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महाबोधि’ विहार पर बौद्ध समाज का ही अधिकार होना चाहिए – सुश्री बहन मायावती जी

प्रेस विज्ञप्ति

 

महाबोधि’ विहार पर बौद्ध समाज का ही अधिकार होना चाहिए – सुश्री बहन मायावती जी

वक्फ कानून में संशोधन की बीएसपी की मांग; डॉ. हुलगेश चलवादी ने दी जानकारी

 

पुणे:देश में इन दिनों चर्चा में चल रहे बौद्धगया स्थित महाबोधि विहार मुक्ति आंदोलन के संदर्भ में बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री, देश की ‘आयरन लेडी’ माननीय सुश्री बहन मायावती जी ने पार्टी की भूमिका स्पष्ट की है। उन्होंने कहा है कि बौद्धगया के महाबोधि विहार के प्रबंधन पर बौद्ध समाज का पूर्ण अधिकार होना चाहिए; यह बीएसपी की स्पष्ट और दृढ़ मांग है। साथ ही वक्फ कानून में संशोधन की आवश्यकता पर बल देते हुए बहनजी ने देश और देशवासियों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार से महत्वपूर्ण मांगें भी की हैं, ऐसी जानकारी पार्टी के प्रदेश महासचिव और पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र के मुख्य प्रभारी डॉ. हुलगेश चलवादी ने शुक्रवार (11 तारीख को) दी।

देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद कांग्रेस सरकार द्वारा लाए गए कानून के अनुसार महाबोधि विहार का प्रबंधन जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा किया जाता है, जिसमें चार हिंदू और चार बौद्ध सदस्य होते हैं। यह कानून बौद्ध समाज के लिए अन्यायकारी है और विहार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी बौद्ध समाज को दी जानी चाहिए, ऐसी बहनजी की दृढ़ राय है, ऐसा डॉ. चलवादी ने बताया। महाबोधि विहार प्रबंधन कानून से उन लोगों को समिति से हटाया जाना चाहिए जो बौद्ध धर्म को नहीं मानते। इससे अनावश्यक विवादों से बचा जा सकता है।

चूंकि महाबोधि विहार मुक्ति आंदोलन चल रहा है, इसलिए यह उपयुक्त समय है कि केंद्र और बिहार की एनडीए सरकार इस संबंध में आवश्यक सुधार करें। विहार की पवित्रता, स्वच्छता और लाखों श्रद्धालुओं की व्यवस्था की जिम्मेदारी भी बौद्ध समाज को सौंपी जानी चाहिए। महाबोधि विहार के वैश्विक महत्व को ध्यान में रखते हुए इसके प्रबंधन में सुधार करना समय की आवश्यकता है, ऐसा बहनजी ने कहा है, डॉ. चलवादी ने बताया। महाबोधि विहार प्रबंधन में सुधार केवल एक मांग नहीं, बल्कि बौद्ध समाज के स्वाभिमान का प्रश्न है, ऐसा प्रतिपादन बहनजी ने किया है।

वक्फ कानून में सुधार की आवश्यकता

नवीन वक्फ कानून के अनुसार राज्य के वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की जो व्यवस्था है, वह प्रारंभिक दृष्टिकोण से अनुचित प्रतीत होती है। मुस्लिम समाज की ओर से भी इस प्रावधान का विरोध किया जा रहा है। इसके अलावा अन्य विवादास्पद प्रावधानों के चलते केंद्र सरकार को इस कानून के क्रियान्वयन पर तत्काल रोक लगाकर उस पर पुनर्विचार करना चाहिए, ऐसा माननीय बहनजी ने कहा है।

 

देशवासियों की सुरक्षा के लिए राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर उठने का आह्वान

 

देश और देशवासियों की सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को आतंकवाद के विरुद्ध अपने-अपने राजनीतिक स्वार्थों को छोड़कर निष्पक्ष, ईमानदार और सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। तभी यह देश और नागरिकों के हित में होगा, ऐसी भूमिका माननीय बहनजी ने रखी है।

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