विचार

अपने जख्मों को सीने में दफ़न रख ज़माने में बड़ा झोल

*अपने जख्मों को सीने में दफ़न रख ज़माने में बड़ा झोल हैं..!*
*दवाइयों की शीशियों में आज लोग रखते नमक का घोल हैं..!*

*संवेदनाएं मर चुकी सबकी असंवेदनशील हो गया हर कोई..!*
*मौका परस्ती का बोलबाला है सब की नियत डांवाडोल है..!*

*गरज के हिसाब से बदल रहे सब अपनी ज़ुबां का मिज़ाज ..!*
*गरज हो तब ज़ुबां मखमली गरज निकली की खुरदुरे बोल हैं..!*

*सांप बेरोजगार हो गए जब से ज़हर उगलने लगा है आदमी..!*
*नफरतें सबकी पहुंच में है मोहब्बतें मिलती तराजू तोल है..!*

*सत्य बेहाल झूठ मालामाल वाह रे वक्त तेरा ये कैसा कमाल..!*
*कांच के टुकड़े हीरे का देखो तो सरेआम उड़ा रहे मखोल है..!*

*झोल=संताप देना*

अपली विश्वासू
सुधा भदौरिया
लेखिका विशाल समाचार
ग्वालियर मध्यप्रदेश

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