टाटा पावर के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक, डॉ. प्रवीर सिन्हा और डीजीपीसी के प्रबंध निदेशक, दाशो छेवांग रिनज़िन ने आज भूटान में 5000 मेगावाट की स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। भूटान के थिम्फू में भूटान के माननीय प्रधानमंत्री, दाशो शेरिंग तोबगे और टाटा संस के अध्यक्ष श्री एन.चंद्रशेखरन की गरिमामय उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
टाटा पावर और भूटान की द्रुक ग्रीन पावर कॉरपोरेशन ने ऐतिहासिक क्षेत्रीय सहयोग के तहत 5,000 मेगावाट की स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाएं विकसित करने के लिए की साझेदारी
भूटान और भारत की अग्रणी बिजली कंपनियों के बीच स्वच्छ ऊर्जा परिदृश्य से जुड़ी सबसे बड़ी साझेदारी
भारतीय उपमहाद्वीप को स्वच्छ ऊर्जा का केंद्र बनाने के लिए भूटान की अपार जलविद्युत क्षमता का उपयोग किया जाएगा~
इस क्षेत्र में ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और ऊर्जा परिवर्तन में तेज़ी लाने, भारत के 500 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य का समर्थन करने का उद्देश्य~
इन परियोजनाओं में 2,000 मेगावाट जलविद्युत, 2,500 मेगावाट पंप स्टोरेज और 500 मेगावाट सौर क्षमता शामिल हैं, जिससे भूटान और भारत को चौबीसों घंटे ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित होगी
राष्ट्रीय: भारत की सबसे बड़ी एकीकृत बिजली कंपनियों में से एक, टाटा पावर कंपनी लिमिटेड (टाटा पावर) ने क्षेत्रीय ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और स्वच्छ ऊर्जा अपनाने की प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए द्रुक होल्डिंग एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड की सहायक कंपनी तथा भूटान की एकमात्र बिजली उत्पादन कंपनी, द्रुक ग्रीन पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीजीपीसी) के साथ भूटान में कम से कम 5,000 मेगावाट स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन क्षमता निर्माण में सहयोग रणनीतिक साझेदारी की है।
यह भूटान के ऊर्जा क्षेत्र के लिए दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसके तहत देश की ऊर्जा सुरक्षा और क्षेत्रीय ऊर्जा एकीकरण (रीजनल एनर्जी इंटीग्रेशन) के लिए 2040 तक कुल उत्पादन क्षमता को 25,000 मेगावाट तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। भूटान पारंपरिक जलविद्युत (हाइड्रो पावर) से परे अपने ऊर्जा पोर्टफोलियो में विविधीकरण के माध्यम से इस लक्ष्य को प्राप्त करने की योजना बना रहा है, जिसमें सौर और जियोथर्मल (भूतापीय) ऊर्जा शामिल होगी। इसमें रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से परियोजना संरचना और वित्तपोषण में विविधता लाना शामिल होगा।
भूटान की शाही सरकार और भारत सरकार के समर्थन से, यह एशिया के स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में दोनों देशों की दो अग्रणी बिजली कंपनियों के बीच सबसे बड़ी साझेदारी है। दोनों कंपनियों का ऊर्जा क्षेत्र में शानदार ट्रैक रिकॉर्ड है। ये कंपनियां लंबे समय से एक दूसरे के साथ जुड़ी हैं और 15 साल से अधिक समय से साथ मिलकर काम कर रही हैं।
यह रणनीतिक साझेदारी न केवल भारत में बल्कि इस क्षेत्र की अग्रणी कंपनी के रूप में सबसे पसंदीदा स्वच्छ ऊर्जा भागीदार के तैयार टाटा पावर की श्रेष्ठता को दर्शाती है। यह साझेदारी भूटान की हाइड्रो पावर की असीम क्षमता और क्षेत्र में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करने में मदद करेगी।
भूटान के माननीय प्रधानमंत्री, दाशो शेरिंग तोबगे; ऊर्जा एवं प्राकृतिक संसाधन मंत्री, ल्योनपो जेम शेरिंग; टाटा संस के अध्यक्ष, श्री एन चंद्रशेखरन; भूटान में भारत के राजदूत, श्री सुधाकर दलेला; और भूटान की शाही सरकार, भारतीय दूतावास, डीजीपीसी और टाटा पावर के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों उपस्थिति में भूटान के थिम्फू में दाशो छेवांग रिनज़िन, प्रबंध निदेशक – डीजीपीसी और डॉ प्रवीर सिन्हा, मुख्य कार्यकारी एवं प्रबंध निदेशक – टाटा पावर ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
इस गठजोड़ के ज़रिये, कम से कम 5,000 मेगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को विभिन्न चरणों में एक साथ विकसित किया जाएगा। इसमें जिसमें 1,125 मेगावाट की दोरजिलुंग एचईपी; 740 मेगावाट की गोंगरी जलाशय; 1,800 मेगावाट की जेरी पंप स्टोरेज; और 364 मेगावाट की चम्खरचू IV शामिल हैं। टाटा पावर की सहायक कंपनी, टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (टीपीआरईएल) 500 मेगावाट की अन्य सौर परियोजनाएं विकसित करेगी।
इस गठजोड़ से पहले, टाटा पावर ने 600 मेगावाट की खोरलोचू जलविद्युत परियोजना में 40% हिस्सेदारी 8.30 बिलियन न्यू/आईएनआर में हासिल कर ली है, जिसके विकास पर 69 बिलियन न्यू/आईएनआर से अधिक का कुल निवेश होगा।
टाटा पावर का डीजीपीसी के साथ 2008 से लंबा संबंध रहा है, जब दोनों कंपनियों ने भूटान के जलविद्युत क्षेत्र में पहली सार्वजनिक निजी भागीदारी के रूप में 126 मेगावाट के दागाछू जलविद्युत संयंत्र के विकास के लिए गठजोड़ किया था।
टाटा पावर के पास 1,200 किलोमीटर लंबी टाला ट्रांसमिशन लाइन की एक ट्रांसमिशन परियोजना भी है जो भूटान से भारत तक स्वच्छ बिजली पहुंचाती है।
टाटा पावर के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक, डॉ. प्रवीर सिन्हा ने कहा, ” द्रुक ग्रीन पावर कॉरपोरेशन के साथ टाटा पावर की साझेदारी इस क्षेत्र में सबसे पसंदीदा स्वच्छ ऊर्जा भागीदार के रूप में हमारी साख को मज़बूत करती है। हम साथ मिलकर 5000 मेगावाट की स्वच्छ ऊर्जा परियोजन का निर्माण कर रहे हैं, जो भूटान की जलविद्युत क्षमता का उपयोग करने में मदद करेगी और दोनों देशों की बढ़ती ऊर्जा मांगों को विश्वसनीय तथा चौबीसों घंटे स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति के साथ पूरा करेगी। हम सब मिलकर एक नए ऊर्जा युग को आकार दे रहे हैं।
टाटा पावर अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरी है, जिसका स्वच्छ और हरित पोर्टफोलियो 12.9 गीगावाट (6.4 गीगावाट चालू, 6.5 गीगावाट निर्माणाधीन) को पार कर गया है। इसकी कुल क्षमता का 42% है, और 2030 तक इसे 70% तक विस्तारित करने की अच्छी स्थिति में है। टाटा पावर के पास जलविद्युत उत्पादन में 100 से अधिक वर्षों का अनुभव है और यह पंप हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाओं में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रही है। कंपनी भारत के सफल ऊर्जा संक्रमण का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
डीजीपीसी के प्रबंध निदेशक, श्री दाशो छेवांग रिनज़िन ने कहा, “टाटा पावर के साथ यह रणनीतिक साझेदारी भूटान की आकांक्षाओं के अनुरूप है, ताकि भूटान के लोगों को अधिकतम लाभ मिल सके। इसके लिए भूटान अपने आर्थिक विकास और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा के लिए अपने विशाल नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का उपयोग कर रहा है। भूटान को टाटा पावर और इन अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए साझेदारी पर बहुत भरोसा है।”
वित्त वर्ष 2025 के दौरान भूटान की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.2% रहने का अनुमान है, ऐसे में देश की ऊर्जा आवश्यकता में बढ़ोतरी होना निश्चित है। भूटान की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जलविद्युत से संचालित होता है और इस राष्ट्रीय परिसंपत्ति का लाभ उठाने से इसकी बढ़ती हुई विद्युत मांग पूरी होगी, साथ ही हरित रोज़गार सृजन और बुनियादी ढांचा विकास सहित आर्थिक लाभ भी सुनिश्चित होंगे।
मानसून के महीनों में भूटान का जलविद्युत उत्पादन चरम पर होता है। यह भारत के मांग के पैटर्न का पूरक है, जहां गर्मियों के महीनों में मांग चरम पर होती है। इससे भी उल्लेखनीय बात यह है कि भूटान अपने जलविद्युत को चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण मानता है, क्योंकि भारत सौर तथा पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में भारी निवेश कर रहा है और अगले दो दशकों में इन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश को और बढ़ाने की योजना बना रहा है। हाल ही में बांग्लादेश द्वारा भारत के ज़रिये नेपाल से बिजली आयात करने के लिए किए गए समझौते के बीच, क्षेत्रीय ऊर्जा एकीकरण के अवसर भी बढ़ रहे हैं जो भूटान के जलविद्युत में निवेश को बढ़ावा देंगे।