विचार

*ख़ुद को तलाशना, खुद को पहचानना, खुद को तरशना

*ख़ुद से नजर मिला सके कर्म कुछ ऐसा करें तो कोई बात बने..!*
*तुझे बर्बादी की ओर ले जाए ऐसी राह से डरे तो कोई बात बने..!*

*दाग़दार क़िरदार लेकर जो भी चला वह आज तक कहां फला..!*
*धवल क़िरदार हो व तेरे तलबगार बहुतेरे हो तो कोई बात बने..!*

*उजाले में तो हर कोई साथ चलता अंधेरे में सब जुदा हो जाते हैं..!*
*जो अंधेरे में बैठे उनकी जिंदगानी में उजाले भरे तो कोई बात बने..!*

आज का विशेष लेख….!

*ख़ुद को तलाशना, ख़ुद को पहचानना, ख़ुद को तरशना और ख़ुद को पाना ईश्वर को पाने के समान है.. इसलिए हम तो आपसे बस यही कहेंगे..*

*ख़ुद से हर बात खुलकर जो सदा सदा कहता है..!*
*वो जीवन में कब कहाॅं परेशां फ़िर रहता है..!*
*जिसने ख़ुद को ख़ुद से अक्सर ही छुपाया है..!*
*कस्तूरी मृग सा वो मानव ताउम्र फ़िर भटकता है..!*

*क्यों बर्बादी की राह चुन रहा खुद से झूठ बोलकर..!*
*मानव जीवन अनमोल है जरा तो इसका तू मोलकर..!*
*गैरों से नहीं अपने आप से तू सदा मशवरे करना..!*
*हर बात खुद से करना तू सदा ही दिल खोल कर..!*
*जिसने ख़ुद की सुनी वही तो प्रगति पथ पर बढ़ता है..!*
*ख़ुद से हर बात खुलकर जो सदा सदा कहता है..*

*हर रोज फुर्सत निकालकर खुद से मुलाकात करें..!*
*बहाने कम रखे ज्यादा से ज्यादा बंदे सवालात करें..!*
*हर सवाल का जवाब तुझे दिलो दिमाग में मिल जाएगा..!*
*कुछ सार्थक व सत्कर्म से हर दिन की शुरुआत करें..!*
*जिसने खुद को जान लिया वो मर कर भी कब मरता है..!*
*ख़ुद से हर बात खुलकर जो सदा सदा कहता है..*

अपली विश्वासू
सुधा भदौरिया
लेखिका विशाल समाचार
ग्वालियर मध्यप्रदेश

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