
इसकी परिभाषा उन लोगों द्वारा निर्धारित करना जिनका भारतीय स्वतंत्रता की पहचान में कोई योगदान नहीं है। :कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी
भागवत का ‘स्वयं’ और स्वतंत्रता की गरिमा को एकाकी रूप से परिभाषित करने का प्रयास संकीर्ण, हास्यास्पद और दुर्भाग्यपूर्ण है..!!
देश की ‘स्वतंत्रता की प्राप्ति और स्वाभिमान’ कैसे भिन्न है..?
15 ए. 1947 की ‘आजादी’ में देश का स्वाभिमान स्थापित हुआ.. यह स्वीकार्य क्यों नहीं..? कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी
पुणे : कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक की आलोचना करते हुए कहा है कि जो लोग झूठे और निराधार आरोपों और झूठे वादों के आधार पर भारत गणराज्य की सत्ता में आए, उनके लिए देश के ‘स्वतंत्रता संग्राम’ का मूल्य जानना मुश्किल है। देश की आजादी की लड़ाई में कोई बलिदान, संघर्ष या योगदान, आजादी पर उनके हालिया बयान पर संघ प्रमुख मोहन भागवत।
उन्होंने आगे कहा कि मोहन भागवत को कम से कम यह तो याद रखना चाहिए था कि ‘राजशाही और निजामशाही’ में बंटे भारत में अंग्रेजों के औपनिवेशिक काल के 70 साल शांति से बीते थे.
देश की आज़ादी और स्वाभिमान कैसे अलग है..?
15 ए. 1947 की ‘आजादी’ में देश का स्वाभिमान स्थापित हुआ.. ये संघ को स्वीकार्य क्यों नहीं..? क्या संघ, जनसंघ या भाजपा समर्थकों द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में योगदान न देने की हीन भावना के कारण ऐसा किया जा रहा है..? ये सवाल कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता ने पूछे.
दरअसल, भागवत पहले भी भारत की आजादी में कांग्रेस के योगदान के बारे में प्रशंसनीय बयान दे चुके हैं, लेकिन मोहनराव भागवत ‘किसके दबाव’ (?) में स्वतंत्रता संग्राम के बारे में बार-बार दिए जाने वाले तिरस्कारपूर्ण बयान संघ की स्वतंत्रता संग्राम के प्रति कृतघ्नता की संस्कृति को दर्शाते हैं गोपालदादा तिवारी ने यह बात कहा है.