पूणे

यदि समय रहते साइबर अपराध की सूचना पुलिस को दी जाए तो खतरों से बचा जा सकता है

यदि समय रहते साइबर अपराध की सूचना पुलिस को दी जाए तो खतरों से बचा जा सकता है

वैशाली मंडपे की राय; रायसोनी सीनियर कॉलेज में आकाशवाणी की ओर से साइबर सुरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई

 

 

 

पुणे: पहले पुलिस विभाग में रिपोर्ट होने वाले अपराध और अपराधी दृश्य रूप में होते थे. लेकिन साइबर अपराध और अपराधी अदृश्य हैं. इसके अलावा, दृश्य अपराधों की तुलना में साइबर अपराध पंजीकरण दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं. इनमें से कई अपराधों की तो पुलिस को सूचना तक नहीं दी जाती. ऐसे में कमजोर मानसिकता वाले व्यक्ति दबाव में आ जाते हैं या आत्महत्या कर लेते हैं, लेकिन युवतियों को बहुत सावधान रहने की जरूरत है और यदि वे इसकी जानकारी समय रहते पुलिस को सूचित करें तो कई खतरों से बचा जा सकता है, ऐसा मत मुख्य अतिथि वैशाली मंडपे ने व्यक्त की.

 

 

 

आकाशवाणी पुणे केंद्र और कॉलेज के सहयोग से यहां जीएच रायसोनी आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स सीनियर कॉलेज में ‘साइबर सुरक्षा और कॉलेज युवतियां’ इस विषय पर एक कार्यशाला संपन्न हुई, इस मौके पर वह मुख्य अतिथि के तौर पर वे बोल रही थीं. इस अवसर पर डॉ. रोहन न्यायाधीश, पुणे आकाशवाणी कार्यक्रम अधिकारी नीलिमा पटवर्धन और उद्घोषक गौरी लागू, जीएच रायसोनी कॉलेज इंजीनियरिंग और मॅनेजमेंट के उप निदेशक प्रा. डॉ. वैभव हेंद्रे और कॉलेज के निदेशक डॉ. हरीश कुलकर्णी उपस्थित थे.

 

 

डॉ. वैभव हेंद्रे ने इस युग की युवा पीढ़ी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जहां एक वरदान है, वहीं इसके खतरे भी उतने ही भयावह हैं। आवाज़ें और तस्वीरें नकली हो सकती हैं, और आपराधिक दुनिया सामाजिक अस्थिरता पैदा कर सकती है.

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का बढ़ता साम्राज्य ऐसे अपराधों को बढ़ा रहा है और अपराध की प्रकृति को भी बदल रहा है.

 

 

 

इस अवसर पर वक्ताओं ने युवतियों को साइबर सुरक्षा, विभिन्न मुद्दों, विभिन्न रुझानों, सर्वोत्तम जागरूकता, साइबर खतरों, व्यक्तिगत जानकारी और डेटा सुरक्षा, मल्टी-सिस्टम सुरक्षा कोडिंग प्रथाओं, साइबर नियमों के अनुपालन यानी नेटिकेट्स, साइबर खतरों के बारे में भी जानकारी दी। जैसे सामाजिक, वित्तीय, व्यक्तिगत, मनोवैज्ञानिक और वैचारिक जागरूकता.

 

 

 

इस अवसर पर पुणे आकाशवाणी की कार्यक्रम अधिकारी नीलिमा पटवर्धन एवं उद्घोषक गौरी लागू का भी मार्गदर्शन प्राप्त हुआ.

 

कॉलेज के निदेशक डॉ. हरीश कुलकर्णी ने कहा कि अगर युवतियों को लगता है कि वे किसी साइबर अपराधी का शिकार हो रही हैं, तो अधीर होने और जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाले फैसले लेने की बजाय अगर वे सभी सुविधाएं मुहैया करा दें तो उन्हें संभावित खतरों से बचाया जा सकता है. उनके माता-पिता और शिक्षकों को विस्तृत जानकारी.

 

प्रो शीला सातव, प्रो स्नेहल शिनलकर, प्रो प्रियंका देशमुख और प्रो वैष्णवी लोखंडे ने इस कार्य

क्रम के लिए कड़ी मेहनत की.

 

 

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