बाबू सिंह तोमर प्रतिनिधी मुंबई
मुंबई: एनसीपी प्रमुख शरद पवार का आज अपना 81वां जन्मदिन (Sharad Pawar Birthday) मना रहे हैं। इस मौके पर हालांकि एनसीपी महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के नए स्वरूप के खतरे के चलते शरद पवार का जन्मदिन केवल कुछ लोगों की उपस्थिति में मनाया जाएगा और वह डिजिटल माध्यम से शुभकामनाएं स्वीकार करेंगे। वैसे शरद पवार महाराष्ट्र सहित देश की राजनीति में अपना अलग ही रसूख रखते हैं। जानकार शरद पवार को देश की राजनीति के चाणक्य बताते हैं और इसके पीछे कई वजह हैं।
शरद पवार का जन्म 12 दिसंबर 1940 को महाराष्ट्र के बारामती ग्राम में हुआ था। उनका नाम शरदचंद्र गोविंदाराव पवार है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार बड़े और प्रमुख विपक्षी नेताओं में से एक हैं। बताया जाता है कि, शरद पवार ने जीवन के पांच दशक से ज्यादा समय में एक भी चुनाव नहीं हारा है। यही वजह है कि वे राजनीति में अपनी एक अलग ही पहचान रखते हैं।
पवार के राजनीतिक अनुभव की चर्चा न सिर्फ महाराष्ट्र में बल्कि देश की प्रमुख पार्टियों में भी होती है। शरद पवार 1967 के बाद से एक भी चुनाव नहीं हारे हैं। शरद पवार अब तक के राजनीतिक सफर में चार बार सीएम बने। इसके अलावा पवार तीन बार केंद्रीय मंत्री भी बने। यही नहीं उन्होंने राज्य और केंद्र में विपक्ष के नेता, संसदीय दल के नेता के रूप में कार्य किया है।
शरद पवार ने बारामती में हाईस्कूल तक की पढ़ाई पूरी की, इसके बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए पुणे चले गए। कॉमर्स की पढ़ाई करने के साथ ही वह वहां पर कांग्रेस से जुड़े और यहीं से उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ। पवार 2005 से 2008 तक बीसीसीआई (BCCI) के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) के उपाध्यक्ष और बाद में अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
2004 के लोकसभा चुनावों के बाद, पवार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में कृषि मंत्री के रूप में मंत्री बने। साल 2009 में यूपीए गठबंधन सरकार के दोबारा चुने जाने पर उन्होंने अपना पोर्टफोलियो बरकरार रखा। कृषि मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें कई संकटों और विवादों का सामना करना पड़ा।
जानकार मानते हैं कि, संकट और भारी विरोध के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और डेट रहे। पवार के फैसलों और राजनीति के अनुभव के अलावा उनका समस्याओं का बेहतरीन तरीके से समाधान निकालना देश की राजनीति में अपना लोहा मनवाना के पीछे की कई वजहों में से एक बड़ी वजह माना जाता है।
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