*खेती कांटो की करता है बदले में गुल की चाहत रखता है..!*
*आज का मानव देखो तो कितनी गिरी हुई आदत रखता है..!*
*क़रीब रहता वो जब तक काम है वरना दूर से ही प्रणाम है..!*
*बड़ा डरावना मंजर है ये अपने किरदार में सफ़ाकत रखता है..!*
*जब कुछ मतलब हो तभी तो सारी ज़ुबाने मीठा बोलती है..!*
*वरना आजकल ये जमाना अपनी ज़ुबां में ज़लालत रखता है..!*
*मिलावट का दौर है प्रीत हो या मीत दोनों में एहतियात रखना..!*
*दवाई की शीशी में ज़हर रखने की मानव महारत रखता है..!*
*आदमी आदमी को डस रहा है सांप कोने में बैठा हॅंस रहा है..!*
*भलाई के बदले बुराई ही मिलती कौन भलमनसाहत रखता है..!*
*सफ़ाकत=कमीनापन*
*ज़लालत=अपमान*
अपली विश्वासू
सुधा भदौरिया
लेखिका विशाल समाचार
ग्वालियर मध्यप्रदेश