
मिशन आर्थरायटिस इंडिया की ओर से ‘नॅशनल पेशंट्स कंव्हेंशन’ का आयोजन
पुणे: मिशन आर्थरायटिस इंडिया (माई) की ओर से, रविवार, २३ मार्च २०२५ को , हॉटेल रामी ग्रँड में १० वे नॅशनल पेशंट्स कंव्हेंशन का आयोजन किया गया है. यह कार्यक्रम सुबह ९:०० से शाम ५:०० की समय में होगा। इस परिषद में १०० से भी ज्यादा मरीज और करीब १५ ऱ्हुटॉलॉजिस्ट एक साथ आकर आर्थरायटिस के विविध पहलूओं पर चर्चा करेंगे.
मिशन आर्थरायटिस इंडिया (माई) ये एक रजिस्टर्ड सामाजिक संस्था है . साल 2000 में स्थापना हुई ,आर्थरायटिस के मरीजों के लिए काम करने वाला यह एक स्वयंसेवी मदद गट है. शरयू भट के संकल्पना से शुरू किये इस उपक्रम को डॉ.अरविंद चोप्रा, दीपा मेहता, शिवानी बर्वे और अन्य सहकारीओं का समर्थन मिला है .
कार्यक्रम के उद्घाटन के लिए प्रमुख अतिथि के रूप में इंडियन ऱ्हयुमेटोलॉजी असोसिएशन (आयआरए) के अध्यक्ष डॉ.चंद्रशेखर एस और सन्माननीय अतिथि के रूप में संचेती हेल्थकेयर एकेडमी की अध्यक्ष मनीषा संघवी उपस्थित रहेंगे.
इस परिषद में कै.श्री.पी.सी. नहार वक्तृत्व पुरस्कार, सेंटर फॉर ऱ्हुमॅटिक डिसिजेस् (सीआरडी ) की ओर से वात विरुद्ध योद्धा पुरस्कार और श्री हरिभाऊ राठीजी वात विरुद्ध योद्धा पुरस्कार प्रदान किया जाएगा.
लुपस (केरल), अँकिलोझिंग स्पाँडिलायटिस (मुंबई), स्क्लेरोडर्मा (दिल्ली) और शोग्रेन सिंड्रोम (अहमदाबाद) इन जैसे और भी स्वयं प्रतिकार (ऑटोइम्युन) विकारों के सहयोगी गट नेतृत्व इस परिषद में सहभाग लेंगे .
मिशन आर्थरायटिस इंडिया की (माई) अध्यक्षा श्रीमती दीपा मेहता ने कहा की, मिशन आर्थरायटिस इंडिया इस साल रजत महोत्सवी साल में पदार्पण कर यहा है जिसके लिए यह जरुरी पड़ाव है. इस मंच के द्वारा प्रख्यात वैद्यकीय विशेषज्ज्ञ से आर्थरायटिस के बारे में लोगों तक जानकारी पहुंचाने का काम हम कर रहे है. ये मरीज सहयोगी गट भावनात्मक आधार, अपनेपण की भावना, हमारे जैसे बाकियों को होने वाली समस्या समजना, अपने अनुभव बताना इस सभी चीजों से हम इस लड़ाई में अकेले नहीं है, इसकी भावना मरीजों में जाग जायेगी. इस लिए मरीजों को सक्षम बनाने में और जानकारी पूर्व निर्णय लेने में मदद होती है.
सेंटर फॉर ऱ्हुमॅटिक डिसीजेस,पुणे के संचालक व मुख्य ऱ्हुमॅटॉलॉजिस्ट डॉ अरविंद चोप्रा ने कहा कि अगर हम हर स्तर पर हड्डियों और जोड़ों के बारे में जागरूकता पैदा करना चाहते हैं, तो हमें ऐसे लोगों की जरूरत है जो डॉक्टरों और मरीजों के बीच पुल का काम कर सकें। और यही वजह है कि हमने इस सहायता समूह ‘माई’ की शुरुआत की। जागरूकता, ज्ञान और सशक्तिकरण ही माई के मुख्य स्तंभ हैं।
संचेती हॉस्पिटल के अध्यक्ष डॉ.पराग संचेती ने कहा की, इस दीर्घकालीन बीमारी की वजह से भावनिक और मानसिक आरोग्य पर परिणाम हो सकता है, इसलिए आर्थरायटिस व्यवस्थापन के लिए समग्र दृष्टिकोण जरूरी है. औषध उपचार, फिजिओथेरपी, व्यायाम, आहार इस के आलावा मरीज अपने काम या व्यवसाय में व्यस्त रहे.