इंजीनियरिंग दुनिया को बेहतर बनाने की कला है – राज्यपाल श्री पटेल
मानव को शिक्षा ही समर्थ और संस्कारवान बनाती है – राज्यपाल
इंजीनियरिंग हर तरह के विकास का मूल है – उप मुख्यमंत्री
ज्ञान परंपरा को समाहित कर बनाई गई है नई शिक्षा नीति – उच्च शिक्षा मंत्री
रीवा आलोक कुमार तिवारी: रीवा इंजीनियरिंग कालेज के हीरक जयंती समारोह के मुख्य अतिथि प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि इंजीनियरिंग दुनिया को बेहतर बनाने की कला है। शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अधोसंरचना विकास में इंजीनियरों का बहुत बड़ा योगदान है। मानव को शिक्षा ही समर्थ और संस्कारवान बनाती है। रीवा इंजीनियरिंग कालेज बहुत गौरवशाली है। यहाँ अपनी प्रतिभा, योग्यता और परिश्रम से देश का नाम ऊँचा करने वाले कई पूर्व छात्र उपस्थित हैं। इनसे मार्गदर्शन और प्रेरणा लेकर नई पीढ़ी सफलता के शिखर छुएगी। हमारा देश तेजी से विकास कर रहा है। आज पूरी दुनिया में देश की प्रतिष्ठा दिनोंदिन बढ़ रही है। 21वीं सदी भारत की सदी होने वाली है। इसे विकसित बनाने में हम जहाँ भी हैं वहाँ अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देकर देश के विकास में योगदान दें।
समारोह में राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि विन्ध्य की धरा सफेद बाघ की जननी, चिरहुलानाथ स्वामी और महामृत्युंजय भगवान की कृपापात्र तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भूमि है। इसके रीवा इंजीनियरिंग कालेज की 60 वर्ष की विकास गाथा सफलताओं से भरी है। समारोह में उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि इंजीनियरिंग हर तरह के विकास का मूल है। रीवा में विकास के कई बड़े कार्य हुए हैं। इन सबमें इंजीनियरों का सर्वाधिक योगदान रहा है। यह इंजीनियरिंग का ही चमत्कार है कि गुढ़ की पथरीली उजाड़ पहाड़ी में 750 मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र सफलता की गाथा कह रहा है। रीवा वासियों को गर्व है कि उनके सोलर प्लांट की बिजली से दिल्ली की मैट्रो ट्रेन दौड़ती है। विन्ध्य 40 मिलियन टन सीमेंट और 15 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है। विन्ध्य में इंजीनियरों के परिश्रम से अधोसंरचना का जो विकास हुआ है उसमें विन्ध्य के विकास की गाड़ी अब तेजी से दौड़ रही है। रीवा में पाँच साल में सिंचाई क्षमता तीन लाख से बढ़कर नौ लाख एकड़ हो जाएगी। इंजीनियरिंग कालेज के पूर्व छात्र मिलकर कालेज के विकास का रोडमैप बनाएंगे और इसे देश के सर्वश्रेष्ठ तकनीकी संस्थान के रूप में विकसित करेंगे।
समारोह में उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि हमारे देश में प्राचीन काल से ही ज्ञान, विज्ञान, आध्यात्म और दर्शन की परंपरा रही है। इसी ज्ञान परंपरा को समाहित करके नई शिक्षा नीति बनाई गई है। हमारे देश में आज भी हजारों साल पुराने स्मारक स्थापत्य और विज्ञान की सफलता की कहानी कहते हुए विद्यमान हैं। भारत के एक इंजीनियर ने 13वीं शताब्दी में चीन में बीजिंग शहर और दुनिया के सबसे बड़े मंदिर कंबोडिया के अंगकोरवाट मंदिर की डिजाइन बनाई थी। सूर्य ऊर्जा का सबसे बड़ा और अक्षय स्त्रोत है। इसीलिए हमारे देश में सूर्य की पूजा की जाती है। मंत्री श्री परमार ने कहा कि रीवा इंजीनियरिंग कालेज के विकास के संबंध में जो प्रस्ताव मिले हैं उन पर दिसम्बर माह में आयोजित बैठक में निर्णय लिए जाएंगे।
समारोह में सांसद श्री जनार्दन मिश्र ने कहा कि आज का दिन रीवा के लिए बहुत गौरव का दिन है। विज्ञान के तेजी से विकास के साथ मानव और मानवीय गुणों पर प्रश्नचिन्ह लगने लगे हैं। हम आधुनिक सूचना तकनीक का इतना अधिक उपयोग करने लगे हैं कि आपसी संबंधों में भी तनाव उत्पन्न हो गया है। सूचना तकनीक का ऐसा विकास हो तमाम सुविधाओं के साथ ही मानव के संस्कार और मानवीय गुण बरकरार रहें। समारोह में ब्राम्होस मिसाइल निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पद्मभूषण तथा पद्म विभूषण इंजीनियर एएस पिल्लई को भी सम्मानित किया गया। समारोह में एलुमिनी एसोसिएशन के अध्यक्ष तथा एनटीपीसी के पूर्व चेयरमैन श्री आरएस शर्मा ने स्वागत उद्बोधन दिया। कालेज के प्राचार्य बीके अग्रवाल ने 60 वर्ष की उपलब्धियों की जानकारी दी।
समारोह में राज्यपाल श्री पटेल ने कालेज की स्मारिका के प्रथम पृष्ठ का डिजिटल विमोचन किया। समारोह में राज्यपाल तथा अन्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। समारोह में विधायक मनगवां इंजीनियर नरेन्द्र प्रजापति, अध्यक्ष नगर निगम श्री व्यंकटेश पाण्डेय, कमिश्नर बी.एस. जामोद, आईजी एमएस सिकरवार, कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल, पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह, एलुमिनी संघ के उपाध्यक्ष बीके सिंह, सिद्धार्थ सिंह, अनुज प्रताप सिंह तथा बड़ी संख्या में पूर्व छात्र, वर्तमान छात्र एवं पत्रकारगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संदीप पाण्डेय ने किया।