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पहले दिन नौकरी पर गया..घर लाश आई:कानपुर की जिस फैक्ट्री में 6 मरे, उसके मालिक ने 12-12 लाख दिए, मंत्री ने सरकारी बताया

पहले दिन नौकरी पर गया..घर लाश आई:कानपुर की जिस फैक्ट्री में 6 मरे, उसके मालिक ने 12-12 लाख दिए, मंत्री ने सरकारी बताया

लखनऊ विशाल समाचार संवाददाता 

 

 

9वीं में पढ़ने वाला 15 साल का अजीत घर की तंगी दूर करना चाहता था। इसके लिए फैक्ट्री में नौकरी करने पहुंच गया। फैक्ट्री में कहा गया- यहां तो लोग पूरे हैं। तुम दूसरी जगह जाकर काम करो। अजीत वहां गया। 11 हजार रुपए महीने की सैलरी पर बात पक्की हुई। उसने उसी दिन रात 8 बजे से ड्यूटी शुरू कर दी। सुबह 8 बजे तक ड्यूटी थी, लेकिन इसके पहले ही फैक्ट्री में आग लग गई। अजीत की मौत हो गई और उसके काम का पहला दिन उसकी जिंदगी का आखिरी दिन बन गया।

 

 

कानपुर देहात के रानिया में एक फोम गद्दे बनाने वाली आरपी पॉली प्लास्ट प्राइवेट लिमिटेड में आग लगने से अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है। 4 लोग घायल हैं, जिनका इलाज चल रहा है। अजीत मरने वाले इन्हीं 6 में से एक थे। फैक्ट्री में काम करने गए अजीत की घर लाश आई। भाई शिवम ने भी अजीत के साथ उसी दिन काम शुरू किया था। वह किसी तरह से बच गया। सभी मरने वालों की लाशें जलकर राख हो गई थीं। पहचानना मुश्किल था, इसीलिए अंतिम संस्कार भी एक साथ हुआ। जो इस हादसे में बच गए, उनकी आंखों के सामने से हादसे का भयानक मंजर हट नहीं रहा।

 

दैनिक भास्कर इस घटना से जुड़े हर हिस्से को करीब से जानने कानपुर देहात पहुंचा। हम मृतकों के घर गए। घायलों से मिले। फैक्ट्री की स्थिति देखी। मौजूदा सांसद से बात की। सरकारी अधिकारियों से फैक्ट्री मालिकों पर होने वाली कार्रवाई को समझा।

कानपुर देहात का जरिया गांव फैक्ट्री से करीब 3 किलोमीटर दूर है। यहीं के दो लोगों की मौत हुई। गांव के बाहर करीब 12 पुलिसवाले बैठे मिले। हम गांव के अंदर सबसे पहले अजीत के घर पहुंचे। अजीत 4 भाइयों में तीसरे नंबर पर थे। पिता रमाशंकर को आंखों से कम दिखता है, इसलिए घर से दूर काम करने नहीं जाना चाहते थे। इसलिए यहीं फैक्ट्री में काम करना तय किया। घर के बाहर रोती-बिलखती महिलाएं बैठी थीं। हम अजीत की मां उमा से मिले। लगातार रोने से वह बोल तक नहीं पा रही थीं।

 

उमा की स्थिति देखकर वहां बैठे लोगों की आंखों में आंसू आ गए। अजीत की मौत के बाद चचेरी बहन रोशनी भी अपने ससुराल से आ गईं। रोशनी इस घटना को लेकर कहती हैं- सुबह जब हादसा हुआ, तो मेरे पास फोन गया। मैं अपने ससुराल में थी। अजीत फैक्ट्री में काम करने जाएगा, इसकी जानकारी किसी को नहीं थी। वो कहता था कि घर में पैसा नहीं है, कमा आएंगे, घर का खर्चा-पानी आ जाएगा। लेकिन, पहले ही दिन मेरे भाई के साथ हादसा हो गया।

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