विचार

वो शुभकामनाएं भी क्या खाक शुभकामनाएं होती….

*वो शुभकामनाएं भी क्या ख़ाक शुभकामनाएं होती है.. जिनमें कोई संदेश ना हो..कोई सीख ना हो.. कोई मशवरा ना हो.. हम तो हमेशा की तरह बस यही कहेंगे इस नव वर्ष के दिन..!*

*पहले ख़ुद को बदलना होगा गर तुझे दुनिया सुहानी चाहिए..!*
*कुछ बेहतरीन करना होगा गैरों के लबों पे गर कहानी चाहिए..!*

*जो गमों से उलझा नहीं उसे खुशी कब कहां मज़ा देती है..!*
*गमो से दो-दो हाथ कर गर तुझे ज़िंदगी में सादबानी चाहिए..!*

*पत्थर भी भगवान बन सकता है गर उसे माहिर तराश बिन मिले..!*
*ठोकरों को तराश बिन बना अगर जीवन में कामरानी चाहिए..!*

*हवा से जो लड़ता है वही दीपक तो सदा रात भर जलता है..!*
*मुश्किलों से लड़ आगे बढ़ गर ज़माने पर हुक्मरानी चाहिए..!*

*लाख कोशिशें कर ले कौवा कभी भी हंस नहीं बन सकता..!*
*जैसा दिखता वो लिखने के लिए क़लम में हक़-बयानी चाहिए..!*

*शादबानी=प्रसन्नता*
*कामरानी=सफलता*
*हुक्मरानी=सत्ता,शासन*
*हक़-बयानी=सच कहने की आदत*

अपकी अपनी
सुधा भदौरिया
लेखिका,विशाल समाचार
ग्वालियर मध्यप्रदेश

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