मनुष्य में अभेदभाव सर्वोच्च मूल्य
डॉ. मीरा कुमार के विचारःएमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजन
विज्ञान, धर्म और दर्शन की ७ वीं वर्ल्ड पार्लमेंट का उद्घाटन
देवेन्द्र सिंह तोमर संवाददाता
पुणे: देश में आठ मुख्य धर्म हैं और उनके निहितार्थ हमारे मने में है. यह सृष्टि की अनूठी मिसाल है. यहां पर सर्वोत्तम मूल्य मनुष्य के बीच भेदभाव नहीं करना है. गरीबी का उन्मूलन करे. साथ ही नारी जाति का सम्मान किया जाना चाहिए यह भारतीय संस्कृति की शिक्षा है. यह सम्मेलन सभी की विचारधारा को बढावा देने के लिए उपयोग है. यह विचार लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मीरा कुमार ने रखे.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी ने विज्ञान, धर्म और दर्शन पर आयोजित ७ वीं ऑनलाइन वर्ल्ड पार्लमेंट का उद्घाटन हुआ. इस मौके पर वे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थी. कार्यक्रम की अध्यक्षता एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई.
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे, बिहार के कानून मंत्री प्रमोद कुमार, गुजरात के केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. हसमुख अधिया, प्रसिद्ध लेखक राजीव मेहरोत्रा, विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मविभूषण डॉ. रघुनाथ माशेलकर और विश्व प्रसिद्ध कंप्यूटर विशेषज्ञ पद्मभूषण डॉ.विजय भटकर विशेष अतिथि के रुप में उपस्थित थी.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, प्रो. डॉ. मंगेश तु. कराड, डब्ल्यूपीयू के प्रभारी कुलपति प्रो. डॉ. आर.एम.चिटणीस, कुलपति प्रो. डॉ. मिलिंद पांडे और सलाहकार डॉ. इस अवसर संजय उपाध्ये उपस्थित थे.
डॉ. मीरा कुमार ने कहा, इस देश को आजादी दिलाने के लिए गांधीजी ने अहिंसा को एक साधन के रूप में इस्तेमाल किया. उनके अनुरोध पर हर भारतीय घर से बाहर निकले स्वतंत्रता की लढाई में कुद पडे. इस देश में हमने इस्लाम से भाईचारे और तीर्थंकर महावीर की अहिंसा की बात को स्वीकार किया है. देश में गरीब अमीर बन सकता है, लेकिन जाती व्यवस्था में यह प्रावधान नहीं है. मानव जीवन भर इस अवसर की तलाश में रहता है लेकिन जाति व्यवस्था में ऐसा अवसर नहीं है. इसलिए देश की इस स्थिति को बदलना है.
सुशील कुमार शिंदे ने कहा, आज महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन है. शास्त्रीजी ने जय जवान जय किसान का नारा लगाया. लेकिन आज जवान और किसानों को मजबूत करने की जरूरत है. साथ ही उन्हें दिशा देनी है. देश से आज भी जाति व्यवस्था खत्म नहीं हुई है इसलिए इस पर काम होना चाहिए. हमे हमेशा अच्छे लोगों का समर्थन करना चाहिए और देश में क्रांति लाए. यह एक संयुक्त समाज और मानवता का निर्माण करेगा.
प्रमोद कुमार ने कहा, गांधीजी के व्यक्तित्व का निर्माण अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य और असंग्रह के पांच सिध्दांत से हुआ था. आज पूरा विश्व उनके सत्य और अहिंसा के सिध्दांतों पर चल रहा है. वे कहते थे कि विश्व में, शांति, सत्य और नैतिकता के दो सिद्धांतों पर आधारित होगी. आज पूरा विश्व इसी विचार पर विचार कर रहा है. शारीरिक श्रम और आध्यात्मिकता दोनों को प्राथमिकता देते हुए गांधीजी कहते थे कि शुद्ध चरित्र के बिना सच्चा ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता है. जब तक समाज के अंतिम व्यक्ति को दया, प्रेम और सेवा नहीं मिलेगी, तब तक रामराज्य नहीं आएगा. यह सम्मेलन गांधीजी के दर्शन पर आधारित है.
डॉ. हसमुख अधिया ने कहा, आध्यात्मिकता और प्रबंधन सभी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है. अध्यात्म धर्म से अलग है और इसे हमारे वास्तविक अभ्यास से देखा जा सकता है. अध्यात्म जीवन जीने की कला सिखाता है. वास्तव में सफल व्यक्ति की पहचान उनका दैनिक व्यवहार है. पहला उनका सादा जीवन और उच्च विचार है. वे भावुक होते है , उन्हें प्यारे और दयालु होने की जरूरत है. उनके दैनिक जीवन में आध्यात्मिक सिध्दांतों के साथ व्यवहार में स्पष्ट है. कभी भी अपनी उदारता का महिमामंडन न करें और दैनिक जीवन में ध्यान से शांति का अनुभव करें. ये सभी चीजें मनुष्य को प्रसन्न करती है और उसे शांति प्रदान करती है.
डॉ. रघुनाथ माशेलकर ने कहा, गांधीजी कहा करते थे कि आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए स्वदेशी सिध्दांतों का पालन करना चाहिए. सर्वोदय यह सामाजिक प्रगति का सबसे बडा मंत्र है. उनके विचार २०वीं सदी की तुलना में २१वीं सदी में अधिक कालानुक्रमिक हैं. गांधीवाद सतत विकास की नींव है. उनका कहना था कि आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर गरीबों को हर तरह की वस्तुएं और सेवाएं कम कीमत पर उपलब्ध कराई जाएं. इंजीनियरिंग को गांधीवादी दृष्टिकोण से स्वीकारे और विकसित किया जाना चाहिए. उनके मुताबिक हमने कभी नहीं सोचा था कि नए शोध से बहुत कम कीमत में ब्लड टेस्ट, ईसीजी, डायबिटीज जैसे कई टेस्ट हो सकते है.
डॉ. राजीव मेहरोत्रा ने कहा, सत्य और अहिंसा के बीच अहिंसा शब्द हिंसा की कमी नहीं बल्कि सकारात्मक शब्द है. सत्य और अहिंसा को न केवल राजनीति में बल्कि दैनिक जीवन में भी देखा जाना चाहिए. गांधीजी का जीवन खुली किताब है. उन्हें आम लोगाेंं के जीवन की समस्याओं में अधिक दिलचस्पी थी. गांधीजी का जीवन बहुत सादा था और वे एक धर्मनिष्ठ हिंदू थे लेकिन अन्य धर्मों के प्रति उनके मन में सम्मान था. वैज्ञानिक विकास के साथ साथ यह मानवता के लिए है.
डॉ. विजय भटकर ने कहा, दुनिया भर में कई विश्वविद्यालय यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि खुली शिक्षा किस तरह की होनी चाहिए. सभी धर्म और सभी प्रकार के आधुनिक विज्ञान परम सत्य का अनुभव करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हमें विज्ञान और दर्शन के एकीकृत अध्ययन के लिए एक विश्वविद्यालय की स्थापना करनी चाहिए.