विशाल समाचार टीम इटावा
इटावा: उप निदेशक कृषि अभिनन्दन सिंह ने बताया कि पराली खेल में जलाना जीवन और पर्यावरण के लिए हानिकारक है, खेतो में पराली जलाना दण्डनीय अपराध भी है। पराली खेतो में जलाने से मृदा की उर्वता में भारी कमी आती है तथा सूक्ष्म पोषक तत्व एवं लाभदायक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। पराली को खेतों में जलाये नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के इन सीटू यंत्रों जैसे सुपर सीडर,मच्चुर,श्रममास्टर, रिबर्सेबल एम.बी.प्लाऊ,बेलर एवं रीपर तथा रीपर कम वाइण्डर के द्वारा प्रबन्धन करेें। इन सभी यंत्रों पर कृषि विभाग द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है साथ ही किसान अपने खेत की पराली को अपने निकटतम गौशाला भिजवा सकते है। इस कार्य पर होने वाला व्यय ग्राम पंचायत द्वारा मनरेगा एवं राज्य वित्त आयोग से वहन किया जायेगा। किसान यदि अपनी पराली सीधे गौशाला भिजवाते है तो गौशाला द्वारा दो ट्राली पराली के बदले एक ट्राली गोबर की खाद दी जायेगी।