BJP ऑफिस में बिना सीएम योगी के हो गई कोर ग्रुप की मीटिंग और फिर…यह तो सरेआम गलत है..? क्या योगी को दर किनार करने की तैयारी..पड़ सकती भाजपा को भारी..
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के बीच की खटास को आरएसएस अब कम करने में जुट गई है. पिछले दिनों आरएसएस के कई बड़े नेताओं की बैठकों ने इस ओर इशारा भी किया. वहीं बीते रोज लखनऊ में बीजेपी के दफ्तर में संगठन मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और दोनों डिप्टी सीएम मिले लेकिन यहां योगी आदित्यनाथ मौजूद नहीं थे. अमूमन ऐसी बैठकों में सीएम मौजूद होते हैं. इसकी वजह क्या थी ये जानेंगे.
यूपी तक की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ दिन पहले आरएसएस के दो नेताओं ने सीएम योगी और केशव प्रसाद मौर्य से भी मुलाकात की. वीएचपी नेता ने भी मौर्य से बात की है. इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आरएसएस केशव प्रसाद मौर्य और योगी आदित्यनाथ के बीच की खाई को भरने की कोशिश कर रहे हैं.
कुछ दिन पहले यह भी खबर आई थी कि संघ के सरकार्यवाह अरुण कुमार लखनऊ आने वाले हैं और उसके बाद सबके साथ बैठक करेंगे, लेकिन यह भी नही हो पाया. 2017 में भी कुछ ऐसा ही हुआ था जब केशव प्रसाद मौर्य और योगी के बीच मनमुटाव हुआ था तब आरएसएस के उस वक्त के बड़े अधिकारी दत्तात्रेय होसबोले योगी आदित्यनाथ को लेकर खुद केशव प्रसाद मौर्य के सरकारी आवास पर गए थे. इससे यह तो साफ है कि पहले भी संघ मध्यस्थता करवा चुका है.
एक तरफ कोशिश है कि बीजेपी में विवाद न बढ़े. वहीं दूसरी तरफ यह भी बातें उठ रही हैं कि 25 या 26 तारीख में दिल्ली में देशभर के सभी संगठन मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हो सकती है. दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष संगठन के नेता संगठन के लोगों से मुलाकात भी करेंगे. धर्मपाल सिंह भी यूपी से मीटिंग में जाएंगे. हो सकता है कि प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और दूसरे डिप्टी सीएम बृजेश पाठक भी शामिल हों. ये भी कहा जा रहा है कि पीएम मोदी की सीएम योगी से मुलाकात हो सकती है.
:वहीं उत्तर प्रदेश खासकर के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांवड़ियों के राह पर दुकानों और ढाबों पर नाम और नंबर लिखने का जो आदेश जारी हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दुकानदारों ने ढाबे वालों ने, फल वालों ने, जूस वालों ने भी नेम प्लेट अपनी दुकानों के बाहर से हटा दी है.
योगी सरकार के इस आदेश के बाद जब हंगामा बढ़ा तो योगी सरकार ने बताया कि यह साल 2006 का फूड सिक्योरिटी एंड सेफ्टी एक्ट के तहत लागू कर दिया गया है, जिसमें कहा गया था कि सभी दुकानदारों को अपनी दुकानों के आगे लाइसेंस और नाम लिखना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केशव प्रसाद मौर्य ने बयान दिया है कि सरकार अभी देख रही है कि फैसले में क्या आया है और जो भी होगा सरकार उसका पालन करेगी
कायदा कानून हर राज्य का कहता कि हर बिजनेस में को
आपने दुकान कार्यालय में बोड लगना चाहिए क्यों कि हर राज्य में बोर्ड लगे हुए हैं इस पर शियासत करना बेबुनियाद है.वाकी राज्यों में देखो जाकर..?