
पुण्यश्लोक अहिल्या देवी होलकर की त्रिशताब्दी वर्षगांठ के अवसर पर स्वास्थ्य विश्वविद्यालय में कार्यक्रम द्वारा अहिल्या देवी के विचारों को नई पीढ़ी में स्थापित करना जरूरी है
–माननीय.अध्यक्ष श्री उदय सिंहजी होलकर का कथन
नासिक:-पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर के विचार नई पीढ़ी में विचारों को विकसित करना जरूरी है ऐसा कथन अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी जयंती वर्ष समारोह समिति के कार्याध्यक्ष मा. श्री उदय सिंह होलकर द्वारा। पुण्यश्लोक अहिल्या देवी, महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय
होलकर तृतीय शताब्दी और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ‘मातोश्री अहिल्या देवी’ मोनोलॉग और रील्स प्रतियोगिता के विजेता छात्रों के लिए पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया था ।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मा. कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानिटकर (सेवानिवृत्त) प.वि.से.प.,अ.वि.से.प. वि.से.प. उपस्थित थे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अहिल्या देवी होलकर समिति के
कार्याध्यक्ष .श्री उदय सिंहजी होलकर, समिति के राष्ट्रीय सचिव कैप्टन मीरा दवे (सेवानिवृत्त), समिति के सदस्य श्री. डॉ. अन्ना महाराज, समिति के सदस्य। डॉ. प्रज्ञा बापट, कुलसचिव राजेंद्र बंगाल, मा. प्रबंधक काउंसिल सदस्य डॉ. मनीष इनामदार, परीक्षा नियंत्रक संदीप कडू, वित्त एवं लेखाधिकारी श्री. बोधिकरण सोनकांबले, छात्र कल्याण विभाग
निदेशक डाॅ. देवेन्द्र पाटील, जनसम्पर्क अधिकारी डाॅ. स्वप्निल तोरणे, मतनिसा अध्यक्षा श्रीमती योगिता पाटिल, सचिव श्रीमती शिल्पा पवार आदि मंच पर गणमान्य लोग उपस्थित थे।
इस संबंध में श्री. उदय सिंहजी होलकर ने कहा कि पुण्यश्लोक अहिल्या देवी होलकर का कार्य प्रेरणादायक है। आज के समाज में उनके कार्यों और उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित रील्स प्रतियोगिता की पहल सराहनीय है। राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने कहा कि पुण्यश्लोक अहिल्या देवी होलकर के त्रिशताब्दी वर्ष के अवसर पर होने वाले कार्यक्रम समाज को उनके कार्यों से अवगत कराने के लिए महत्वपूर्ण हैं।उन्होंने आगे कहा कि अहिल्या देवी ने पर्यावरण, प्रशासन और रोजगार के लिए काफी काम किया, समाज के प्रति उनकी सेवा भावना प्रबल थी.
समाज में वह हर तत्व को बचाने की कोशिश कर रही थी. जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, राजस्व एवं व्यवस्था, शिक्षा नीति, कराधान व्यवस्था, समाज सुधार आदि विषयों पर कार्य किया। उन्होंने कहा कि हमें उनके कार्यों से प्रेरणा लेकर सकारात्मक कार्य करना चाहिए।
इस संबंध में मा. चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानिटकर (सेवानिवृत्त) ने कहा कि महिलाओं का सम्मान सभ्य समाज की नींव है।और
एक प्रतीक है. आज की महिलाएँ हर क्षेत्र में सक्रिय हैं; इसका श्रेय सीधा अहिल्या देवी को जाता है। छात्रों को अहिल्या देवी के विचारों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिनके कार्यों की छाप तीन सौ साल बाद भी हर जगह महसूस की जाती है। उनकी त्रिशताब्दी के अवसर पर समाज में रील्स प्रतियोगिता से विश्वविद्यालय को जो प्रतिक्रिया मिली है, वह उनके काम को सभी तक पहुंचाने के लिए सराहनीय है। छात्र आपके हैं
उन्होंने कहा कि अपने पसंदीदा क्षेत्र में सेवा और समर्पण दिखाकर अपने काम को उजागर करना चाहिए.इस अवसर पर समिति के सदस्य मो. अन्ना महाराज ने कहा,पुण्यश्लोका अहिल्या देवी द्वारा सैन्य नेतृत्व, वास्तुकला और मूर्तिकला,लड़ाई के तीर, पीने के पानी की सुविधा, सामाजिक अनैतिक प्रथाएँ
विरोध पर ज्यादा जोर दिया जाता है. समाज की बेईमान रीति-रिवाजों और परंपराओं का विरोध करके उन्होंने समाज में एक मिसाल कायम की है. अहिल्या देवी कल्याणी थीं। उस तरह उन्होंने कहा।
इस अवसर पर समिति की राष्ट्रीय सचिव कैप्टन मीरा दवे (रिटा.) ने ऐसा कहा कि अहिल्या देवी ने जन कल्याण एवं समाज प्रबोधन के लिए अमूल्य काम किया ।हैं
राजमाता से लोकमाता तक की उनकी यात्रा अत्यंत उल्लेखनीय है उनके द्वारा किये गये असीम कार्यों के कारण वे आज भी समाज में आदर्श हैं।
उन्होंने कहा कि। इस कार्यक्रम के परिचय में गतिविधि के समन्वयक डाॅ.स्वप्निल तोरण उन्होंने कहा कि अहिल्या देवी होलकर के कार्यों के संबंध में छात्र एवं माननीय.कुलपति की अवधारणा से विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा रीलप्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
था इस टूर्नामेंट में 500 से अधिक रील्स प्राप्त हुईं। जिसका कि 360 रीलों के डॉ. मिलिंद थोरात, डॉ. नारायण शिंदे, डॉ. संतोष बोडखे, श्री.लक्ष्मण कोकणे, श्री. अभय ओझरकर, श्रीमती नूपुर सावजी द्वारा परीक्षण किया गया है। परीक्षकों द्वारा दिए गए अंतिम परिणाम में अगले प्रतियोगियों को गणमान्य व्यक्तियों द्वारा भागीदारी के पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए ।
कार्यक्रम का संचालन जनसंपर्क अधिकारी डाॅ. स्वप्निल तोरणे द्वारा की .अध्यक्ष श्रीमती योगिता पाटिल ने भी आभार व्यक्त किया.
इस कार्यक्रम के लिए विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय में छह सौ से अधिक छात्रों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के अधिकारी और कर्मचारी भी बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे.
मातोश्री अहिल्या देवी होलकर- एकपात्र प्रयोग
अहिल्या देवी होलकर के त्रिशताब्दी वर्ष के अवसर पर पुण्यश्लोक विश्वविद्यालय में अहिल्या देवी होलकर के जीवन पर एक एकपात्र का आयोजन किया गया. इस अवसर पर इंदौर से संस्कार भारती की कलाकार श्रीमती अर्चना चितले ने इस एकांकी का प्रदर्शन किया. इस एकपात्र प्रयोग में अहिल्या देवी की भूमिका श्रीमती अर्चना चितले ने निभाई थी।
चलो भी प्रयोग के लेखक एवं निदेशक श्री. संगीत एवं नृत्य किरण शाणी ने किया।श्रीमती दीपा शाणी ने किया। इस प्रयोग में रंग भरने का कार्य श्रीमती द्वारा किया गया था