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वेद शास्त्र उपनिषद की त्रिवेणी हैं श्रीमद्भागवत कथा : अनूप ठाकुर

वेद शास्त्र उपनिषद की त्रिवेणी हैं श्रीमद्भागवत कथा : अनूप ठाकुर

 

हरदोई: जिला हरदोई के ग्राम असलापुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिवस में सुप्रसिद्ध कथावाचक अनूप ठाकुर जी महाराज ने कथा को सुनाते हुए कहा कि वेद शास्त्र उपनिषद की त्रिवेणी भागवत की कथा है भागवत कथा में वेदों एवं शास्त्रों एवं उपनिषद का सार समाहित है महाराज श्री ने कहा कि अपने आप को पूरी तरह से परमात्मा के चरणों में समर्पित करने वाले व्यक्ति का कल्याण कोई रोक नहीं सकता, धन को धर्म में लगाने से जीव का कल्याण होता है! मनुष्य धर्म किए बिना धर्म का फल चाहता है , लेकिन उसे पहले धर्म मार्ग पर चलना होगा तभी उसका कल्याण होगा परहित सरिस धर्म नहिं भाई संसार में दूसरों का हित करने से बढ़कर कोई धर्म नहीं है!

 

इसी साथ व्यास अनूप ठाकुर ने कहा कि एक समय देवर्षि नारद शांति की खोज में भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में पहुंचे जहां उन्हें अशांति ही अशांति नजर आई जब वह वृन्दावन पहुंचे तब उन्हें कुछ शांति प्राप्त हुई भ्रमण करतें हुए वह जब यमुना जी के किनारे पहुंचे तब उन्होंने ने देखा बहुत सी सुंदरियों के बीच एक परम सुंदरी बैठी है जिसके पास दो बूढ़े पुरुष लेटे हैं जिनके तरूण होने का निवेदन उस देवी ने नारद जी से किया नारद जी ने काफी प्रयत्न किये लेकिन सफल नहीं हुए तब उन्हें सनत कुमारों ने बताया कि उन्हें भागवत जी की कथा सुनाई जायें तों उनका बुढ़ापा दूर हों सकता है! वहीं किया गया जिससे वे बूढ़े पुरुष ज्ञान वैराग्य का बुढ़ापा दूर हुआ उनकी मैया भक्ति को अपार खुशी प्राप्त हुई!

इसी के साथ व्यास अनूप ठाकुर ने कहा कि मनुष्यों के साथ साथ भागवत कथा प्रेतों का भी उद्धार करतीं हैं जब गोकर्ण का भाई धुंधकारी प्रेत योनि में चला गया तब उसका कल्याण भागवत की कथा सुनकर हीं हुआ! भागवत कथा कलयुग में संजीवनी बूटी के समान हैं भागवत कथा प्राणीमात्र के उध्दार का साधन है !

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