*दोस्तों..*
*झूठ फरेब का रंग एक दिन उतर ही जाता है..जब ये रंग फीका पड़ता तो वो मानव बड़ा ही बदरंग नज़र आता है..झूठ के पंखों से परवाज़ भरने वाले ज़्यादा देर आसमान पर कहां ठहर पाते हैं..देर सवेर औंधे मुंह ज़मीं पर गिर ही जाते हैं.. झूठी शान के पंरिदो को हम तो बस इतना कहेंगे..👇*
*झूठ का कब कहां आसमान पे कोई ठिकाना होगा..!*
*कितनी भी उड़ान भर ले उसे तो ज़मीन पे आना होगा..!*
*फरेब के पंख से उड़ान भरने वाला तो औंधे मुंह गिरता हैं..!*
*बड़े बेआबरू होकर वो एक दिन ज़माने से रवाना होगा..!*
*बेईमानी की चांदनी चार दिन की यह सारस्वत सत्य है..!*
*कुछ दिनों का सुखचैन देर सवेर यह सब रवाना होगा..!*
*नेकी से कमाई सूखी रोटी में भी मेवे का स्वाद आता है..!*
*जो सत्य की राह चला वही तो ज़माने में महामाना होगा..!*
*महामाना=बहुत उच्च*
अपली विश्वासू
लेखिका विशाल समाचार
सुधा भदौरिया
ग्वालियर मध्यप्रदेश