*ज़िन्दगी में ऊंचा उठने के लिए किसी*
*डिग्री की जरूरत नही अच्छे शब्द ही*
*इंसान को बादशाह बना देते है*
*माँ बाप के साथ आपका सुलूक*
*वो कहानी है*
*जिसे आप लिखते हैं*
*और आपकी संतान आपको*
*पढ़कर सुनाती है*
*आँसूओं के प्रतिबिंब गिरे*
*ऐसे दर्पण अब कहाँ ?*
*बिना कहे सब कुछ समझे*
*वैसे रिश्ते अब कहाँ ?*
*ठीक उस खाली लिफ़ाफ़े की तरह*
*होते है कुछ रिश्ते*
*जिनके भीतर कुछ भी नहीं होता और*
*हम उन्हें सम्भाल कर रखते है*
Regards
Sudha Bhadauriya
Article: Vishal Samachar
MP