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2027 से पहले ही गहराया सियासी असंतोष: बकेवर से  प्रयागराज से बागेश्वर तक, राजा भैया से  लेकर रामदेव तक उठ रही हैं भीतरखाने की आवाजें

2027 से पहले ही गहराया सियासी असंतोष: बकेवर से  प्रयागराज से बागेश्वर तक, राजा भैया से  लेकर रामदेव तक उठ रही हैं भीतरखाने की आवाजें

 

विशेष संवाददाता विशाल समाचार 

 

राष्ट्रीय: 2027 के आम चुनाव से पूर्व ही भारतीय जनता पार्टी को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों से विरोध, असंतोष और गंभीर सवाल उठने लगे हैं। जिन बातों की चेतावनी पहले ही ‘विशाल समाचार’ ने अपने संपादकीय के माध्यम से दी थी, आज वे एक-एक करके साकार हो रही हैं।

 

इटावा के बकेवर क्षेत्र में हाल ही में हुई हिंसा, पुलिस पर हमले और तनाव की स्थिति ने स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए। वहीं हाल हुई हिंसा प्रयागराज में भी कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी हुई दिखाई दी।

 

राजनीतिक मोर्चे पर, प्रगतिशील समाज पार्टी के अध्यक्ष और कुंडा से विधायक राजा भैया ने हाल ही में एक सार्वजनिक पोस्ट में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व, विशेषकर जे.पी. नड्डा का नाम लेकर संगठन के अंदरूनी रवैये पर सवाल उठाए हैं।? उनकी नाराजगी को पार्टी कार्यशैली और प्रदेश में जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से जोड़कर देखा जा रहा है।

 

दूसरी ओर, तेलंगाना से भाजपा सांसद टी. राजा सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष पद और पार्टी के अंदर कार्यकर्ताओं की लगातार अनदेखी को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर की है। उनके बयानों में संगठनात्मक संवादहीनता को लेकर सीधी नाराजगी दिखाई देती है।

 

धार्मिक मोर्चे पर भी भाजपा को समर्थन देने वाले संत समाज के भीतर हलचल देखी जा रही है। हाल ही में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बागेश्वर धाम प्रमुख पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री द्वारा ली जा रही कथित भारी दान-दक्षिणा पर सवाल उठाए, जिससे धार्मिक और राजनीतिक हलकों में नया विवाद शुरू हो गया है।

बिहार में भी हलचल तेज हो गई है

इसी बीच योग गुरु स्वामी रामदेव ने कथावाचकों के सामाजिक प्रतिनिधित्व पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि यादव समाज से कोई कथा कह रहा है तो यह अस्वाभाविक नहीं है — “यदि कोई यादव कथा नहीं करेगा तो कौन करेगा।” यह बयान स्पष्ट रूप से उन वर्गीय सवालों को जवाब देने की कोशिश है जो हाल ही में धर्म और जाति को लेकर उठाए गए हैं। उनके इस वक्तव्य को राजनीतिक और सामाजिक हलकों में कई तरह से देखा जा रहा है।

 

देश के अलग-अलग हिस्सों से उठ रही ये आवाजें अब सिर्फ अलग-अलग घटनाएं नहीं, बल्कि एक समग्र संकेत हैं कि भाजपा को लेकर निचले स्तर से लेकर शीर्ष नेतृत्व तक असहमति और बेचैनी बढ़ रही है।

“बकेवर में सपा ने और प्रयागराज में आझाद समाज पार्टी ने दंगा करवा कर अपना पल्ला झाड़ लिया”?

यह वही स्थिति है जिसकी भविष्यवाणी ‘विशाल समाचार’ ने समय रहते कर दी थी – कि यदि पार्टी ने जमीनी कार्यकर्ता, सामाजिक संतुलन और धार्मिक-सामाजिक भावनाओं की अनदेखी की, तो 2027 तक हालात और भी मुश्किल हो सकते हैं।

 

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