*हमेशा मुस्कुराते रहिए.. यह मनुष्य होने की पहली शर्त है.. क्योंकि जानवर कभी मुस्कुरा नहीं सकते.. एक सच्ची मुस्कान से मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है.. परंतु मुस्कान देने वाला दरिद्र नहीं होता.. तभी तो कमल का कहना है..*
*दर्द ज़िगर में मगर लबों पे रहती सदा मुस्कान हैं..!*
*यही तो इंसान होने की अपनी असली पहचान है..!*
*रोती सूरते कब किसे अच्छी लगती हैं जमाने में ..!*
*चेहरे पे मुस्कान रखते उन्हीं के होते कई कद्रदान हैं..!*
*ज़िंदगी आइने की तरह होती है तू सदा ये जान ले..!*
*तू मुस्कुराएगा ये भी मुस्कुराएंगी ये तू मान ले..!*
*रूंआसे चेहरे की कब कहां हुईं आज तक शान हैं..!*
*दर्द ज़िगर में मगर लबो पर..*
*हमनें देखा गुलज़ार डाली पर ही पक्षी चहचहाते हैं..!*
*जो दरख़्त हरे होते वहीं तो सदा मुसाफ़िर आतें हैं..!*
*जानवर कहां मुस्कराते ये मानव को ही मिला वरदान है..!*
*दर्द ज़िगर में मगर लबों पर..*
लेखिका
विशाल समाचार
सुधा भदौरिया
ग्वालियर मध्यप्रदेश