यक्तियों एवं ब्राह्रा वातावरण में कार्य करने वाले व्यक्तियों को अधिक ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।

लू से बचाव के लिए “क्या न करें”–: बच्चों का पालतू जानवरों को खड़ी कारो /गाड़ियों में ना छोड़े।, यदि संभव हो तो दोपहर 12:00 से अपरान्ह 3:00 के मध्य धूप में निकलने से बचें।, अधिक प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ के प्रयोग से यथासंभव बचें तथा बासी भोजन का प्रयोग ना करें, शराब चाय कॉफी कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक आदि की उपयोग से बचे , गहरे रंग के भारी तथा तंग कपड़े ना पहने तथा जब बाहर का तापमान अधिक हो तो श्रम साध्य कार्य न करें।

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