गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, भारत को एकीकृत ऑनलाइन गेमिंग नियामक की जरूरत
विशाल समाचार संवाददाता पुणे : भारत में ऑनलाइन गेमिंग के नियमन को लेकर गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (जीएनएलयू) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट जारी की है। ‘इवैल्यूएटिंग ब्लैंकेट बैन एंड मेंडेटरी लिमिट्स इन गेमिंग’ (गेमिंग में पूर्ण प्रतिबंध एवं आवश्यक सीमाओं का मूल्यांकन) शीर्षक से जारी यह रिपोर्ट अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है, जिसमें तेजी से बढ़ते ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के नियमन को लेकर सरकार से व्यापक सिफारिशें की गई हैं। इसमें यूजर्स की सुरक्षा एवं आर्थिक विकास के बीच संतुलन को केंद्र में रखा गया है।
रिपोर्ट में भारत में ऑनलाइन गेमिंग के लिए एकीकृत नियामकीय फ्रेमवर्क और प्रमाण आधारित नीतिगत हस्तक्षेप की जरूरत को लेकर महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं। साथ ही इसमें इस उद्योग की आर्थिक विकास की क्षमताओं एवं यूजर्स की सुरक्षा के बीच संतुलन की जरूरत भी जताई गई है।
रिपोर्ट के महत्व का उल्लेख करते हुए जीएनएलयू के डायरेक्टर डॉ. संजीवी शांताकुमार ने कहा, ‘यह रिपोर्ट व्यापक शोध एवं विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से विमर्श के आधार पर तैयार की गई है। हमारा मानना है कि इसमें की गई सिफारिशें भारत में ऑनलाइन गेमिंग को आकार देने में महत्वपूर्ण हो सकती हैं। ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर में लाखों लोगों का मनोरंजन करने और हमारी अर्थव्यवस्था में योगदान देने की व्यापक क्षमता है। हालांकि जरूरी है कि एक मजबूत नियामकीय व्यवस्था बनाई जाए, जिससे यूजर्स की सुरक्षा और किसी संभावित खतरे से बचाव सुनिश्चित हो सके।’
मात्र समय बिताने के साधन से आगे बढ़ते हुए अब ऑनलाइन गेमिंग वैश्विक स्तर पर मनोरंजन उद्योग के सबसे बड़े माध्यमों में शुमार हो गई है। भारत में 50 करोड़ से ज्यादा गेमर्स के साथ इस सेक्टर ने उल्लेखनीय विकास किया है। वैश्विक स्तर पर यह चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। हालांकि इस तेज विस्तार के बाद भी अन्य उभरती टेक्नोलॉजी की तरह इसके साथ भी कई चुनौतियां आई हैं, विशेष रूप से यूजर्स की सुरक्षा एवं वित्तीय खतरे को लेकर। एकीकृत नियामक नहीं होने के कारण यूजर्स संशय की स्थिति में रहते हैं। जीएनएलयू की रिपोर्ट में इन चुनौतियों को सामने रखा गया है, साथ ही गेमिंग के मामले में समय एवं पैसे की सीमा तय करने को लेकर चल रही मौजूदा चर्चाओं को भी इसका हिस्सा बनाया गया है। इसमें एक ऐसे रास्ते का सुझाव दिया गया है, जो सतत एवं जिम्मेदार गेमिंग इकोसिस्टम तैयार करने में मदद करे। इसमें सुझाव दिया गया है कि भारत को ऐसा नियामकीय फ्रेमवर्क अपनाना चाहिए, जिसमें ऑपरेटर्स के लिए अनिवार्य किया जाए कि वे यूजर्स को सीमा-निर्धारित करने (लिमिट सेटिंग) का फीचर दें। इससे आर्थिक विकास की संभावनाओं और यूजर्स की सुरक्षा के बीच संतुलन सुनिश्चित होगा।
रिपोर्ट में एक समर्पित नियामकीय इकाई गठित करने का सुझाव दिया गया है, जो ऑनलाइन गेमिंग पर नजर रखे, नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करे और जिम्मेदार प्रक्रियाओं को बढ़ावा दे। इसमें राज्यों के अलग-अलग नियमनों के स्थान पर समान केंद्रीय कानून बनाने और सभी यूजर्स के लिए लिमिट सेटिंग फीचर अनिवार्य करने की वकालत की गई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न फ्रेमवर्क से तुलना करते हुए रिपोर्ट में चीन की तरह प्रतिबंध वाले कदमों के बजाय यूरोपीय संघ एवं यूके की तरह खतरे को न्यूनतम करने की रणनीति का समर्थन किया गया है। खतरे को न्यूनतम करने पर जोर देते हुए इसमें यूजर्स को शिक्षित करने और उद्योग के मानकों के महत्व को रेखांकित किया गया है। इसमें प्रभावी तरीके से लिमिट सेटिंग के लिए पांच अहम सिद्धांतों की बात की गई है: ऑपरेटर्स वैध तरीके से ऐसे फीचर्स उपलब्ध कराएं, यूजर्स के लिए खेलने से पहले लिमिट सेट करना जरूरी हो, लिमिट बढ़ाना आसान न हो, लिमिट कम करना तत्काल संभव हो और सभी प्लेटफॉर्म पर एक केंद्रीकृत सेल्फ-एक्सक्लूजन (स्वयं को बाहर करने) की सुविधा उपलब्ध हो।
रिपोर्ट की सिफारिशों को लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के पूर्व वरिष्ठ निदेशक एवं जीसी (साइबर लॉ एंड डाटा गवर्नेंस) श्री राकेश माहेश्वरी ने कहा, ‘जीएनएलयू की इस रिपोर्ट से भारत में ऑनलाइन गेमिंग के नियमन को लेकर नया पहलू सामने आया है। इसमें एक व्यापक नियामकीय फ्रेमवर्क तैयार करने पर जोर दिया गया है, जो यूजर्स को सशक्त करने और उद्योग की जवाबदेही सुनिश्चित करने के बीच संतुलन बना सके। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को अपने यूजर्स को ऐसे टूल्स देकर सशक्त करना चाहिए, जिनसे वे अपनी गेमिंग को नियंत्रित कर सकें। साथ ही उन्हें यह जिम्मेदारी भी निभानी चाहिए कि यूजर अपर लिमिट तय करते हुए अपनी सीमा से बाहर न चले जाएं। यूजर्स को शिक्षित करना भी जरूरी है, जिससे जिम्मेदार गेमिंग सुनिश्चित हो। इस रणनीति से गेम खेलने वालों की सुरक्षा के साथ-साथ उद्योग का विकास भी सुनिश्चित होगा। यह वैश्विक स्तर पर अपनाई गई प्रक्रियाओं पर आधारित है।’