पूणे

संवाद ही लोकतंत्र का सेतु..पवन खेडा – राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन-क्षमता निर्माण कार्यक्रम के समापन अवसर पर कहा

संवाद ही लोकतंत्र का सेतु..पवन खेडा – राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन-क्षमता निर्माण कार्यक्रम के समापन अवसर पर कहा

 

पुणे, : संचार दो व्यक्तियों,वर्गों और समुदायों के बीच एक सेतु का काम करता है. सभ्य समाज में विवादों का समाधान केवल बातचीत से ही हो सकता है और बातचीत से ही लोकतंत्र की धमनियों में रक्त प्रवाहित होता रहेगा. उन्होंने विभिन्न राज्यों के विधायकों को बहुमूल्य सलाह देते हुए कहा, जनप्रतिनिधियों को मतदाताओं से लगातार बातचीत करनी चाहिए और उनकी बातें सुननी चाहिए, न कि हर पांच साल में एक बार. ऐसे विचार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने जनप्रतिनिधियों के लिए संवाद के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा.

एमआयटी डब्ल्यूपीयू में राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन, भारत की ओर से विधायकों के लिए आयोजित ‘नेतृत्व क्षमता निर्माण कार्यक्रम’ के समापन अवसर पर आयोजित रणनीतिक संचारः मीडिया को प्रभावी ढंग से संभालना विषय पर वे मार्गदर्शन कर रहे थे.

इस अवसर पर मेघालय विधानसभा के अध्यक्ष थॉमस संगमा, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के पूर्व निदेशक संजीव चोपडा, मार्केटिंग एंड ब्रांडिंग विशेषज्ञ सिद्धार्थ नारायण, सम्मेलन के संस्थापक संयोजक डॉ. राहुल कराड, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस उपस्थित थे.

इस मौके पर एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट के पूर्व छात्र और विधायक हेमंत ओगले को विशेष रूप से सम्मानित किया गया. इस सम्मेलन में भाग लेनेवाले विधायकों को प्रमाण पत्र दिए गए.

पवन खेड़ा ने कहा, राजनीति में संचार आवश्यक है. समाज तभी गतिशील रहता है जब हम एक दूसरे के दृष्टिकोण और विचारों को समझते है. देश में अनेक विचार और राय प्रवाहित होती रहती है. हर विचार मूल्यवान हैं. हमें अपने मन के दरवाजे खोलने होंगे और इसे खुल दिल से ग्रहण करना होगा. संचार में सुनना, बोलने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. हमारी सुनने की क्षमता बढ़ने से ही हमारी आवाज मजबूत बनती है. जो नेता बात नहीं सुनते, वे लंबे समय तक जनता का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते, यहीं लोकतंत्र की ताकत है. इसलिए अगर मतदाताओं की बात सुनी जाए तो प्रतिनिधियों, उनकी पार्टी और अंततः समाज का भविष्य उज्वल होने पर जोर दिया.

महाराष्ट्र विधान परिषद के उपसभापति डॉ.नीलम गोर्‍हे ने कहा, विधायकों के पास विधानसभा में सार्वजनिक मुद्दे उठाने के लिए सोलह से सत्रह प्रकार के उपकरण है. जैसे तारांकित प्रश्न, ध्यानाकर्षण प्रश्न और स्थगन प्रस्ताव. यदि इनका सही और प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए तो लोगों की समस्यांए सुलझ सकती है और उन्हें सच्चा न्याय मिल सकता है.

महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष प्रो. राम शिंदे ने कहा, विभिन्न राज्यों के विधायकों के बीच संवाद और विचारों के आदान प्रदान को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से एमआईटी द्वारा शुरू की गई यह पहल सराहनीय है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा परिकल्पित वन नेशन वन प्लेटफॉर्म पहल को एमआईटी जैसे शैक्षणिक संस्थानों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन मिल रहा है.

डॉ. राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा, बदलते समय में सक्षम जनप्रतिनिधियों के निर्माण के लिए शिक्षा आवश्यक है. तदनुसार एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट ने सात राज्यों की विधानसभाओं के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके माध्यम से संस्थान गुणवत्तापूर्ण राजनीतिक नेतृत्व के विकास में योगदान दे रहा है. इस संस्थान के दो छात्र विधायक बनकर राज्य विधानसभा में जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे है. राजनीति में लोकतंत्र और सुशासन के नए मॉडल उभर रहे है. इसके साथ ही देश की सांस्कृतिक नींव को मजबूत करने और लोकतंत्र को सक्षम बनाने में राष्ट्रीय विधानसभा का मंच अत्यंत महत्वपूर्ण होता जा रहा है.

एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति की घोषणा की. विधायकों द्वारा अपने निर्वाचन क्षेत्र से नामित युवक युवतियों को राजनीतिक नेतृत्व एवं शासन में दो वर्षीय एम.ए. पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए ५५ हजार रुपये प्रति वर्ष की छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी.

इसके बाद सिद्धार्थ नारायण ने राजनीतिक संचार : सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग विषय पर मार्गदर्शन किया. पश्चात

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