
जमीन लेन-देन की नीति बिल्डरों के लिए फायदेमंद, गरीबों के लिए नुकसानदेह – डॉ. हुलगेश चलवादी
गुंठेवारी के नियमों में बदलाव की मांग
मुंबई:-राज्य में भूमि खरीद-बिक्री से संबंधित सरकारी नीति बिल्डरों के लिए फायदेमंद और गरीब व मध्यम वर्ग के लिए नुकसानदेह है, ऐसा सीधा आरोप बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश महासचिव और पश्चिम महाराष्ट्र के मुख्य प्रभारी डॉ. हुलगेश चलवादी ने बुधवार (5 तारीख) को लगाया। आम नागरिकों को उनके सपनों का घर बनाने का अवसर मिले, इसके लिए शहरों और उपनगरों में गुंठे-दो गुंठे जमीन खरीदने के नियमों में बदलाव करने की मांग डॉ. चलवादी ने की। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान प्रक्रिया केवल विकासकों को लाभ पहुँचाने और उनकी फ्लैट बिक्री में वृद्धि के उद्देश्य से लागू की गई है।
कोई भी आम व्यक्ति 11 गुंठे जमीन नहीं खरीद सकता। गुंठे-दो गुंठे जमीन लेकर लोग अपने सपनों का घर बनाते हैं। लेकिन टुकड़ाबंदी कानून लागू होने के बाद, खरीद-बिक्री के सौदे होते हुए भी जमीन के टुकड़े ‘नियमित’ नहीं हो रहे थे। ऐसी स्थिति में ‘पॉवर ऑफ अटॉर्नी’ या ‘एग्रीमेंट’ के जरिए जमीन खरीदने के अलावा आम लोगों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है। इस प्रक्रिया के कारण खरीदार का नाम सात-बारा (भूमि रिकॉर्ड) पर दर्ज नहीं होता। जमीन मालिक इसका फायदा उठाकर एक ही जमीन कई लोगों को बेचते हैं और उन्हें ठगते हैं। जीवनभर की कमाई से घर बनाने का सपना देखने वालों के सपने इस तरह के मामलों के कारण टूट जाते हैं।
अगर गुंठेवारी के नियमों में ढील दी गई, तो लोग ज्यादा जमीन खरीदेंगे और फ्लैट्स की ओर रुख नहीं करेंगे। विकासकों की आय बढ़ाने और उनके फायदे के लिए गुंठेवारी में नागरिकों को मजबूर किया जा रहा है, ऐसा आरोप डॉ. चलवादी ने लगाया। 2001 में जब विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री थे, तब गुंठेवारी प्रक्रिया के तहत घर बनाने वालों को मामूली जुर्माना लेकर नियमित किया गया था। अब जुर्माना जमीन के मूल्य से दोगुना वसूला जा रहा है। पहले 20 रुपये प्रति वर्गफुट के हिसाब से जुर्माना लिया जाता था, अब भारी मात्रा में जुर्माना लिया जा रहा है। गुंठेवारी कानून का लाभ केवल एक विशिष्ट वर्ग के फायदे के लिए लाया गया है, जिससे बहुजन समाज को अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसा डॉ. चलवादी ने कहा।
सरकार ने 12 जुलाई 2021 के परिपत्र के अनुसार एक, दो, तीन गुंठों में कृषि भूमि की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था। लेकिन तीव्र विरोध के बाद इसमें सुधार कर सूखी (जिरायत) जमीन के लिए 20 गुंठे और बागायती (सिंचित) जमीन के लिए 11 गुंठे की सीमा निर्धारित की गई थी। इसके कारण किसानों को कुएं, खेत के रास्ते, घर या अन्य किसी कारण के लिए एक-दो गुंठे जमीन की खरीद-बिक्री करने में कठिनाई हो रही थी। इस पर राज्य सरकार ने 14 मार्च 2024 की अधिसूचना के अनुसार टुकड़ाबंदी कानून में संशोधन कर कुछ मामलों में गुंठेवारी की शर्त को शिथिल किया था। फिर भी राज्य में इस कानून का विरोध हो रहा है और इसमें सुधार की काफी गुंजाइश है, ऐसा डॉ. चलवादी ने कहा। इसलिए इस मुद्दे पर सरकार ने तुरंत ध्यान देकर सकारात्मक निर्णय लेने की अपील डॉ. चलवादी ने की है।