अच्छा सोचना, बोलना और कर्म जीवन को सरल बनाता मेहर मास्टर मूस की राय
राष्ट्रपिता म. गांधी की १५५ वीं जयंती पर एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा
पारसी धर्म के संस्थापक प्रेषित जरथुस्त्र और चीनी यात्री ह्यूएन त्सांग की मूर्तियों की स्थापना
पुणे : अच्छा सोचना, अच्छे बोलना और अच्छे कर्म करने से व्यक्ती का जीवन सरल होता है. सारी दुनिया में मानवता स्थापित करने के लिए लिए सारे धर्म कार्य कर रहे है. म. गांधीजी ने भी मानवता के लिए अहिंसा जैसे तत्व को सिखाते हुए उसे आचरण में लाने की बात कही. ऐसे विचार जोराष्ट्रीयन कॉलेज की संस्थापक डॉ. मेहर मास्टर मूस ने रखे .
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा म. गांधी जी के १५६ वीं जयंती पर विश्व के सबसे बडे शांति गुंबद विश्वराजबाग, लोणी कालभोर मे आयोजित कार्यक्रम में वे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थी.
इस अवसर पर डॉ. मेहर मास्टर मूस के हाथो पारसी धर्म के संस्थापक प्रेषित जरथुस्त्र के पुतले का अनावरण किया गया . साथ ही सातवीं शताब्दी में भारत आए और दुनिया को भारत का परिचय कराने वाले चीनी यात्री ह्यूएन त्सांग की प्रतिमाएं का अनावरण किया.
इस मौके पर विश्व के जाने माने कंप्यूटर विशेषज्ञ पद्मभूषण डॉ. विजय भटक और जहांगीर अस्पताल के संस्थापक जहांगीर उपस्थित थे. विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कार्यक्रम की अध्यक्षता निभाई.,
साथ ही एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्याध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, एडीटी यूनिवर्सिटी के कार्याध्यक्ष डॉ. मंगेश तु. कराड, डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ.आर.एम.चिटणीस, संसद के मुख्य समन्वयक एवं एमआईटी डब्ल्यूपीयू के प्र कुलपति डॉ. मिलिंद पांडे उपस्थित थे.
डॉ. मेहर मास्टर मूस ने कहा, सभी धर्मों ने अपने दर्शन के माध्यम से अच्छे इंसान बनाने का संदेश दिया है. इसी आधार पर विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ कराड शिक्षा के माध्यम से अच्छे इंसान बनाने का प्रयास कर रहे है.
डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, सारी दुनिया में हिंसाचार बढ़ता जा रहा है. ऐसे समय दुनिया में शांति का संदेश देने के लिए यह डोम काम करेगा. ऐसे में तथागत गौतम बुद्ध का पंचशिल और ज्ञानेश्वरी के पसायदान के ज्ञान के जरूरत मानवता को चाहिए. समाज को दिशा दिखाने का कार्य यहीं से होगा. देखना और समझना अलग है उसे सबको अनुभूति करना होगा.
जहांगीर ने कहा, विश्वशांति का घुमटा का परिसर वास्तव में धर्मनिरपेक्ष है और सभी धर्मों के लिए पूजा स्थल है. गुंबद एकता का मंदिर हो, जिसमें प्रेरितों और महापुरुषों की मूर्तियां हों जो अच्छा बोलने, सकारात्मक सोचने और सही करने का संदेश देती है.
डॉ. विजय भटकर ने कहा, जब जब नए विचारों को दबाने की कोशिश की गई तब तब वे नए रूप में उभरकर सामने आए हैं. तक्षशिला नालंदा के विश्वविद्यालयों को जला दिया गया. फिर भी विश्व शांति के गुंबद के माध्यम से उन्हें फिर से स्थापित किया गया. यह संदेश मानवता की शांति के लिए है.
राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा, हां पर ५४ महापुरुषों की प्रतिमाएं है, जिन्होंने मानवतावाद की नींव रखी और समाज को दूरदर्शी सोच भी दी. सभी धर्म के रास्ते अलग अलग हो सकते है लेकिन जाना तो एक ही जगह जाना है.
डॉ. आर.एम.चिटणीस ने स्वागत पर भाषण दिया.
सूत्रसंचालन प्रो. डॉ. गौतम बापट ने किया.
कार्यक्रम के मुख्य समन्वयक डॉ. मिलिंद पांडे ने आभार माना.