मानव प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण उल्हास पवार के विचारः
माईर्स एमआईटी ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स का ४२वां स्थापना दिवस
पुणे,: सृष्टि पर बढ़ते मानव प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए शिक्षा से ज्ञान लेना जरूरी है. सामाजिक व्यवस्था के लिए शिक्षा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना रेगिस्तान में संकटग्रस्त के लिए पानी का झरना हो. ऐसे विचार शेष वैधानिक विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष उल्हास पवार ने व्यक्त किए.
देश के शिक्षा क्षेत्र में मील का पत्थर बने माईर्स एमआईटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस का ४२वां स्थापना दिवस कोथरूड स्थित एमआईटी डब्ल्यूपीयू के संत ज्ञानेश्वर ऑडिटोरियम में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया. उस मौके पर वह मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
इस अवसर पर एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड, एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो.डॉ. मंगेश तु. कराड, वरिष्ठ संपादक बालासाहेब बडवे, डॉ. विनायक घैसास, डॉ. संजय उपाध्ये, प्राचार्य प्रो.शरदचंद्र दराडे पाटील और एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस उपस्थित थे.
उल्हास पवार ने कहा, महाराष्ट्र में तकनीकी शिक्षा का द्वार खोलने वाले वसंतदादा ने क्रांति की है. उनकी इच्छाशक्ति और ईमानदारी बहुत महत्वपूर्ण थी. उसी आधार पर एमआईटी अपना विस्तार कर आसमान छू रहा है.
प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, हर किसी को यह संकल्प लेकर काम करना चाहिए कि दुनिया भर के छात्रों को संस्थान में प्रवेश मिले. शिक्षकों के अथक परिश्रम से ५ कमरों से शुरू हुआ यह संस्थान आज एक विशाल बरगद का पेड़ बन गया है. संस्थान में ५ विश्वविद्यालय और विश्व शांति का नारा देने वाला दुनिया का सबसे बडा गुंबद है.
बालासाहेब बडवे ने कहा, माईस एमआईटी शिक्षण संस्थान, जो भारतीय संस्कृति के लिए वरदान है, आधे से अधिक विश्व में वह जाना जाता है. अध्यात्म के वृक्ष की छाया में विकसित हो रही यह संस्था अब साकार रूप लेने को तैयार है.
डॉ. मंगेश तु. कराड ने कहा, एमआईटी एक ब्रांड है और यह राष्ट्रीय स्तर पर कमजोर पडता है. ऐसे समय में शिक्षा के साथ साथ नया ज्ञान देने का भी काम करना चाहिए. अब फोकस इस बात पर होना चाहिए कि नए प्रयोग, नए पेपर, पेटेंट और ये भारतीय अर्थव्यवस्था में कितना योगदान दे सकते हैं. साथ ही सभी में लगन, मेहनत, मनोबल एवं समर्पण की भावना होनी चाहिए.
डॉ. संजय उपाध्ये ने कहा, संगठन के विकास के लिए कर्मचारियों को अपने दावे छोड़कर विकास के लिए काम करना चाहिए. हर किसी के पास एक कौशल होता है जिसका उपयोग प्रगति के लिए किया जाना चाहिए. प्रत्येक व्यक्ति को सदैव माय संस्थान की भावना मन में रखनी चाहिए.
इसके बाद डॉ. विनायक घैसास ने अपने विचार प्रस्तुत किये.
माइर्स एमआईटी के ४२वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में संस्था की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले ११ कर्मचारियों और १४ वर्षों तक संस्था की सेवा करने वाले ३ कर्मचारियों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया. जिसमें दिलीप पाटिल, गणेश कराड पाटिल और राजू उगलमुगले को विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा विश्वम्भर गदले, पद्माकर फड, विशाखा कुलकर्णी, हेमंत शिंदे, राहुल जोशी, गौरव मगरे, अनिरूद्ध भातलवंडे, दत्तात्रय स्वामी, बालचंद्र लवाटे , सुनीता भोसले और कल्याण साखरे को सम्मानित किया गया.
इस मौके पर संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड ने एक संदेश के जरिए शुभकामनाएं दी.
एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. मिलिंद पांडे ने परिचय कराया.
प्रो.अतुल कुलकर्णी और प्रो. शालिनी टोणपे ने सूत्रसंचालन किया. डॉ. आर.एम.चिटनीस ने सभी का आभार माना.