*आजकल ज़्यादातर लोग अपने दिलों में दिमाग़ रखने लगे हैं..!*
*रिश्तो के दरमियानी भी कागज़ी फूलों के बाग़ रखने लगे हैं..!*
*आजकल के रिश्ते दिखते अच्छे हैं पर इनके एहसास कच्चे हैं..!*
*न जाने कब ज़हर उगल दे लोग आस्तीन में नाग रखने लगे हैं..!*
*पहले हर रिश्तो में मह़क होती थी आजकल दहक होती है..!*
*मौका परस्ती कि लोग इनमें एक जलती हुई आग रखने लगे हैं..!*
*ख़ून के रिश्तो की छोड़ो गैरों के बीच भी गजब की प्रीत थी..!*
*आज लोग खून के रिश्तो के बीच भी गुणा भाग रखने लगे हैं..!*
*नज़रिया व नियत साफ़ हो तो काग़ज़ फूल भी खुशबू देते हैं..!*
*पर जिसे देखो वही आज अपनी नियत में दाग़ रखने लगे हैं..!*
*मौलिक*
*अप्रकाशित*
अपली विश्वासू
लेखिका विशाल समाचार
सुधा भदौरिया
ग्वालियर मध्यप्रदेश