रीवा

नेशनल साईकलिस्ट आशा मालवीय ने छात्राओं को किया प्रेरित

नेशनल साईकलिस्ट आशा मालवीय ने छात्राओं को किया प्रेरित

कमिश्नर ने नेशनल साईकलिस्ट बेटी का किया स्वागत

 

रीवा विशाल समाचार संवाददाता. मध्यप्रदेश की राजगढ़ की रहने वाली नेशनल साईकलिस्ट और पर्वतारोही आशा मालवीय आज रीवा पहुंची। कमिश्नर बीएस जामोद ने शासकीय ज्ञानोदय कन्या छात्रावास में आशा मालवीय का आत्मीय स्वागत किया। आशा मालवीय ने छात्रावास की छात्राओं से भेंट करके खुशी जाहिर करते हुए उन्हें प्रेरक उद्बोधन दिया।

 

नेशनल साईकलिस्ट आशा मालवीय ने कहा कि मैंने अब तक साईकिल से दो साल में 42 हजार 430 किलोमीटर की यात्रा की है। मैं राजगढ़ जिले के छोटे से गांव की रहने वाली हूँ। जब मैं दो साल की थी तब मेरे पिता का देहांत हो गया। मेरी माता ने मजदूरी करके मुझे और मेरी बहन को पाला पोसा। माँ के संघर्ष ने मुझे सदैव प्रेरित किया। मेरे मन में सदैव यह संकल्प था कि मैं माँ की जिम्मेदारी उठाऊं। कक्षा दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद मैंने नौकरी कर ली। साथ ही अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। एथलीट के रूप में मैंने देश में 20 मैराथन और मिनी मैराथन में भाग लेकर प्रतियोगिताएं जीती। इनमें मिली ईनाम की राशि से मैंने अपनी बहन की शादी की और जमीन खरीदकर माँ के लिए घर बनाया। हम यदि दृढ़ संकल्प करके प्रयास करते हैं तो हर सफलता मिलती है।

 

आशा मालवीय ने कहा कि मैंने इस वर्ष 26 हजार किलोमीटर की यात्रा की है। एक नवम्बर 2022 से मैंने अकेले साईकिल यात्रा शुरू की। मुझे प्रशासन सेना और आमजनता का निरंतर सहयोग मिला। मैंने कश्मीर से कन्या कुमारी तक और लेह, लद्दाख, सियाचिन और दुनिया की सबसे ऊंची सड़क खारडोंगला तक साईकलिंग की है। यात्रा के दौरान मैंने 25 मुख्यमंत्रियों, 28 राज्यपालों, 5 लाख महिलाओं और 5 लाख विद्यार्थियों से भेंट की है। रीवा सैनिक स्कूल के दो विद्यार्थी इस समय नौ सेना और थल सेनाध्यक्ष हैं। उनकी प्रेरणा से मैं रीवा आई हूँ। आशा मालवीय ने छात्राओं से कहा कि अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करके उसके लिए कठिन परिश्रम करें। कंफर्ट जोन में जाने से कोई काम नहीं होता है। सदैव ऐसे कार्य करें जिससे माता-पिता अपने को गौरवमयी मानें। अपने कार्यों से परिवार, समाज और देश का नाम रोशन करें। इस अवसर पर अधिकारीगण तथा छात्राएं उपस्थित रहीं।

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