*किसे सुनाए दर्द अपना जमाने में सब गूंगे बहरे रहते हैं..!*
*इसीलिए तो हमारी जुबां पर सदा खामोशी के पहरे रहते हैं..!*
*कुछ तो ख़ास बात है तभी तो दर्द हमसे इतनी मोहब्बत करते..!*
*घड़ी भर जुदा नहीं होते ये हमसे सदा मेरे पास ठहरे रहते हैं..!*
*सुना था दर्द सुकून छिनता है पर हमें तो यह सुकून देता है..!*
*हर शाम सुहानी सी लगती हैं और खुशगवार हर सवेरे रहते हैं..!*
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*ज़ुबां पर कोयल और दिलों में नाग रखते हैं लोग..!*
*मोम सी कोमल अदाएं इरादों में आग रखते हैं लोग..!*
*मतलब हो तो नेवले व सांप में भी याराना हो जाता है..!*
*मतलब निकला रिश्तो में बेसुरा राग रखते हैं लोग..!*
*आम दिनों की छोड़ो अब तो पर्वों में वो आत्मीयता कहां हैं..!*
*अब तो बेनूर दिवाली और बंदरग फाग रखते हैं लोग..!*
*गरज व कदर इतनी करो जो सामने वाला हकदार हो..!*
*खुद सही औरों को तुच्छ मानते नियत काग रखते हैं लोग..!*
*मासूम चेहरों के पीछे लोमड़ी वाला शातिरपन मिलेगा..!*
*जैसे दिखते वैसे होते नहीं छुपा कर दाग रखते हैं लोग..!*
*फाग=होली*
*नियत काग=कौंवे वाले गुण*
अपली विश्वासू
लेखिका:सुधा भदौरिया
विशाल समाचार
ग्वालियर मध्यप्रदेश