*कोई ख़ास वज़ह होती तभी तो करीब ये ज़माने आते हैं..!*
*वरना आजकल लोग कब किसी से अपनापन जताने आते हैं..!*
*अपने घर में रहकर लोग पराया सुलूक करते अपनो के साथ..!*
*तो फिर बेमतलब गैरों के साथ कौन मोहब्बत जताने आते हैं..!*
*इसलिए ख़ुद से ख़ुद ही प्रीत कर गैरो से प्रीत रास नहीं आएगी..!*
*हमने देखा है जो भी नज़दीक आते सब दिल दुखाने आते हैं..!*
अपली विश्वासू
सुधा भदौरिया
ग्वालियर मध्यप्रदेश