पूणे

58वें महाराष्ट्र के निरंकारी संत समागम की स्वेच्छा सेवाओं का शुभारम्भ पुणे की धरा पर

58वें महाराष्ट्र के निरंकारी संत समागम की स्वेच्छा सेवाओं का शुभारम्भ पुणे की धरा पर

रिपोर्ट डीएस तोमर पुणे 

पुणे : महाराष्ट्र के 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम का भव्य आयोजन सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी की पावन छत्रछाया में दिनांक 24, 25 एवं 26 जनवरी, 2025 को मिलीटरी डेअरी फार्म ग्राउंड, पिंपरी पॉवर हाउस के पास, शास्त्री नगर, पुणे 411017 (महाराष्ट्र) के विशाल मैदानों में आयोजित किया जा रहा है। परमात्मा की पहचान द्वारा मानव का जीवन दिव्य गुणों से असीम की ओर विस्तारित करके संसार में सौहार्द एवं शान्तिपूर्ण वातावरण का निर्माण करना इस समागम का मुख्य उद्देश्य है।

 

इस भव्य एवं विशाल आध्यात्मिक आयोजन की तैयारियों के लिए स्वैच्छिक सेवाओं का विधिवत शुभारम्भ संत निरंकारी मंडल के प्रचार-प्रसार के मेम्बर इंचार्ज, आदरणीय श्री मोहन छाबड़ा जी, के करकमलों द्वारा बुधवार, 25 दिसंबर, 2024 को किया गया। इस अवसर पर संत निरंकारी मंडल के लेखा जोखा विभाग के मेम्बर इंचार्ज श्री जोगिंदर मनचंदा, प्रचार प्रसार के कॉर्डिनेटर, डॉ.दर्शन सिंह, समागम समिति के चैयरमन श्री शम्भुनाथ तिवारी, समन्वयक श्री ताराचंद करमचंदानी, समागम समिति के अन्य सदस्य एवं महाराष्ट्र के सभी ज़ोनल इंचार्ज एवं समस्त महाराष्ट्र के सेवादल क्षेत्रीय संचालक उपस्थित थे। सेवादल स्वयंसेवकों सहित इस समारोह में पुणे के अतिरिक्त महाराष्ट्र के अलग अलग स्थानो से आये हजारों श्रद्धालु भक्तों ने भाग लिया।

 

स्वेच्छा सेवाओं के उद्घाटन अवसर पर आदरणीय श्री मोहन छाबड़ा जी ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि सत्गुरु की असीम कृपा से आयोजित हो रहे इस सन्त समागम में वही सत्य का सन्देश दिया जायेगा जो युगों-युगों से सन्तों-महापुरुषों ने पूरी मानवता को दिया है।

आपने आगे कहा कि संत निरंकारी मिशन मानवता एवं विश्वबंधुत्व का मिशन है। परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करने से मानव मानव के बीच की दूरी समाप्त हो जाती है, एक दूसरे के साथ प्रेम का रिश्ता बन जाता है जिससे वैर, द्वेष एवं ईर्ष्या की दुर्भावनायें समाप्त हो जाती है। ब्रह्मानुभूति से आत्मानुभूति प्राप्त करके मानवीय गुणों से युक्त होकर धरती के लिए वरदान बनने वाला जीवन जीना ही मनुष्य जीवन का लक्ष्य है।

 

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के वार्षिक निरंकारी संत समागमों की परंपरा काफी पुरानी है। 1968 में महाराष्ट्र का पहला संत समागम मुंबई के मशहूर शिवाजी पार्क मैदान में आयोजित हुआ और तब से 52 संत समागम मुंबई महानगर में ही संपन्न हुए। वर्ष 2020 में 53वां संत समागम नाशिक नगरी में, 56वां समागम छत्रपती संभाजी नगर मे और 57वां समागम नागपुर नगरी में आयोजित किया गया। इस वर्ष 58वां संत समागम के आयोजन का सौभाग्य विद्या की विरासत प्राप्त पुणे नगरी को प्राप्त हो रहा है जिसका साक्षी पूरा विश्व बनेगा।

 

समालखा में आयोजित 77वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के उपरांत से ही हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रत्येक भक्त को महाराष्ट्र के निरंकारी संत समागम की प्रतीक्षा बेसब्ररी से है। अतः 58वें वार्षिक निरंकारी संत समागम में प्रत्येक श्रद्धालु भक्त अपनी पलके बिछाए हुए हर्षोल्लास के साथ सम्मिलित होकर स्वयं को कृतार्थ करने हेतु अति उत्सुक है।

 

इस दिव्य संत समागम को पूर्णतः सफल बनाने हेतु महाराष्ट्र के अलग अलग स्थानो से निरंकारी सेवादल के स्वयंसेवक एवं हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्त भक्तिभाव से समागम स्थल पर आकर समागम की तैयारियों में आने वाले दिनों में बड़ी तन्मयता से अपनी निष्काम सेवायें अर्पित करते रहेंगे।

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