
खिलाड़ी और शिक्षित लोग देश का भविष्य हैं:-पद्मश्री मुरलीधर पेठकर के विचार
एमआईटी डब्ल्यूपीयू में अंतर-विश्वविद्यालय और कॉलेज ‘समिट-2025’ का उद्घाटन
पुणे: “एथलीट और शिक्षित लोग दोनों ही देश का भविष्य हैं. इसलिए, उच्च शिक्षित एथलीटों यानी छात्रों का भविष्य उज्ज्वल है. जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. ये विचार अर्जुन पुरस्कार विजेता और पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता पद्मश्री मुरलीधर पेठकर ने व्यक्त किए.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, पुणे द्वारा आयोजित 18वीं राष्ट्रीय स्तरीय अंतर-विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय खेल प्रतियोगिता ‘समिट-2025’ के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
अर्जुन पुरस्कार विजेता रेखा भिड़े और शिव छत्रपति पुरस्कार प्राप्तकर्ता योगेश धाड़वे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे.
इस अवसर पर एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. आर.एम. चिटनिस, प्र कुलपति डॉ. मिलिंद पांडे, वरिष्ठ खेल पत्रकार डॉ. मिलिंद ढमढेरे, शिव छत्रपति पुरस्कार विजेता मनोज एरंडे, पद्माकर फड़ और डब्ल्यूपीयू के खेल निदेशक विलास कथुरे उपस्थित थे.
इस कार्यक्रम का आयोजन एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. विश्वधर्मी प्रो. डॉ.विश्वनाथ दा. कराड और डब्ल्यूपीयू के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राहुल कराड के मार्गदर्शन में पूरा किया जा रहा है.
उद्घाटन समारोह के दौरान, अर्जुन पुरस्कार विजेता रेखा भिड़े को ओलंपिक में हॉकी में उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए ‘एमआईटी-डब्ल्यूपीयू क्रीड़ा महर्षि’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया. जूडो में शिव छत्रपति पुरस्कार से सम्मानित योगेश धाड़वे को ‘एमआईटी डब्ल्यूपीयू क्रीड़ा आचार्य पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया. पुरस्कार एक प्रमाण पत्र और पदक के रूप में दिया गया.
पद्मश्री मुरलीधर पेठकर ने कहा, “एमआईटी डब्ल्यूपीयू देश का पहला विश्वविद्यालय है, जिसके पास मिट्टी का कुश्ती मैदान और कोच है.” छात्र एथलीटों को अपने जीवन में देश के दिग्गज एथलीटों को नहीं भूलना चाहिए.”अब तक मैंने खेलों में 476 स्वर्ण पदक जीते हैं.
योगेश धाड़वे ने कहा, ‘‘इस विश्वविद्यालय ने खेल संस्कृति को संरक्षित रखा है. वे छात्रों को खेलों के प्रति अपनी आंतरिक ऊर्जा को समर्पित करने के लिए निरंतर प्रोत्साहित करते हैं. एथलीट लगातार समुदाय को प्रोत्साहित कर रहा है. “खिलाड़ियों को अपना मनोबल ऊंचा रखना चाहिए.
रेखा भिड़े ने कहा, “खेल के क्षेत्र में दृढ़ निश्चयी और जिद्दी होना चाहिए. खेल भावना और एकता होगी तो देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ेगा. खेल प्रबंधन का विश्वविद्यालय है.आत्म-अनुशासन अत्यंत महत्वपूर्ण है।.”एक खिलाड़ी हमेशा देश के लिए खेलता है.
डॉ.मिलिंद पांडे ने कहा, “यदि छात्र हर कदम पर आत्मविश्वास बनाए रखेंगे तो वे कल के चैंपियन बनेंगे जीवन में अनेक कठिनाइयाँ हैं. इसके लिए दो कदम उठाने होंगे. “संघर्ष ही सफलता का रहस्य है.
डॉ.आर.एम. चिटनिस ने अपने परिचय में कहा कि सभी खेल कौशलों का उचित उपयोग किया जाना चाहिए. इससे शारीरिक और मानसिक स्थिति मजबूत रहती है.
इस अवसर पर छात्र शांतनु, कुहू खांडेकर, जिनेश ननंद और आर्य भागवत को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय खेलों में सफलता के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया.
छात्र रसेल रॉबिन्सन और एरिशा ने कार्यक्रम का संचालन किया. आर्यकी सैखडेकर ने आभार व्यक्त किया.