मध्यप्रदेश का लक्ष्य: सशक्त स्वास्थ्य सेवाओं से स्वस्थ और समृद्ध समाज का निर्माण
राजेन्द्र शुक्ल (उप मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच है कि भारत को एक सशक्त राष्ट्र बनाने के लिए सबसे पहले उसके नागरिकों का स्वास्थ्य बेहतर होना चाहिए। यही कारण है कि स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और सभी नागरिकों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसी उद्देश्य के तहत मध्यप्रदेश में भी राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर प्रयास कर रही है। राज्य का उद्देश्य है कि न केवल नागरिकों को उनकी स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूक किया जाए, बल्कि उन्हें स्वास्थ्य के प्रति अधिक सचेत और सक्रिय बनाया जाए। यह दृष्टिकोण केवल उपचार तक सीमित नहीं है, बल्कि निवारक स्वास्थ्य देखभाल पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि लोगों को बीमारी से पहले ही रोकथाम के उपाय अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके।स्वास्थ्य सुविधाओं तक सुगम और सुलभ पहुंच सुनिश्चित करना
मध्यप्रदेश सरकार सभी नागरिकों तक सुलभ और गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचाने के लिए सतत प्रयास कर रही है। स्वास्थ्य सेवाएं हर नागरिक के लिए न केवल सुलभ हों, बल्कि किफायती भी हों, इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है । इसके तहत ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं को सशक्त किया जा रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) को जिला अस्पतालों के समकक्ष सुविधाओं से लैस करने की योजना बनाई जा रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को छोटी बीमारियों के लिए जिला या बड़े अस्पतालों में जाने की आवश्यकता न हो। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को अपने ही इलाके में इलाज मिल सकेगा, बल्कि जिला अस्पतालों पर भी दबाव कम होगा।
संक्रामक और गैर-संक्रामक बीमारियों के प्रबंधन में सुधार और बेहतर प्रबंधन के प्रयास किये जा रहे हैं। आपातकालीन और ट्रॉमा सेवाओं को भी सशक्त किया जा रहा है। वर्तमान में राज्य के स्वास्थ्य संस्थानों में 162 गहन चिकित्सा इकाइयाँ (ICUs) संचालित हो रही हैं, जिनमें 1,584 ICU बेड और 1,003 वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई है। यह सुविधाएं गंभीर रोगियों को बेहतर इलाज प्रदान करने में सहायक सिद्ध हो रही हैं। सरकार का लक्ष्य है कि ICU और अन्य महत्वपूर्ण चिकित्सा सुविधाओं की संख्या में वृद्धि की जाए और आवश्यकतानुसार उनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं और उपकरणों का विस्तार
मध्यप्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को आधुनिक बनाने की दिशा में भी तेजी से काम कर रही है। इसके तहत सीटी स्कैन और डायलिसिस जैसी विशेष सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है। CHC स्तर के ऊपर के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कंप्यूटराइज्ड रेडियोग्राफी (CR) प्रणाली की सुविधा दी जा रही है ताकि सटीक और समय पर निदान संभव हो सके। इसके अलावा, चुने गए जिला अस्पतालों में MRI, इकोकार्डियोग्राफी, और लैप्रोस्कोपिक सेवाओं की व्यवस्था की जा रही है। राज्य के कुछ सरकारी मेडिकल कॉलेजों में LINAC, CT, MRI और PET CT स्कैन सेवाओं की भी व्यवस्था की जाएगी, जिससे गंभीर बीमारियों का उन्नत उपचार संभव हो सकेगा। इसके अलावा, कैंसर जैसे गंभीर रोगों के लिए 42 एंटी-कैंसर दवाओं की समयबद्ध डिलीवरी की व्यवस्था भी की गई है, जिससे मरीजों को सही समय पर दवा मिल सके।
चिकित्सकों की पर्याप्त उपलब्धता
मध्यप्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी एक बड़ी चुनौती है। राज्य के कई सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या पर्याप्त नहीं है, जिसके कारण नागरिकों को समय पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिलने में असुविधा होती है। सरकार इस समस्या से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसके तहत नए डॉक्टरों की भर्ती की जा रही है और उन्हें आकर्षक वेतनमान, बेहतर कार्य सुविधाएं और अन्य प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं ताकि वे सरकारी सेवा में आकर अपना योगदान दें। साथ ही, नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की जा रही है ताकि अधिक से अधिक डॉक्टर तैयार हो सकें।
इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार चिकित्सकों को समय-समय पर प्रमोशन और वेतन वृद्धि के माध्यम से भी प्रोत्साहित कर रही है। वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य में 1,607 नए डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है और सितंबर 2024 तक 1,902 बॉन्ड डॉक्टरों की नियुक्ति आदेश जारी किए गए हैं। यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं और इससे राज्य में चिकित्सकों की कमी को दूर किया जा सकेगा।
मातृ और शिशु स्वास्थ्य में सुधार
मध्यप्रदेश में मातृ और शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में भी व्यापक सुधार किए जा रहे हैं। राज्य की मातृ मृत्यु दर (MMR) 173 है, जो कि राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इसे कम करने के लिए राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सतत विकास लक्ष्यों (SDG) 2030 को प्राप्त करने के उद्देश्य से IPHS 2022 मानकों के तहत स्वास्थ्य सेवाओं और मानव संसाधनों का उन्नयन किया जा रहा है। इसके साथ ही, सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग को एकीकृत किया है ताकि बेहतर समन्वय और प्रबंधन हो सके।
महिलाओं की गर्भावस्था और शिशुओं की स्वास्थ्य देखभाल के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। राज्य सरकार ने 62 विशेष नवजात देखभाल इकाइयाँ (SNCU) स्थापित की हैं, जहां गंभीर रूप से बीमार नवजातों का इलाज किया जा रहा है। इसके अलावा, 199 नवजात स्थिरीकरण इकाइयाँ (NBSU) भी स्थापित की गई हैं, जो मातृत्व वार्ड के निकट स्थित हैं ताकि बीमार और कम वजन वाले नवजातों का बेहतर देखभाल किया जा सके। शिशुओं के इलाज के लिए राज्य भर में 64 बाल गहन चिकित्सा इकाइयाँ (PICU) भी स्थापित की गई हैं। हाई रिस्क प्रेगनेंसी का समय से चिन्हांकन कर बेहतर प्रबंधन की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं, ताकि सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित किया जा सके।
आयुष्मान भारत योजना ने स्वास्थ्य सेवाओं के प्रदाय में लाया है क्रांतिकारी बदलाव
आयुष्मान भारत योजना के तहत, मध्यप्रदेश में अब तक 22.22 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं। आयुष्मान कार्ड जारी करने में राज्य देश में प्रथम स्थान पर है। यह योजना गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है। वर्तमान में, राज्य के 1,048 स्वास्थ्य सेवा प्रदाता सूचीबद्ध हैं, जिनमें 493 सार्वजनिक अस्पताल और 555 निजी अस्पताल शामिल हैं। इस योजना के तहत 1,952 स्वास्थ्य लाभ पैकेज उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिनमें कैंसर, हृदय रोग, उच्च जोखिम गर्भावस्था, किडनी की बीमारियों और अन्य महंगे उपचार शामिल हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना के तहत 70 वर्ष से अधिक उम्र के हर वर्ग के वरिष्ठ नागरिकों को आयुष्मान योजना में शामिल करने का प्रावधान किया है। यह वरिष्ठ नागरिकों के देश के विकास में योगदान का सम्मान है। वृद्धजन सहित सभी नागरिकों के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि गंभीर बीमारियों का समय रहते पता लगाया जा सके और उनका सही उपचार हो सके। नियमित चिकित्सा जांच करवाना, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना अच्छा जीवन व्यतीत करने के लिए महत्वपूर्ण है।
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शासकीय अस्पतालों में निःशुल्क चिकित्सकीय जांच सेवाओं में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। वर्तमान में, जिला अस्पतालों और सिविल अस्पतालों में 132 प्रकार की जांच सेवाएं उपलब्ध हैं, जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 80 प्रकार की जांचें की जा रही हैं। प्रदेश में 324 हब और 1610 स्पोक स्थापित किए गए हैं, जहाँ प्रतिदिन 35,000 से अधिक जांचें जिला स्तर पर और 32,000 से अधिक जांचें हब और स्पोक पर हो रही हैं। इसके अतिरिक्त, सभी जिला चिकित्सालयों में डायलिसिस, सीटी स्कैन और डिजिटल एक्स-रे की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिससे रोगियों को समय पर और निःशुल्क जांच की सुविधाएं मिल रही हैं।
इसके साथ ही, निःशुल्क दवाओं की उपलब्धता में भी अभूतपूर्व सुधार हुआ है। जिला अस्पतालों में दवाओं की संख्या 295 से बढ़ाकर 530 की गई है, सिविल अस्पतालों में 448, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 373 और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 299 प्रकार की दवाएँ निःशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
प्रधानमंत्री ग्लोबल मेडिसिटी योजना और चिकित्सा पर्यटन का विकास
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ग्लोबल मेडिसिटी योजना के तहत मध्यप्रदेश में मेडिकल हब का विकास किया जा रहा है। इसका उद्देश्य राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना और चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देना है। यह हब राज्य के प्रमुख शहरों में स्थापित किए जाएंगे और चिकित्सा पर्यटन के माध्यम से राज्य को एक वैश्विक स्वास्थ्य गंतव्य के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा। इन मेडिसिटी हब में अत्याधुनिक सुपरस्पेशलिटी और मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल, आयुष चिकित्सा सेवाएं, OPD और डे केयर सेंटर जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
मेडिकल कॉलेजों का विस्तार
राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने के लिए नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना भी एक महत्वपूर्ण कदम है। वर्तमान में 14 सरकारी मेडिकल कॉलेज कार्यरत हैं और तीन नए मेडिकल कॉलेजों (सिवनी, नीमच और मंदसौर) को वर्तमान शैक्षणिक सत्र से प्रारंभ किए गये हैं। इसके अलावा, आठ अन्य मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन हैं जो अगले तीन वर्षों में स्थापित किए जाएंगे।
सरकार ने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत भी 12 अंडर-सर्व्ड जिलों में मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की योजना बनाई है। इसके तहत जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। इस मॉडल के माध्यम से सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को दूरदराज के और पिछड़े क्षेत्रों तक पहुंचाना चाहती है, जिससे वहां की आबादी को बेहतर चिकित्सा सेवाएं मिल सकें।
इन सभी प्रयासों के माध्यम से, मध्यप्रदेश न केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करेगा। सरकार का यह प्रयास है कि हर नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हों और राज्य को एक मजबूत और स्वस्थ समाज की दिशा में अग्रसर किया जा जा सके।
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण और विस्तार के माध्यम से मध्यप्रदेश को देश में स्वास्थ्य सेवा के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित किया जाए। सरकार के इन प्रयासों से न केवल शहरी क्षेत्रों में, बल्कि दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में भी नागरिकों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो सकेंगी। इसके साथ ही, राज्य सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सभी योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे, विशेषकर गरीब और वंचित वर्गों को, ताकि उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके और उनकी जीवनशैली में सुधार हो।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वस्थ भारत, सशक्त भारत के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, मध्यप्रदेश सरकार निरंतर स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार और विस्तार के लिए प्रतिबद्ध है। यह योजनाएं न केवल राज्य की जनता के लिए लाभकारी सिद्ध होंगी, बल्कि यह अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बनेंगी। इन प्रयासों के साथ, सरकार का लक्ष्य है कि मध्यप्रदेश न केवल स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अग्रणी बने, बल्कि एक सशक्त और स्वस्थ समाज की स्थापना कर देश की प्रगति में भी
अपना महत्वपूर्ण योगदान दे।