
पिंपरी चिंचवाड़ मनपा में 5,790 करोड़ का घोटाला !
विशाल समाचार | पिंपरी चिंचवड़
उच्च न्यायालय के आदेश पर मनपा के अंतर्गत लेखा परीक्षण (ऑडिट) के मुताबिक पिंपरी चिंचवड़ मनपा में बड़े वित्तीय घोटाले का खुलासा हुआ है। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार मनपा में कुल 5790 करोड़ 13 लाख 80 हजार 829 रुपए का घोटाला हुआ है। इस मामले में दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई कर जनता के कर स्वरूप जमा की गई रकम की वसूली की मांग मुख्यमंत्री से लेकर प्रधान सचिव तक से गई है।
पिंपरी चिंचवड़ मनपा की अस्थापना से लेकर मनपा कामकाज का ऑडिट नहीं किए जाने की शिकायत करते हुए मुंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। सामाजिक कार्यकर्ता मारुती भापकर ने यह याचिका 1999-2000 में दायर की थी। इसकी सुनवाई में न्यायालय ने मनपा को विशेष लेखा परीक्षण करने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय के आदेशानुसार पिंपरी चिंचवड़ महानगरपालिका के लेखापरीक्षण और विशेष लेखापरीक्षण की प्रक्रिया की गई थी। इसमें गंभीर वित्तीय गड़बड़ियां सामने आईं, जिन्हें लेकर भापकर ने गड़बड़ियों और घोटाले पर की गई कार्रवाई के बारे में जवाब मांगा है।
मनपा के रिकॉर्ड्स ही गायब
मारुती भापकर के पत्र पर मनपा के मुख्य लेखा परीक्षक प्रमोद भोसले ने 26 मार्च को जानकारी दी जो काफी चौंकाने वाली है। इसके मुताबिक 1982 से फरवरी 2025 तक मनपा के अंतर्गत लेखा परीक्षण में कुल 5,768 करोड़ 05 लाख 016 हजार 29 रुपए की गड़बड़ियां पाई गई हैं। इसमें 1325 करोड़ 21 लाख 29 हजार 54 रुपए की लंबित आपत्तियां, 133 करोड़ 47 लाख 40 हजार 996 रुपए की लंबित वसूली योग्य राशि के अलावा 4309 करोड़ 36 लाख 31 हजार 579 रुपए खर्च के कामकाज से जुड़े रिकॉर्ड लेखा परीक्षण के लिए उपलब्ध नहीं कराए जा सके हैं।
विशेष ऑडिट में भी काफी गंभीर गड़बड़ियां उजागर
इसके साथ ही उच्च न्यायालय के आदेश से कराये गये विशेष ऑडिट में भी काफी गंभीर गड़बड़ियां सामने आयी हैं। विशेष लेखापरीक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक लंबित आपत्तियों की वसूली योग्य धनराशि 17 करोड़ 02 लाख 83 हजार 621 रुपए है। कुल 5 करोड़ 05 लाख 95 हजार 399 रुपए की राशि आपत्तिजनक बताई गई है। दोनों लेखापरीक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक विशेष लेखापरीक्षण में 22 करोड़ 08 लाख 79 हजार 200 रुपए और आंतरिक लेखापरीक्षण में 5768 करोड़ 05 लाख 01 हजार 829 रुपए कुल 5790 करोड़ 13 लाख 80 हजार 829 रुपए की बड़ी धनराशि का कुप्रबंधन किया गया है।
समय पर कार्रवाई नहीं होने से बढ़ा गड़बड़ी का आंकड़ा
मनपा ने 17 जून 2019 को पारित प्रस्ताव में लेखा परीक्षा प्रक्रियाओं और अनुपालन को निर्दिष्ट किया गया है। इसके अनुसार मुख्य लेखा परीक्षक को आपत्तियों, आपत्तिजनक राशि और वसूली योग्य राशि का अनुपालन दो सप्ताह के भीतर करना होता है, जबकि उपरोक्त 1982 से फरवरी 2025 तक की लेखापरीक्षाओं में वर्तमान स्थिति है। लेखा परीक्षा से सामने आये कुप्रबंधन के संबंध में समय-समय पर शिकायतें करने के बाद भी प्रशासन ने कानून और नियमों के अनुसार समय पर उचित कार्रवाई नहीं की है। इसलिए यह पूरा मामला 5790 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, यह आरोप भापकर ने लगाया है।
यह एक गंभीर अपराध है तथा प्रशासन द्वारा उच्च न्यायालय की अवमानना की जा रही है। इस गंभीर मुद्दे पर गौर करना चाहिए तथा सख्त कदम उठाते हुए संबंधित विभाग से आठ दिनों के भीतर बकाया राशि वसूल करनी चाहिए। दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक एवं प्रशासनिक कार्रवाई करनी चाहिए।
– मारुति भापकर, सामाजिक कार्यकर्ता, पिंपरी चिंचवड़
लेखा परीक्षण के लिए समय पर रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराये
जाने से संबंधित काम की राशि आपत्तिजनक कही जाती है, इसे वित्तीय घोटाला नहीं कहा जा सकता। किसी मामले में ठेकेदार को ज्यादा बिल भुगतान या बिना मंजूरी के भुगतान पाए जाने पर संबंधित काम की राशि वसूल योग्य करार दी जाती है। लेखापरीक्षण के लिए समय पर रिकॉर्ड नहीं मिलने से उसकी पूरा लागत राशि पर ऑब्जेक्शन आ जाता है, हालांकि रिकॉर्ड मिलने के बाद यह आपत्ति निरस्त हो जाती है।
-प्रमोद भोसले, मुख्य लेखा परीक्षक, पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम
अस्थापना से लेकर अब तक के कामकाज के ऑडिट में हुआ खुलासा