*!! सीताराम !!*
सुख यदि बाजार में बिकता…
तो कोई कभी दुखी नहीं होता….
शारीरक सुख के साधन तो बाजार में मिलते हैं.
परन्तु क्या हम सुखी हो जाते है।
नहीं क्योंकि इन्द्रिय सुख क्षणिक होते है।।
और हमें सुख के भ्रम में सारा जीवन समाप्त कर देते हैं। सच्चा सुख आत्मिक सुख है।।
जो बिना मोल और साधन के प्राप्त होता है।
आइये अपने अन्तर्जगत की यात्रा करें
जहां सच्चा सुख अपने भीतर ही विद्यमान है।
ना कोई रास्ता आसान चाहिए,
ना ही कोई सम्मान चाहिए,
एक ही चीज माँगते है
रोज ऊपर वाले से,
परिवार के चेहरे पर
हर पल प्यारी सी मुस्कान चाहिए..
अपनी
सुधा भदौरिया
लेखिका:विशाल समाचार
(विचार विभाग )
ग्वालियर मध्यप्रदेश