इटावाउत्तर प्रदेश

पराली प्रबन्धन जागरूकता हेतु रवाना हुये प्रचार-वाहन

पराली प्रबन्धन जागरूकता हेतु रवाना हुये प्रचार-वाहन

विशाल समाचार टीम

इटावा: पाराली/फसल अवशेष खेत में न जलाये, पराली को खेत में सड़ाकर खाद बनाये, पराली खेत में जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है पर्यावरण प्रदूषित होता है।

उक्त उद्गार जिलाधिकारी श्रुति सिंह ने जनपद में पराली/फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु कृषकों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से कलक्ट्रेट से प्रत्येक विकास खण्ड के लिए प्रचार वाहनों को हरी झण्डी दिखाकर रवाना करते हुए व्यक्त किये। उन्होने किसानों से कहा है कि वह खेत में पराली को न जलाये, पराली जलाने से खेत की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है वहीं पर्यावरण प्रदूषित होता है ,पर्यावरण प्रदूषित होने से लोगो के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है, इससे विभिन्न प्रकार से रोग होने की सभ्भावना रहती हैं। इसलिए सभी किसान पराली को खेत में एक जगह एकत्रित कर उसकी खाद बनाये और अपने खेतो की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में प्रयोग करे।

उक्त प्रचार वाहनों में .कृषि विभाग के तकनीकी कर्मचारी साथ रहेगें जो भ्रमण के दौरान .षकों को पराली जलाने से होने वाले दुष्परिणामों से अवगत करायेगें एवं खेत में पराली प्रबन्धन हेतु इन-सीटू यंत्रों जैसे सुपर सीडर, मल्चर, वेलर, श्रवमास्टर, रिवरसेवलएम.बी.प्लाऊ, सैल्फ प्रोपेल्ड रीपर एवं रीपर कम वाइण्डर,जीरोटिल सीडड्रिल आदि यंत्रों के विषय में जानकारी देगें।
उपरोक्त सभी यंत्रों पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है इच्छुक . कृषिक क्रय कर सकते हैं। पराली को गौशाला भेजने के इच्छुक .कृषक ग्राम प्रधान से सम्पर्क कर गौशाला भिजवा सकते हैं। उक्त कार्य में आने वाला व्यय ग्राम पंचायत द्वारा वहन किया जायेगा। इसके अतिरिक्त .कृषि विभाग द्वारा 15400 वेस्ट डिकम्पोजर क्रय किये जा रहे हैं जिनका नि:शुल्क वितरण किया जायेगा वेस्ट डिकम्पोजर के घोल का छिडकाव खेत में खडी पराली या कम्पोस्ट के गडढे में एकत्र पराली पर करने से शीघ्र सडकर खाद बन जाती है। ग्राम पंचायतों को 80 प्रतिशत अनुदान पर मिलने वाले इन सीटू यंत्रों/फार्म मशीनरी बैंकों में उपलब्ध इन सीटू यंत्र एवं व्यक्तिगत .कृषकों द्वारा क्रय किये गये यंत्रों को किराये पर लेकर किसान भाई पराली प्रबन्धन कर सकते हैं। जिस कम्बाईन हार्वेस्टर में सुपर एस.एम.एस. न लगा हो उससे अपने धान की कटाई कदापि न करायें।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा-24 एवं 26 के अर्न्तगत खेत में फसल अवशेष जलाना दण्डनीय अपराध है और इसके लिए दण्ड का प्राविधान भी किया गया है। उन्होंने कहा कि एक एकड से कम क्षेत्र के लिए प्रति घटना 2500 रू.02 एकड़ से 5 एकड तक के लिए 5000 रू, एवं 5 एकड़ से अधिक के लिए 15 हजार रू प्रति घटना दण्ड का प्राविधान है।
इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी वि.रा. जय प्रकाश, उपजिलाधिकारी सदर सिद्धार्थ ,जिला कृषि अधिकारी अभिनन्दन सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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