राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, सीतामढ़ी के तत्वावधान में समाहरणालय स्थित विमर्श सभा कक्ष में मीडिया का बदलता स्वरूप विषय पर परिचर्चा का हुआ आयोजन।
एसपी ,डीडीसी ,डीपीआरओ एवं मीडियाकर्मियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया उद्घाटन।
विशाल समाचार संवाददाता सीतामढ़ी
समय के साथ प्रेस का स्वरूप चाहे जितना भी बदले,उसका मूल उद्देश्य जनहित और सत्य का प्रचार-प्रसार ही रहेगा।डीडीसी और एसपी
सामाजिक कुरीतियों एवं बुराइयों को मिटाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका–एसपी और डीडीसी सूचना एवम जनसम्पर्क विभाग, सीतामढ़ी के तत्वावधान विमर्श कक्ष में प्रेस दिवस पर प्रेस की बदलती प्रकृति विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन डीडीसी (प्रभारी डीएम)श्री मनन राम, एसपी मनोज कुमार तिवारी, डीपीआओ कमल सिंह एवम वरीय प्रेस प्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप दीप प्रज्वलित करके किया। जिला जन संपर्क पदाधिकारी कमल सिंह ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए परिचर्चा के विषय पर एवं प्रेस दिवस को लेकर संक्षिप्त जानकारी दी।डीडीसी और एसपी ने अपने संबोधन में कहा कि मीडिया चौथे स्तंभ के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय प्रेस दिवस प्रेस की स्वतंत्रता के साथ-साथ प्रेस की जिम्मेदारियों की ओर भी हमारा ध्यान आकृष्ट करता है। उन्होंने कहा कि किसी भी अभियान को जन आंदोलन का रूप देने में मीडिया की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि प्रेस की बदलती प्रकृति ने आधुनिक समाज में व्यापक परिवर्तन किए हैं। एक समय था जब प्रेस का एकमात्र उद्देश्य जनता को सत्य और निष्पक्ष जानकारी प्रदान करना था। उस समय प्रिंट मीडिया का प्रभावी नियंत्रण था, और पत्रकारिता का एक प्रतिष्ठित स्थान था। पत्रकारों का उद्देश्य समाज को जागरूक करना, और जनहित के मुद्दों को उजागर करना होता था।
डिजिटल युग के आगमन के साथ प्रेस की परिभाषा और भूमिका में बड़े बदलाव आए हैं। इंटरनेट के विस्तार और स्मार्टफोन के उपयोग ने मीडिया को नई दिशा दी है। अब समाचार केवल प्रिंट तक सीमित नहीं हैं, बल्कि डिजिटल प्लेटफार्मों, सोशल मीडिया, और ऑनलाइन समाचार पोर्टलों ने प्रेस का दायरा बढ़ा दिया है। आज सूचनाएँ सेकंडों में लाखों लोगों तक पहुँच जाती हैं, जिससे प्रेस की गति और प्रभाव दोनों बढ़े हैं।
हालाँकि, इस बदलाव के साथ कुछ चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। आज के मीडिया पर प्रतिस्पर्धा ने निष्पक्षता और विश्वसनीयता को प्रभावित किया है।इन सबके बावजूद, प्रेस की बदलती प्रकृति ने आधुनिक समाज में व्यापक परिवर्तन किए हैं।आज डिजिटल युग के आगमन के साथ प्रेस की परिभाषा और भूमिका में बड़े बदलाव आए हैं। इंटरनेट के विस्तार और स्मार्टफोन के उपयोग ने मीडिया को नई दिशा दी है। अब समाचार केवल प्रिंट तक सीमित नहीं हैं, बल्कि डिजिटल प्लेटफार्मों, सोशल मीडिया, और ऑनलाइन समाचार पोर्टलों ने प्रेस का दायरा बढ़ा दिया है।।
उन्होने कहा कि समय के साथ प्रेस का स्वरूप चाहे जितना भी बदले, उसका मूल उद्देश्य जनहित और सत्य का प्रचार-प्रसार ही रहेगा। आज निष्पक्षता की जवाबदेही मीडिया के समक्ष सबसे बड़ी जवाबदेही है। सोशल मीडिया के कारण आज अनेक प्रकार की चुनौतियां भी है फिर भी लोगों का विश्वास आज भी मीडिया के प्रति बहुत ही ज्यादा है ।लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में हमारी अस्मिता को प्रखर स्वरूप प्रदान करने का काम भी पत्रकार बधुओं ने अनवरत जारी रखा। उन्होंने मीडिया को कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बाद लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ के रूप में चिन्हित किए जाने के कार्य को सही ठहराया। उन्होंने कहा कि आज सभी राष्ट्रीय ज्वलंत मुद्दों को जन जन तक पंहुचाने और जनमानस की राय कायम करने में मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।उन्होंने अपने संबोधन में मीडिया कर्मियों से निष्पक्ष और सटीक पत्रकारिता की अपील भी की। उन्होंने कहा कि सूचना विस्फोट के इस दौड़ में प्रायः मीडिया हाउस में खबर को पहले पहल सामने लाने की चुनौती होती है। इस प्रतियोगी माहौल में कई बार तथ्यात्मक भूल की आशंका बनी रहती है। उन्होंने इसके लिए स्व मूल्यांकन या सेल्फ रेगुलेशन को सबसे कारगर उपाय बताया। उन्होंने कहा कि सतर्कता जरूरी है ताकि, आधारहीन खबरों से बचा जा सके। खबरों की विश्वसनीयता अत्यंत आवश्यक है। कई वरिष्ठ मीडिया प्रतिनिधियों ने इस परिचर्चा में वर्तमान में मीडिया के बदलते स्वरूप पर अपनी बेबाक राय रखी। आज के पर चर्चा में प्रेस क्लब के अध्यक्ष राकेश कुमार के साथ प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया के सभी प्रतिनिधि उपस्थित थे सबों ने प्रेस दिवस को पूरे हर्षोल्लास के साथ सेलिब्रेट किया और एक दूसरे को बधाई भी दी। साथ ही स्वच्छ और सुंदर समाज के निर्माण में मीडिया का क्या रोल है? इस संबंध में भी अपने-अपने विचार रखे।